धर्म

सब्र अल्लाह से क़रीब करता है…By-फ़ारूक़ रशीद फ़ारूक़ी

Farooque Rasheed Farooquee

===========
. सब्र अल्लाह से क़रीब करता है
अल्लाह जिससे मोहब्बत करता है उसे आज़माइश में डाल देता है। जिसका ईमान जितना ज़्यादा मज़बूत होता है उसकी राह में उतनी ही बड़ी मुश्किलें आती हैं। नेमतें और इनाम देने से पहले आज़माइश और मुसीबत में डालना ऐसा ही है जैसे खाने से पहले भूक का अहसास पैदा करना। जो अल्लाह की इस आज़माइश पर राज़ी हो जाता है अल्लाह उससे राज़ी हो जाता है और जो सब्र नहीं कर पाता और राह से भटक जाता है अल्लाह उससे नाराज़ हो जाता है। मेहनतें, मुश्किलें और आज़माइशें दिल को मज़बूत करती हैं, हमारे गुनाहों को धोती हैं, ग़ुरूर को ख़त्म करती हैं और रूहानी सुकून का अहसास दिलाती हैं। ऐसे सख़्त हालात में गुमराही दूर होती है, दुनिया की हक़ीक़त समझ में आती है और अल्लाह की याद आती है। सब्र करने से अल्लाह बड़े गुनाहों पर भी पर्दा डाल देता है और बड़ी ख़ताएं माफ़ कर देता है। मुसीबतों और तकलीफ़ों पर सब्र करने वाला इंसान गुनाहों से पाक होकर इस दुनिया से जाता है। सब्र घबराहट से ज़्यादा आसान है। जो इंसान अपनी मर्ज़ी से सब्र नहीं करता उसे मजबूरी में सब्र करना पड़ता है। सब्र का मतलब है हर मुश्किल का सामना करते हुए लगातार अपनी मंज़िल के लिए कोशिश करते रहना। यही सब्र हमें अल्लाह का महबूब बंदा बना देता है। सब्र करने वाला लोगों से अल्लाह की शिकायत नहीं करता।
(फ़ारूक़ रशीद फ़ारूक़ी)