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सऊदी अरब राजकुमार बिन सलमान ने फिलिस्तीन को दी धमकी- कहा अमेरिका की बात मान लो नही तो….

नई दिल्ली: दशकों से जिस मुक़द्दस सरज़मीं की हिफाज़त और बचाव के लिये फिलिस्तीनी मुसलमान शहीद होते आरहे हैं,और इजरायल के ज़ुल्म और अत्याचार का शिकार होरहे हैं को छोड़ने के लिये दुनिया में शाँति कर् ठेकेदार बिन सलमान आये हैं,जिन्होंने बदलाव के नाम पर सऊदी अरब को दुनियाभर में बदनाम कर रखा है,अमेरिका और इजरायल के साथ मिलकर मुसलमानों के खिलाफ होने वाली साज़िशों का हिस्सा बम रहे हैं

इंटरनेशनल मीडिया के अनुसार सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने फिलिस्तीनियों को चेतावनी देते हुए कहा कि या तो वे अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बात मान लें या फिर अपना मुंह बंद कर लें। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने कहा है कि फिलिस्तीनियों को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘पीस डील’ को स्वीकार कर लेना चाहिए, नहीं तो ‘मुंह बंद’ कर दें। एमबीएस ने यह बात एक अमेरिका में यहूदी ग्रुप से बात करते हुए कही।

एमबीएस ने न्यूयॉर्क में मीटिंग के दौरान यहूदी नेताओं से बात करते हुए फिलिस्तीनी नेताओं का मजाक उड़ाते हुए इजरायल के साथ शांति समझौते को ठुकराने के लिए कड़ी आलोचना भी की थी। उसी दौरान एमबीएस ने कहा था कि या तो फिलिस्तीनी लोग शांति समझौते को स्वीकार करें या फिर चुप बैठ जाएं।

इजरायल की मानें तो पिछले महीने एमबीएस अमेरिका के दौरे पर थे, उस दौरान 27 मार्च को एक मीटिंग में सलमान की बातें सुनकर वहां बैठे लोगों के होश उड़ गए। लेकिन बाद में मीटिंग में बैठे लोगों ने सलमान के बयान पर सहमति जताई। साथ ही उन्होंने तालियों से उनके बयान का स्वागत किया। एमबीएस ने पूरे मीटिंग में फिलिस्तीनियों पर ही भड़ास निकाली। उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दशकों में फिलिस्तीनी नेताओं ने एक के बाद एक शांति समझौते के असवर गंवाए हैं। फिलिस्तीनियों के लिए यह वक्त है कि या तो वे इस प्रस्ताव को स्वीकार करें या फिर चुप बैठ जाएं और शिकायतें करना बंद करें।’

कार्यक्रम में एमबीएस ने यह भी कहा कि रियाद की विदेश नीति में फिलिस्तीन पर फोकस नहीं है। क्राउन प्रिंस ने कहा कि फिलिस्तीन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, सऊदी अरब को इस क्षेत्र में ईरान और उसके विचार जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि पिछले महीने एक यूएस मैगजीन को दिए इंटरव्यू में एमबीएस ने कहा कि इजरायल और फिलिस्तीन को अपनी-अपनी जमीन पर अधिकार होना चाहिए।