साहित्य

शिक्षा ”शेरनी” का दूध है जो पिएगा वह दहाड़ेगा!

Meghraj Singh
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शिक्षा शेरनी का दूध है जो पिएगा वह दहाड़ेगा ।
यह कहावत डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की है इस कहावत के ऊपर अंबेडकरवादी 100% यक़ीन करते हैं जो अंबेडकरवादी लीडर इस कहावत के उपर पूरा यक़ीन करते हैं मैं उन लीडरों से वायस वोफ मानवता न्यूज़ चैनल पर विचार चर्चा करना चाहता हूँ विचार चर्चा इस विषय पर होगी ।
(बहुजन समाज का कैसे उधार होगा और बहुजन समाज राज कैसे हासिल करेगा )
जिन लीडरो के अंदर शिक्षा शेरनी का दूध बन गया है वह इस विचार चर्चा में ज़रूर आएंगे ।
जिन लीडरो के अंदर शिक्षा बकरी का दूध बन गया है वह इस विचार चर्चा में कभी नहीं आएंगे ।
जो लीडर इस मैसेज को देख कर भी यह समझेंगे कि मैंने इस मैसेज को देखा या नहीं देखा किसी को क्या पता चलेगा वह कायर और डरपोक होंगे ऐसे लीडरों का दिमाग कभी भी विकास नहीं कर पाएगा ।
जो लीडर इस मैसेज को देखकर समझ कर के विचार चर्चा के लिए तैयार हो जाएंगे वहीं लीडर ताक़तवर और बेख़ौफ़ होंगे ऐसे लीडरों का दिमाग़ ही विकास कर पाएगा ।
नोट — जो बहुजन समाज के लीडर जिदें होंगे और जिन के अंदर शिक्षा शेरनी का दुध बन गया है वह इस विचार चर्चा में ज़रूर शामिल होंगे विचार चर्चा में आने वाले लीडरो को बहुत बडा सम्मान दिया जाएगा ।
विचार चर्चा में शामिल होने के लिए इस नंबर पर संपर्क करें ।
वॉट्सऐप नंबर+13474754233
(सतयुगी किंग M S Khalsa)

