साहित्य

**सचाई और चमक-दमक के बीच उलझी एक ज़िन्दिगी : आदित्य की कहानी**

हमारी कहानियाँ
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2 साल संभोग का आनंद लेने के बाद, जब मैं गर्भवती हुई, तो सातवें महीने में अपने मायके राजस्थान जा रही थी। मेरे पति शहर से बाहर थे, और उन्होंने एक रिश्तेदार से कहा था कि मुझे स्टेशन पर छोड़ आएं। लेकिन ट्रेन के देर से आने के कारण वह रिश्तेदार मुझे प्लेटफॉर्म पर सामान के साथ बैठाकर चला गया।

**सचाई और चमक-दमक के बीच उलझी एक जिंदगी: आदित्य की कहानी**

काजल और मेरी शादी हमारे एक परिचित ने तय कराई थी। जब मैंने पहली बार काजल को देखा, तो उसकी सादगी और सौम्यता ने मेरा दिल छू लिया। जान-पहचान वालों के जरिए रिश्ता हुआ था, इसलिए शादी जल्द ही तय हो गई। मैंने सोचा, अब मेरी जिंदगी सुकून से कटेगी।

मेरा नाम आदित्य है, उम्र 26 साल। अगर आज आप मेरी जिंदगी को देखें, तो यह बहुत शानदार लग सकती है—महंगे कपड़े, गाड़ियां, और हर चीज की भरमार। लेकिन इस चमक-दमक के पीछे एक गहरा अंधेरा है, जो हर रोज मेरी आत्मा को कचोटता है।

मैं एक छोटे से कस्बे में पला-बढ़ा। कंप्यूटर रिपेयरिंग और असेंबल का काम करता था। मेहनत के बावजूद महीने के अंत में बस इतना कमा पाता था कि घर का खर्च चल सके। मेरी मां हमेशा कहतीं, **”बेटा, मेहनत से कमाई गई रोटी ही सबसे सच्ची होती है।”** लेकिन मन में हमेशा एक सवाल रहता था—क्या मैं इस साधारण जिंदगी से कभी बाहर निकल पाऊंगा?

एक दिन, मुझे शहर के अमीर इलाके से एक फोन आया। एक महिला का कंप्यूटर खराब था। जब मैं वहां पहुंचा, तो पहली बार उस जीवन को करीब से देखा, जिसकी मैंने सिर्फ कल्पना की थी—बड़े बंगले, महंगे सामान, और हर तरफ ऐशो-आराम।

यहीं मेरी मुलाकात स्नेहा से हुई। वह 35-36 साल की आत्मनिर्भर और खूबसूरत महिला थीं। उनकी आंखों और बोलचाल में आत्मविश्वास झलकता था। मैंने उनका कंप्यूटर ठीक किया, और जाते-जाते उन्होंने कहा, **”तुम बहुत अच्छा काम करते हो। अगर जरूरत पड़ी, तो मैं फिर से बुलाऊंगी।”**

कुछ दिनों बाद उनका फोन आया। इस बार उन्होंने मिलने के लिए बुलाया। उनके घर पर, उन्होंने मुझसे मेरी जिंदगी के बारे में पूछा। पहली बार किसी ने मेरी कहानी में इतनी दिलचस्पी ली थी। बातों-बातों में उन्होंने कहा, **”तुम मेहनती हो, लेकिन क्या तुमने अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के बारे में सोचा है?”**

मैंने हंसते हुए कहा, **”सोचता हूं, लेकिन मेरे पास साधन नहीं हैं।”** उन्होंने मुझे एक प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि अगर मैं उनके साथ समय बिताऊं, तो वे मेरी दो महीने की तनख्वाह से ज्यादा पैसे देंगी।

पहले तो मैंने मना कर दिया, लेकिन उनकी बातों ने मेरे मन में हलचल मचा दी। आखिरकार, मैंने हां कर दी। स्नेहा ने न केवल मुझे पैसे दिए, बल्कि महंगे कपड़े, आलीशान रेस्टोरेंट्स और शानदार जगहों पर ले जाने लगीं। कुछ ही समय में, उन्होंने मुझे अपनी अमीर दोस्तों से भी मिलवाया। उनकी दोस्तों ने भी मुझसे समय बिताने के लिए कहा और बदले में मेरी जरूरतें पूरी करने का वादा किया।

मेरी जिंदगी में अब हर वह चीज थी, जिसकी मैंने कभी ख्वाहिश की थी। लेकिन इस चमक-दमक के पीछे का अंधकार धीरे-धीरे मुझे अपनी चपेट में लेने लगा। स्नेहा और उनकी दोस्तों की उम्मीदें मुझसे बढ़ती गईं। उन्होंने मुझे दवाइयां देना शुरू कीं, यह कहकर कि इससे मेरी थकान दूर हो जाएगी।

शुरुआत में सब कुछ अच्छा लग रहा था। लेकिन धीरे-धीरे मैं उन दवाइयों पर निर्भर हो गया। जब मैं उन्हें नहीं लेता, तो मेरा शरीर कमजोर पड़ने लगता।
समय बीतने के साथ, मेरी जिंदगी की चमक फीकी पड़ने लगी। स्नेहा ने मुझसे मिलना बंद कर दिया, और उनकी जगह किसी और ने ले ली। जिन महिलाओं ने कभी मेरी परवाह की थी, वे अब मुझसे कतराने लगीं।

मुझे एहसास हुआ कि मैं उनके लिए सिर्फ एक खिलौना था। मेरे पास पैसे तो थे, लेकिन मेरी सेहत और आत्मसम्मान बर्बाद हो चुके थे। डॉक्टर ने बताया कि दवाइयों की लत ने मेरे लिवर और दिल को कमजोर कर दिया है।

26 साल की उम्र में, मैं एक बूढ़े आदमी जैसा महसूस करने लगा। अब मुझे समझ नहीं आता कि मैंने यह सब क्यों किया। क्या यह पैसे के लिए था? या उन सपनों के लिए, जो अब टूट चुके हैं?

आज मेरी जिंदगी में सबकुछ है, लेकिन वह सुकून नहीं, जो सच्चाई और मेहनत से कमाई हुई जिंदगी में होता है।

**”पैसा जरूरी है, लेकिन अपनी आत्मा, रिश्तों और सच्चाई की कीमत पर नहीं। शॉर्टकट्स से जिंदगी कभी बेहतर नहीं बनती।”**