रंगबाज सेना
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#बेड_टच_गुड_टच
यदि आपने गौर किया हो तो देखा होगा घर में छोटे बच्चों में जो लड़की है वो अपने रहन सहन खास तौर पर कपड़ो को लेकर बेहद चौकन्नी होती है।
जिन घरो में छोटी लड़कियों को फ्राक पहनाई जाती है वे अबोध बच्चियाँ जब बैठती है तो बड़े सलीके से अपनी फ्राक को ठीक करके बैठती है जबकि उसी आयु का लड़का कपड़ो को लेकर लापरवाह होता है।
फ्राक ठीक करके बैठना उसे किसीने सिखाया नही पर मर्यादा और लज्जा का गुण उसे जन्मजात मिला होता है जो इस कार्य के लिए उसे प्रेरित करता है। पर आजकल होता यह है की “नारी स्वातन्त्र्य” के मारे माता पिता उसे छोटे और जगह जगह से कटे फटे फैशनेबल डिजाइनर कपडे दिलवा कर उसकी नैसर्गिक लज्जा प्रवत्ति को खत्म कर देते है। जब बाल्यकाल में ही स्पर्श की उसकी नैसर्गिक अनुभूति को क्षीण कर दिया जाएगा तो निश्चित ही किशोरावस्था तक आते आते उसे अस्वीकार्य माने जाने वाला किसी भी तरह का स्पर्श उसको असहजता पैदा नही करेगा।
पहले किसी लड़की के कंधे को हाथ लगाना भी सम्भव नही था, खुली जांघ पर हाथ मारने के परिणाम की तो आप कल्पना भी नही कर सकते। पर चूँकि योजना बद्ध ढंग से इसी तरह के कपड़े फैशन में आ रहे जो ख़ास तौर पर शरीर के इन्ही संवेदन शील हिस्सों को विपरीत लिंगी स्पर्श का मौक़ा देते है जो एक समय बाद लड़की के अंतर्मन में निर्लज्जता की अवस्था को पैदा कर देते है। जब कोई पुरुष किसी स्त्री के वक्ष पर दृष्टिपात करता है तो स्त्री के हाथ यंत्रवत स्वयमेव अपनी साड़ी के पल्लू या चुनरी को ठीक करने के लिए सक्रिय हो जाते है उसके हाथो को ये आदेश उसके अंतर्मन से सीधे प्रसारित होते है उसे इसके लिए सोचने की आवश्यकता नही पड़ती।
अगर आपके घर में गाय या बैल हो तो आपको पता ही होगा की कोई अपरिचित अगर गाय के कंधो या पुट्ठों को छु ले तो वो गुस्सा हो जाती है!
आखिर क्यों ?
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इसीलिए क्योंकि गाय के वे अंग सबसे संवेदनशील और ऊर्जा भरे होते है जो उसके पानीदार होने का प्रमाण देते है। अच्छा होगा की हम नादान बच्चियों को स्कुल में “गुड टच बेड टच” का ज्ञान देकर आत्मसम्मान की रक्षा का पाठ पढ़ाने के बजाय उसे नैसर्गिक रूप से मिले शील लज्जा और मर्यादा के पवित्र भावो को विकसित करने पर ध्यान दें
ताकि विवाहित अवस्था में उसे शीलवती विशेषण के साथ सम्मानजनक जीवन का आनंद मिल सके।
रंगबाज सेना
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कुछ लड़कियां सिगरेट पीते हुए या शराब पीकर ये कहती है कि
जब लड़के पी सकते है तो हम क्यों नहीं…
उन्ही लड़कियों से हम कहना चाहते हैं….
