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संभल की शाही जामा मस्जिद के ख़िलाफ़ नफ़रती गैंग की क्रोनोलॉजी समझिए!

Ansar Imran SR
@ansarimransr
संभल की शाही जामा मस्जिद के खिलाफ नफरती गैंग की क्रोनोलॉजी समझिए!

🔻एक खलियर वकील विष्णु जैन आदत अनुसार संभल की जामा मस्जिद के खिलाफ कोर्ट में मंदिर के दावे के साथ याचिका दाखिल करता है।

🔻जिला कोर्ट के जज साहब 22 नवंबर को याचिका के दाखिल होते ही दोपहर में सुनवाई करते ही तत्काल सर्वे का आदेश पारित कर देते है।

🔻याचिकाकर्ता विष्णु जैन यूपी सरकार के आधिकारिक कॉउन्सिल (सरकारी वकील) होने के बावजूद इस मामले में भी पार्टी बने है।

🔻जज साहब की कृपया देखिये उसी दिन सर्वे के आदेश के साथ विष्णु जैन को सर्वे टीम का हिस्सा बना रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश जारी होता है।

🔻यूपी के उपचुनाव से एक रात पहले शुक्रवार की रात में दो घंटे तक प्रशासन की भारी तैनाती के साथ जामा मस्जिद का सर्वे किया जाता है।

🔻23 नवंबर को चुनावी नतीजे सामने आते ही अगले दिन 24 नवंबर को दुबारा सर्वे के नाम पर टीम पहुंचती है।

🔻याचिकाकर्ता और सर्वे टीम का हिस्सा विष्णु जैन एक भीड़ के अगुआई करते हुए जय श्री राम के नारों के साथ शाही जामा मस्जिद सर्वे करने पहुंचता है।

🔻स्थानीय लोगों और पुलिस प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न होते ही पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे जाते है। इसके बाद पथराव की भी खबर आती है।

🔻बाबरी मस्जिद, ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा ईदगाह विवाद, क़ुतुब मीनार, ताज महल आदि मामलों में भी हिंदू पक्ष बन अपने पिता हरी शंकर जैन के साथ केस लड़ने वाला विष्णु जैन भारी पुलिस की मौजूदगी में सर्वे करने के बाद रिपोर्ट 29 तारीख को कोर्ट में सबमिट करने का दावा करता है।

निष्कर्ष:

उपासना स्थल अधिनियम 1991 के बावजूद संभल की शाही जामा मस्जिद के मामले में अचानक से रातों रात सर्वे का आदेश और यूपी सरकार के सरकारी वकील विष्णु जैन का याचिकाकर्ता बनने के साथ सर्वे टीम का हिस्सा होना अपने आप में पूरे विवाद को षड्यंत्र साबित करने के लिए काफी है।