

Related Articles
तुम्हारे जाने के बाद…संजय नायक ‘शिल्प’ की एक सुन्दर रचना
संजय नायक ‘शिल्प’ =========== तुम्हारे जाने के बाद…. कुछ खास नहीं बदला तुम्हारे जाने के बाद। न जाने तुम्हें क्यों लगता था, कि तुम्हारे जाने के बाद बहुत कुछ बदल जायेगा। हमारी अंतिम मुलाकातों के दौर में हमेशा तुम्हारी यही बात दोहराव के साथ सामने आती थी, “देखना तुम बदल जाओगे, वक़्त अच्छे अच्छों […]
उसके ससुर ने उसकी जेठानी को….ये काजल है लिपस्टिक न समझ लेना…
“अरी कर्मजली ! कहाँ मर गई ? सो गई क्या ? तुझे पता नहीं तेरी लल्ला के उठने का टाइम हो गया है। ढूध लेकर आ।अभी तक चाय नहीं बनी। चूल्हे ने पकड़ लिया क्या ?” चाची की आवाज़ सुनकर ग्लास में चाय डालती छवि के हाथ हल्के से कांपे चाय उसके हाथ पर […]
——– अबकी बार, ले चल पार ——-By-रवीन्द्र कान्त त्यागी
Ravindra Kant Tyagi =================== ——– अबकी बार, ले चल पार ——- छुट्टी के अब मात्र पांच दिन बचे हैं. जब से ऑस्ट्रेलिया से लौटा हूँ, कॉलेज के ज़माने के एक भी मित्र से मुलाकात नहीं हुई. पांच साल लंगे समय के थपेड़ों ने सब को जहां तहां बखेर दिया है. हर शाम उदास सा इस […]