विशेष

“शीला क्या तुम मेरे प्रेम में हो”

Kranti Kumar
@KraantiKumar
माँ आनंद शीला उर्फ़ शीला पटेल ने पहली बार रजनीश को 1969 में मुंबई के मालाबार हिल के फ्लैट में देखा.

शीला को देखते ही रजनीश ने कहा “शीला क्या तुम मेरे प्रेम में हो” शीला ने कहा हां भगवान मैं आपके प्रेम में हूँ. जवाब में रजनीश ने भी कहा “सच तो ये भी है कि मैं भी तुम्हारे प्रेम में हूँ”.

मुंबई के फ्लैट से पुणे स्थित बड़े आश्रम का सफर तय करते हुए रजनीश अमेरिका के ओरेगन राज्य में हज़ारों एकड़ भूमि पर बना विशाल रजनीशपुरम आश्रम तक सफर शीला और रजनीश ने साथ साथ तय किया.

◆◆◆
वो शीला ही थी जिन्होंने रजनीश के विचारों को व्यापार के माध्यम से दुनिया के कोने कोने तक फैलाया. रजनीश ने हर विषय पर बोला, अपने व्यक्तव्य का 40% डिस्कोर्स उन्होंने बुद्धा और ध्यान पर दिया है, सेक्स पर केवल 10% बोले और लिखा.

लेकिन दुनिया ने उन्हें सेक्स गुरु के सिम्बोल से चिपका दिया. रजनीश सही थे दुनिया सेक्स के रोग से पीड़ित है और वे बीमारी का इलाज करना चाहते थे, इलाज बड़ा सरल था “संभोग से समाधी”(उनकी महान रचना).

वैसे उनके फ्री सेक्स वाली थिओरी से मैं भी सेहमत नही हूँ. लेकिन फ्री सेक्स है क्या, उनके फ्री सेक्स का अर्थ है पति पत्नी दोनों को एक साथ रहते हुए दूसरों के साथ रिश्ता कायम करने में कोई बुराई नहीं है ऐसा रजनीश का विचार है.

◆◆◆
तत्काल सुनते ही अहंकार खड़ा हो जाता है होना भी चाहिए आखिर हम जनवार थोड़ी हैं, लेकिन जनवार बलात्कार नही करते इंसान करता है, जंगल में रेड लाइट एरिया नही होता लेकिन इंसानी बस्ती में वेश्या होती हैं.

वेश्याओं से पूछिए उनके पास कौन आता है ? वे कहेंगी 90% प्रौढ़ पुरुष जो 99% विवाहित होते हैं. पुरुष का ध्यान पड़ोसन पर क्यों केंद्रित है. और महिलाएं भी पति से ज्यादा गैर पुरषों में रुचि लेती हैं.

कास्टिंग काउच, बलात्कार, छेड़ छाड़, भाभी को नहाते हुए चोरी से देखना, क्या स्त्री की दैहिक भूख में पुरुष बीमार नही है ? ऐसा पुरुष ना खुद तृप्त है ना अपनी पत्नी को तृप्त कर सकता है.

◆◆◆
अपनी पत्नी को अतृप्त कर चोरी चोरी आप घर के बाहर फ्री सेक्स तो कर रहे हो ?

कौन हो आप खुल कर सामने क्यों नही आते ? सोचे अगर आपकी पत्नी आप की तरह पराए पुरुष की तरफ आकर्षित होकर सेक्स करेगी तो ? आखिर उसके पास भी मन है आंखें है शरीर है.

रजनीश (ओशो) से असहमत हो सकते हैं लेकिन उन्हें अपमानित नही किया जा सकता. वे इस पृथ्वी पर बुद्ध की तरह समाज नई दृष्टि देने आए थे.

Photo : शीला पटेल एंड ओशो