दुनिया

शीत युद्ध के बाद तीन दशकों तक बाक़ी रहने वाली विश्व व्यवस्था अब बदल गई है, क्या चीन और रूस का रास्ता रोक पाएगा अमरीका?

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन ने वाशिंगटन के सामने मौजूद चुनौतियों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि इस समय दुनिया बहुत ही महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है और इस दौरान चीन विश्व व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहा है।

गुरुवार को एक प्रेस कांफ़्रेंस को संबोधित करते हुए सलिवन ने कहाः आज एक बार फिर दुनिया, अहम मोड़ पर खड़ी है। यह एक ऐसा दशक है, जब बहुत कुछ निर्धारित होने वाला है। चीन देश के भीतर और बाहर आर्थिक, राजनीतिक, सुरक्षा और तकनीक के क्षेत्रों में अपनी ग़ैर-उदारवादी नीतियों को आगे बढ़ा रहा है और पश्चिम से प्रतिद्विंद्विता कर रहा है। चीन एक ऐसा प्रतिद्वंद्वि है कि जो विश्व व्यवस्था को बदलने का इरादा रखता है और वह ऐसा कर भी सकता है। सलिवन का कहना था कि हमारा मानना कि भू-राजनीतिक क्षेत्र में चीन, अमरीका के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

चीन के बारे में अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नई चेतावनी और चीन को अमरीका के लिए सबसे बड़ी भू-राजनीतिक चुनौती क़रार देने से पता चलता है कि वाशिंगटन उस विश्व व्यवस्था को मिल रही चुनौती से कितना भयभीत है, जो उसने पूंजीवादी विचारधारा के सहारे दूसरों का शोषण करने के आधार पर बनाई है। अमरीका ने पिछले लंबे समय से चीन को अपने और पश्चिमी दुनिया के लिए सबसे बड़े ख़तरे के रूप में चिंहित किया है और बीजिंग की महत्वाकांक्षाओं का मुक़ाबला करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।

बाइडन प्रशासन ने बुधवार को प्रकाशित होने वाले अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा के दस्तावेज़ों में एक बार फिर चीन को निशाना बनाया है और उसे सबसे बड़ी चुनौती बताया है। बाइडन प्रशासन ने स्वीकार किया है कि इन दस्तावेज़ों में कि जिनमें चीन और रूस से मुक़ाबला करने के बिंदू पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए कहा गया है, वैश्विक स्तर पर बड़ा उलट-फेर हो रहा है और शीत युद्ध के बाद तीन दशकों तक बाक़ी रहने वाली विश्व व्यवस्था अब बदल गई है।

दर असल, वाशिंगटन को डर है कि चीन, रूस के साथ मिलकर तथाकथित उदारवादी विश्व व्यवस्था को चुनौती दे रहा है, जिसे अमरीका ने यूरोपीय देशों के साथ मिलकर स्थापित किया था। इसके बाद से विश्व व्यवस्था पर पश्चिम का सदियों पुराना एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। हालांकि चीन और रूस के अधिकारियों ने हमेशा ही इस बात पर ज़ोर दिया है कि विश्व व्यवस्था की वर्तमान स्थिति बदलनी चाहिए और नई व्यवस्था बहुध्रुवीय होनी चाहिए। जबकि अमरीका, इस सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, इसीलिए वह दुनिया के इन दो बड़े खिलाड़ियों चीन और रूस को जहां तक संभव हो सके, सीमित करने और कमज़ोर करने का प्रयास कर रहा है।