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सकनियाकोट( सिन्युराकोट) में कत्यूरी विरासत के धरोहर बीरखंभ

देवी सिंह तोमर
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*सकनियाकोट( सिन्युराकोट)में कत्यूरी विरासत के धरोहर बीरखंभ,*
बारा मंडल अल्मोड़ा क्षेत्र में कत्यूरी राजाओं की वंशज राज्य करते थे अल्मोड़ा का प्राचीन नाम लखनपुर भी कहा जाता है इनका महल वर्तमान अल्मोड़ा के राजपूरा में तथा किला खकमारा मैं था, इनके वंश के राजा वीरसिंह देव ने वानर देवी लंगड़ा ब्लॉक के पास विसौतकोट में भी अपना अधिकार जमा लिया था, जो सियाल नदी के ऊपर पूर्वी छोर में है, एटकिंसन के गजटईयर की अनुसार अल्मोड़ा के सुयाल नदी के आसपास क्षेत्र में मिले मंदिर के पास एक पत्थर में अनुसार सन संवत 1364 लिखा हुआ मिला जिसमें राजा अर्जुन देव का नाम लिखा हुआ है और एक पत्थर में संवत 1405 और राजा का नाम निरमपाल देव लिखा मिला था इससे सिद्ध होता है कि ये उस समय के कत्यूरी राजा इस क्षेत्र के राजाथे, चंपावत के चंद राजा उद्यान चंद्र ने जब इन किलों को जीता तो यहां का राज परिवार कोशी नदी के किनारे स्यूनराकोट के सकन्याकोट नामक स्थान पर अपना महल एवं किला बनाया, सकनियांकोट में जहां पर महल है वहां पर अभी भी खंडहर अवशेष हैं, गांव वालों की मान्यता है कि इस स्थान पर अभी भी राजा का धन गड़ा हुआ है, जिसकी रक्षा बड़े-बड़े नागराज कर रहे हैं वहां पर यत्र तत्र अवशेष पड़े हुए हैं जिस पर शोध करने की आवश्यकता है, उसके पास हरिज्यु का मंदिर भी है तथा कत्यूरी कालीन बीरखंब पड़े हैं, जिसका चित्र आप देख सकते हैं सन् 1488 मैं कीर्ति चंद्र ने राज्य की बागडोर संभाली उसके उपरांत चंद राजा कीर्तिचंद की फौज ने बोरा राजपूतों के सहयोग से स्यूनराकोट पर आक्रमण किया कत्यूरी राजाओं ने वीरता पूर्वक युद्ध किया और शुरुआती लड़ाई में कीर्ति चंद की फौज हार गई, जिस पर पर कीर्ति चंद को बहुत गुस्सा आया और अधिक फौज बढ़ाकर आक्रमण किया अंततः कत्यूरी राजा को हरा दिया था, चंद राजाओं ने कोशी एवं गगास नदी के किनारे के क्षेत्र में अपना अधिकार जमा लिया, यहां पर रहने वाले राणा लोग कहते हैं हम लोग राजा की सुरक्षा में यहां पर आए थे, और यहीं पर बस गए, यह लोग कत्यूरी देवताओं को पूजते हैं
जय राजमाता जियारानी🙏