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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा-भाजपा पिछड़ों और दलितों को शूद्र मानती है, हम सबको शूद्र मानती है!

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा पिछड़ों और दलितों को शूद्र मानती है। हम सबको शूद्र मानती है। हम धार्मिक स्थान तक जाते हैं। संतों, गुरुओं से मिलते हैं तो भाजपा के लोगों को तकलीफ होती है। यही वजह हैकि यज्ञ कार्यक्त्रस्म में शामिल होने से रोकने के लिए भाजपा ने गुंडे भेजे थे। भाजपा के गुंडों ने हम पर हमला किया। लेकिन भाजपा यह समझ ले कि हम समाजवादी लोग डरने और घबराने वाले नहीं है।

सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने पुलिस और पीएसी घटनास्थल से पहले ही हटा ली थी। जो नाम मात्र की पुलिस थी वह भी मूक दर्शक बनी रही। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि याद रहे समय बदलता है और भाजपा के लोग भी याद रखें उनके लिए भी इसी तरह की व्यवस्था होगी। अब समझ में आ रहा है कि मेरी एनएसजी क्यों हटाई गई? सिक्योरिटी क्यों कम की गई ? मेरा घर गंगा जल से क्यां धोया गया? क्योंकि हम उनकी नज़र में कुछ और ही है। भाजपा के बिना आरएसएस नहीं और आरएसएस के बिना भाजपा नहीं।

जिन्होंने बुलाया, उन्हें मिल रहीं धमकियां
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि लखनऊ के गोमती नदी के किनारे आयोजित धार्मिक यज्ञ में शामिल होने के लिए जिन संतों और आयोजनकर्ताओं ने हमें बुलाया था। उन्हें भाजपा और आरएसएस की तरफ से धमकियां मिल रही हैं। अनुष्ठान में भाजपा के लोगों ने बाधा पैदा की। कार्यक्त्रस्म स्थल पर पहुंचने पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मुझे रोकने की कोशिश की। श्रद्धालुओं और भक्तों के साथ धक्का मुक्की की। भाजपा अपने को धर्म का ठेकेदार समझती है। हम तो श्रद्धा के साथ गए थे उससे भाजपा को क्यों दिक्कत हो गई।

अखिलेश ने लिया संतों का आशीर्वाद
विरोध के बीच सपा केराष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को गोमती नदी के तट पर मध्य प्रदेश के पीतांबरा पीठ के महाराज दंडी स्वामी रामाश्रय महाराज के सानिध्य में योगी राकेश नाथ महाराज और मृत्युंजय भैरवमहाराज द्वारा आयोजित 108 कुंडीय महायज्ञ में हिस्सा लिया। उन्होंने यज्ञ में पहुंचकर संतों से आशीर्वाद लिया और परिक्त्रस्मा की।

रामचरित मानस को लेकर उठे विवाद के बाद शनिवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच करीब 30 मिनट प्रदेश कार्यालय में गुफ्तगू हुई। स्वामी पर नाराजगी की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए सपा जातीय जनगणना के मुद्दे पर आगे बढ़ेगी। मुलाकात के बाद दोनों ने इस मुद्दे पर बयान दिया। उनके बयानों ने साफ कर दिया कि पार्टी जातीय जनगणना केमुद्दे को लेकर सियासत गरमाएगी। बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में शुरू हुई यह मुहिम सियासी नजरिए से अहम मानी जा रही है।

सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को रामचरित मानस की चौपाई पर आपत्ति जताते हुए पहले पाबंद करने और फिर कुछ चौपाई को वर्ग और वर्ण विरोधी बताते हुए उसे हटाने की मांग की। इस मामले को लेकर सियासी हलचल मच गई। सपा के कुछ विधायक पक्ष में तो कुछ विरोध में आ गए। कहा तो यहां तक गया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर नाराजगी जताई है, लेकिन शनिवार को इस रहस्य से पर्दा उठ गया। स्वामी प्रसाद मौर्य प्रदेश कार्यालय पहुंचे।

करीब 30 मिनट तक पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ गुफ्तगू की। बाहर निकले और मीडिया के सवालों का जवाब दिया। कहा कि अखिलेश से जातीय जनगणना के मुद्दे पर बातचीत हुई है। अखिलेश यादव ने कहा है कि जातीय जनगणना को लेकर अभियान चलाया जाएगा। पहले केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा। फिर इस मुद्दे पर आंदोलन शुरू होगा। पार्टी की मांग है कि हर हाल में जातीय जनगणना होनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिंदू धर्म के संबंध में दिए गए बयान केसवाल पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि इसका जवाब नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव विधानसभा में देंगे। उन्होंने दोहराया कि सपा दलितों, पिछड़ों के संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई निरंतर लड़ेगी।

स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के करीब दो घंटे बाद अखिलेश यादव ने भी जातीय जनगणना की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि सपा ने जातीय जनगणना को अपने चुनावी घोषणा पत्र में रखा था और एलान किया था कि सत्ता में आने पर पहला काम यही शुरू होगा। अब भाजपा से मांग है कि वह जातीय जनगणना कराए। मालूम हो कि इससे पहले भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं। इन दिनों पार्टी की ओर से जातीय जनगणना के मुद्दे पर अभियान चलाने की घोषणा करना इसलिए भी अहम है क्योंकि बिहार में इस मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है।

माफी नहीं मागेंगे: स्वामी
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरित मानस के बारे में जो बातें कहीं हैं, उस पर कायम हैं। माफी नहीं मानेंगे। रामचरित मानस में जो कहा गया है वह देश के दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों का अपमान है। रामचरित मानस से उस दोहे को हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र चौधरी माफी मांगने को कह रहे हैं लेकिन वो हमारी पार्टी के नेता नहीं हैं। समाजवादी पार्टी के जो नेता माफी मांगने को कह रहे हैं वह जाति विशेष के लोग हैं। मैं आज भी अपने सच के साथ खड़ा हूं।