लड़कों की बुरी आदते आप अपना रही हो अच्छी बात है, लेकिन कभी अच्छी आदते भी अपना लिया करो…
1)रास्ते में कोई लड़की अगर गाड़ी से गिर जाये तो सबसे पहले लड़के ही उसकी मदद करते है,लेकिन अगर कोई लड़का गिर जाये तो कोई भी लड़की उसकी मदद नहीं करती…
2) लड़कियों को लड़के रास्ते में लिफ्ट दे देते है मगर, लड़कियां लडको को कभी भी लिफ्ट नहीं देती हैं…
3)पुरुष लडकियों के लिए मोमबत्ती मार्च में बहुतायत में शामिल होते है लेकिन लडकिया पुरुषो के हक़ के लिए कभी शामिल नहीं होती…यदि कोई पुरुष किसी स्त्री द्वारा झूठे आरोपों से प्रताड़ित होता है तो महिलाएं उल्टा उपहास उड़ाती हैं…
4)पति अपनी पत्नी को तलाक के बाद भरण पोषण देता है,क्यों न पत्नी भी दिया करे…
5) भीड़ में जब कोई लड़की किसी लड़के को पीट देती है तो बाकी लोग भी लड़के को ही दोषी मानते है,उसी प्रकार जब कोई लड़का किसी लड़की को पीटे तो लड़कियों को चाहिए की वो भी लड़की को पीट दे….
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क्योंकि….ये सब काम जब लड़के कर सकते है तो लड़कियां क्यों नहीं???
पहले लोगों की सिर्फ यही चिंता रहती थी कि कहीं दामाद शराबी ना मिल जाए, अब लोगों को यह चिंता रहती है कि कहीं बहू पियक्कड़ या गर्भ निरोधक गोलियां की आदी ना मिल जाए।
जय हिन्द 🇮🇳
रंगबाज सेना
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last 3-4 year का डाटा, 43 लाख लड़कियों में बाझपन और 30 लाख में कैंसर पाया गया…
Valentine के बाद मुश्किल से 10 दिन के अंदर गायनेकोलोजिस्टो के पास लड़कियों की भीड़ लग जाती है…
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टीवी पे ऐड आता है सिर्फ एक कैप्सूल से 72 घंटो के अंदर अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा…
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बिना दिमाग की लडकिया, ऐसी गोलियां जिसका न कम्पोजीशन पता होता है न कांसेप्ट…
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बस निगल जाती हैं…
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इन फेक गोलियों में आर्सेनिक भरा होता है यह 72 घंटो के अंदर सिर्फ बनने वाले भ्रूण को खत्म नही करता बल्कि पूरा का पूरा fertility_system ही करप्ट कर देता है…
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शुरू में तो गोलिया खाकर सती_सावित्री बन जाती हैं लेकिन शादी के बाद पता चलता है ये अब माँ नही बन सकती…
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तो सबको पता चल जाता है इनका भूतकाल कैसा रहा है, पर कोई बोलता नही जिन्दगी खुद अभिशाप बन जाती है…
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सरकार हर साल मातृत्व_सुरक्षा, जननी सुरक्षा, बेटी बचाओ जैसी योजनाओ के नाम पर करोड़ो ₹ फुक देती है।
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आज हालत ये हैं 13-14 साल की बच्चिया बैग में i-pill लेकर घूम रही है ये मरेंगी नही तो क्या होगा…
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और ऐसी जहरीली चीजे valentine पर medical mafia भारतीय बाजारों में जानबुझकर उतारता है…
——- क्युकी सबको पता है, भारत में बुद्धिजीवी वर्ग का कोई मान नही होता …पहले ये लड़कियों को जहर खिलाकर बीमारी देते हैं…फिर उसकी दवाई बेचकर अरबो रूपये कमाते हैं…जिसमे नेता भी कमाई करते हैं…क्युकी ऐसे जहर को बेचने का परमिट और उनकी चेकिंग न करवाने का काम नेता ही कर सकते हैं…
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बेटी आपकी, तो उसकी जिम्मेदारी भी आपकी… इस valentine उसके पीछे संत – महापुरुष का ही नही बल्कि आप खुद सजग रोहोगे , देखने पर विरोध करोगे।
समय है वेलेंटाइन जैसे कुकर्म को बढ़ावा देने वाले घटिया मानसिकता की जगह जगह अपने माता पिता का पूजन कर देश की युवा पीढी को सुदृढ़ बनाने का…..🙏👍🏻
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या फिर अगर चाहते हो आपकी बेटे- बेटी जमके अय्याशी करे, और बाद में कैंसर , बाझपन, STD की वजह से मर जाए और आपका बोझ हल्का हो…
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तो एक ही बार में सल्फास दे दो…
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समस्या आपके बेटी की अय्याशी और उसके मरने से नही, समस्या होती है, जो दवाईया बेचकर विदेशी कम्पनिया हर साल हमारे देश का अरबो रुपया लुट लेती हैं उससे है…✍️
रंगबाज सेना
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अपने खास दोस्तों को भी ना बताया करो कि किसके साथ रंग रेलियां मना रहे हो,
या मनाने जा रहे हो….
