नई दिल्ली: सऊदी अरब में अपराधियों को सज़ा इतनी कठोर दी जाती है कि वहां कोई अपराध करने के बारे में सोचता भी नही है,इसी कारण से अपराधियों की संख्या बहुत कम है,बलात्कार तथा ड्रग्स पर सऊदी अरब में मौत की सज़ा सुनाई जाती है,इसी वजह से पिछले चार महीनों में लगभग 48 लोगों को अलग अलग अपराधों में मौत की सज़ा सुनाई गई है।
सऊदी अरब में पिछलेे चार महीने में 48 लोगों को ड्रग्स से संबंधित मामलों में वांछित थे जो हिंसा की श्रेणी वाले अपराध में नहीं आता है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने ये जानकारी दी है। अमेरिका स्थित इस समूह ने राज्य को “कुख्यात अनुचित आपराधिक न्याय प्रणाली” की संज्ञा दी। सिर काटकर सजा देने वाले देशों में सऊदी अरब सबसे आगे है। यहां आतंकवाद, हत्या, बलात्कार, सशस्त्र डाकू और नशीले पदार्थों की तस्करी के दोषियों या संदिग्धों का सिर धड़ से अलग कर मौत के घाट उतार दिया जाता है।
ह्यूमन राइट्स वॉच एक्सपर्ट्स ने सऊदी में इस तरह के मामलों में निष्पक्षता बरतने का बार-बार आग्रह किया है। यहां सख्त इस्लामी कानून के तहत काम किया जाता है। लेकिन यहां के सरकार का कहना है कि मृत्युदंड भविष्य में होने वाले अपराध के लिए एक सबक है।
ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक सारा लीह व्हिटसन ने कहा: “यह बेहद दुखद है कि सऊदी अरब ने इतने सारे लोगों को मौत की सजा दी है, जिनमें से कईयों ने हिंसक अपराध भी नहीं किया था। ड्रग्स से संबंधित अपराध को सीमित करने की कोई योजना न्याय प्रणाली शामिल करने की आवश्यकता है। जिसके लिए मौत की सजा दे दी जाती है।
संगठन ने बताया है कि सऊदी अरब ने 2014 के बाद से अब तक लगभग 600 लोगों को मौत की सजा दी है उनमें से एक तिहाई से अधिक ड्रग्स मामलों में वांछित थे। राज्य में पिछले साल लगभग 150 लोगों को मौत की सजा दी गई थी। इस तरह की सजा में यहां एक तलवार से अभियुक्तों का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है।
भविष्य में सिंहासन की गद्दी संभालने वाले क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस महीने एक टाइम मैगज़ीन को दिए साक्षात्कार में सुझाव दिया कि सऊदी अरब कुछ मामलों में सजा का तरीका बदलने पर विचार करेगा। इसमें आजीवन कारावास पर विचार किया जा सकता है। बताया जाता है कि प्रिंस अपने देश की छवि को नरम करेने की कोशिश में है क्योंकि यहां की अर्थव्यवस्था तेल पर र्निभर है जो अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।