ऐसे ही दोस्त, अपने दोस्त की बीवी को बताकर झगड़ा करवाएंगे ताकि वो पत्नी से दूर हों, और वो भाभीजी संग मौज मस्ती कर पाएं…
दोस्तों ऐसे दर्जनों मामले सोशल मीडिया पर वायरल हैं… जिनमें पत्नी अचानक होटल या पति की सेफ जगह पहुंच जाती है, जहां वो अक्सर अय्याशी या नशेबाजी करते हैं..
फिर दै चप्पल पर चप्पल बरसती है और झोंटा नोचौव्वल तक हो जाती है..!!
पुलिस केस और मुकदमे बाजी तो धरी ही है, और सोशल मीडिया पर वायरल होना कोई बड़ी बात नहीं ।।
कुछ मामलों में पत्नी को पहले से आभास होता है कि उसके पति का कहीं चक्कर है और वो ऐसे ही मौका ढूंती रहती है और अपने पति के दोस्तों को फुसलाकर पूछती रहती है..!!
कुछ औरतों का तो खुद चक्कर चलता है और वो इंतजार में रहती है कि किसी तरह पति का भी लफड़ा रंगे हाथ पकड़ लूं तो मुकदमा करके इससे छुटकारा ले लूं…
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दोनों ही सूरतों में पत्नियां, जासूसी के लिए पति के करीबी दोस्तों का ही चुनाव करती हैं… अब सोचने वाली बात यह है कि दूसरी औरत तो किसी की पत्नी को बताएगी नहीं…कि मैं आपके पति के साथ आज इंगेज्ड हूं
ऐसी ओछी हरकत अक्सर पुरुष ही करता है कि वो आज किसी से मिलने जा रहा है,
वह अपने दोस्तों को शेखी बघारते हुए या बड़बोले पन में बता आता है….आज जा रहा हूं,एक और फीता काटने..!!
पुरुष का वही दोस्त विभीषण होता है…!!
ध्यान रहे,, स्मरण रहे.. जिनको आप अपनी अय्याशी के किस्से सुनाते हैं, वही लोग नाराजगी में और पीठ पीछे आपका उपहास उड़ाते हैं..!!
कुछ बातें और कुछ यादें, डार्क सीक्रेट ही रहनी चाहिए…….👍🏿
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अब यदि पुरुष को शक हो कि उसकी पत्नी का किसी से चक्कर है और वह इसकी जानकारी उसकी सहेलियों से निकल सकता है तो पुरुष सबसे बड़ी गलतफहमी में है क्योंकि उसकी पत्नी की सहेलियां ही तो मिलन की सूत्रधार होती है…
अपनी सहेली संग मार्केट या किटी पार्टी या कहीं बाहर घूमने जाने के नाम पर ही औरतें निकलती है,,,और रास्ते में मिल जाते हैं उनके प्रेमी…❗
जब तक छुपा सकती है, छुपाती है महिलाएं अपने अवैध संबंध को,,,,जिस दिन उजागर होता है तो वो उल्टे ही झूठे मुकदमे दर्ज करने से भी परहेज़ नहीं करती हैं और कुछ तो अपने प्रेमी संग मिलकर पति को ही निपटने की योजना बनाने लग जाती हैं..✍️