Meghraj Singh
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मेरे जीवन की कुछ दिलचस्प और सच्ची कहानियां नंबर 18 —
इंग्लैंड जाने के लिए मैंने शाम सिंह ने और मनफूल सिंह ने प्लान कर लिया था तो श्याम सिंह के भाई राम सिंह ने इंग्लैंड से हमारी स्पांसर भेज दी थी
हम तीनों ने मिलकर यह तह किया कि हम दिल्ली से इंग्लैंड का अप्लाई नहीं करेंगे मुंबई से अप्लाई करेंगे एक दिन हम तीनों ट्रेन में बैठकर मुंबई पहुँच गये जिस गुरूद्वारे में परमजीत सिंह कीर्तन किया करता था उसी गुरुद्वारे में हम तीनों पहुँच गए थे यह परमजीत वही है जो मुझे धूलिया गुरूद्वारे में मिला था और इसको मैंने अपना भाई भी बना रखा था ।
हमारे पास पेपर वर्क हो चुका था मैंने शाम सिह ने और मनफूल सिंह ने हम तीनों इंग्लैंड की एम्बेसी में अप्लाई कर दी थी उस वक़्त एक रागी जत्था और भी इंग्लैंड की अप्लाई करने आया था
जब हम अगले दिन इंग्लैंड की एम्बेसी में गए तो वहाँ पर लिस्ट लगी हुई थी लिस्ट में दो प्रकार के नाम होते हैं एक तो उनके नाम जिन के बीजे नहीं लगे हैं एक उन लोगों के नाम जिन के बीजे लग गए है बाक़ी के नाम उसमें लिखे होते हैं जिनके इंटरव्यू होने हो या जिनको अगली तारीख़ तक का समय दिया गया हो ।
तो ना तो उस लिस्ट में हमारे नाम थे और नाही उन तीन लड़कों के नाम थे तो हम तो बड़े ख़ुशी ख़ुशी वहाँ से अपने पासपोर्ट लेकर वापस आ गए हमने पासपोर्ट भी खोलकर नही देखें बस यह हमें उम्मीद थी कि हमारे बीजे लग गये है हमने रास्ते से लड्डू लिए और केले लिए फिर हम गुरूद्वारे चले गये और पासपोर्ट खोलकर देखने से पहले ही से हमने गुरु के आगे अरदास कर ली थी कि गुरु महाराज तेरी कृपा से हमारे इंग्लैंड के बीजे लग गए हैं जब हमने पासपोर्ट खोलकर देखें तो हक़ीक़त में ही बीजे लगे हुए थे ।
जो दूसरे रागी जत्थे ने हमारे साथ ही अप्लाई करी थी उनके बीजे नहीं लगे थे हमने उनके बारे में सुना था कि उन्होंने पूरी पूरी रात एक टाँग पर खड़े होकर सुखमनी साहिब जी के पाठ किये थे फिर भी उन लोगों के वीज़े नहीं लगे थे लेकिन हमने तो कोई एक टाँग पर खड़े होकर कोई भी पाठ नहीं किया था और नाही हमने कोई ऐसी अरदास करी थी कि गुरु महाराज हमें भी वीजा दे दो हमने तो सिर्फ़ अरदास करी थी और जैसे रोज़ाना गुरुवाणी के पाठ करते हैं वैसे ही पाठ किए थे ।
मुंबई से वीज़ा लेकर हम तीनों ख़ुशी ख़ुशी अपने घर लौट आए और मैं मुज़फ़्फ़रनगर गुरूद्वारे से अपना सामान लेकर अपने घर आ गया और इंग्लैंड की जाने की तैयारी करने लगे थे हमने पाँच जनवरी को हमले में इंग्लैंड जाने की तैयारी कर ली थी जिस वक़्त मैं अपने घर से इंग्लैंड जाने के लिए तैयारी कर रहा था उस वक़्त परदीप कौर का जन्म भी होने वाला था तो जिस वक़्त मैं घरवाली को घर छोड़कर के वहाँ से इंग्लैंड के लिए चलने लगा तो घरवाली रोने लगी और कहने ली मुझे किस के भरोसे छोड़ के जा रहा है घरवाले की यह दर्द भरी बात सुनकर मेरे भी आँखों में आँसू को आने वाले थे पर फिर भी मैंने अपने आप को रोक लिए थे ।
मैं और श्याम सिंह और मन फूल सिंह हम तीनों दिल्ली से फ़्लाइट में बैठकर बर्मिंघम इंग्लैंड में पहुँच गए थे वहाँ एयरपोर्ट पर हमें तीन घंटे रोक कर रखा एयरपोर्ट के अंदर बैठाकर हमें बहुत ज़्यादा प्रश्न पूछ रहे थे पर हमें पता नहीं लग रहा था कि वह क्या पूछ रहे हैं वह इंग्लिश में प्रसन्न पूछ रहे थे फिर उन्होंने हमें पूछा कि तुम कौन सी भाषा जानते हों तो हमें बताया गया है पंजाबी भाषा में हम बात कर सकते हैं तो उन्होंने पंजाबी ट्रांसलेटर को मंगवाया वह लड़की थी तो उन्होंने हमारी बहुत पूछताछ करी हमें ऐसा लग रहा था कि यह हमें वापस यहाँ से इंडिया भेज दंगे हमें बहुत परेशानी आ रही थी उधर एयरपोर्ट के बाहर राम सिंह पुरे फ़ैमिली के साथ में हमें लेने आ गए और वह हमें वापस भेजने के पेपर तैयार कर रहे थे हम मन ही मन में गुरु के आगे अरदास कर रहे थे और सोच रहे थे अगर हम वापस चले गए तो हमारा कर्ज़ा कौन उतारेगा ।
तब गुरू ने अरदास सुनी हमारी और कुछ देर बाद उन्होंने फ़ैसला किया कि इनके पासपोर्ट एयरपोर्ट पर रख लेते हैं इनको 15 दिन के लिए पेपर के ऊपर एंट्री दे देते हैं राम सिंह की वजह से हमें पेपर के ऊपर 15 दिन के लिए एंट्री मिली थी यह इतिहास में पहली बार हुआ था के बिना पासपोर्ट किसी ब्रिटिश कंट्री में जाने के लिए एंट्री 15 की पेपर पर मिली हो 15 दिन के बाद फिर हमें उन्होंने एयरपोर्ट पर बुलाया था जब हम 15 दिन की एंट्री लेकर बाहर निकले तो राम सिंह जी हमारा बाहर इंतज़ार कर रहे थे तो हम बस में बैठकर उन के घर चले गए थे ।
राम सिंह के घर हमारी मुलाक़ात पवन कुमार से हुई पवन कुमार ने हमें अपने हाथ से मुझे भी मनफूल सिंह को भी और शाम सिंह को भी बीस बीस पाउंड हेल्प के लिए दिए थे फिर दो दिन हम राम सिंह जी के घर रहे हैं उसके बाद उन्होंने हमें साउथ हाल भेज दिए थे राम सिंह जी ने हमें एक फ़ोन भी दिया था बातचीत करने के लिए तो हम दिन मे दो तीन बार राम सिंह जी से बात कर लेते थे उन्होंने हमारी ड्यूटी एक हफ़्ते के लिए गुरुद्वारे में लगवा दी थी जहाँ मैं कीर्तन भी करता था और और ग्रंथि की ड्यूटी भी कर रहे था जब भी कीर्तन करते थे मन में ही अरदास करते थे हे गुरु साहब हमारे पासपोर्ट एयरपोर्ट पर फँसे हुए हैं तो हमे किसी ना किसी तरीक़े से हमारे पासपोर्ट वापस दिलवा दे हमें किसी ने बताया कि अगर कोई भी गुरुद्वारा हमे एक लैटर लिखकर दे दें तो वह पासपोर्ट हमारे वापस दे सकते हैं तो हम लैटर के लिए गुरुद्वारा ढूंढ रहे थे वहाँ हमें एक कुलदीप सिंह नाम का बंदा मिला जिसने हमारी एक गुरुद्वारे के प्रधान से बात करवा दी थी कि वह हमे गुरूद्वारे का लैटर हमें दे देंगे ।
हमारी बात लैटर के बारे गुरुद्वारे के प्रधान से हो चुकी थी उन्होंने हम से तक़रीबन 500 पाउंड एक लैटर के माँगे थे तो हमने उधर उनसे लैटर के लिए भी तैयारी कर ली थे उधर टेंशन लिए हो रही थी की 15 दिन के बाद में एयरपोर्ट पर जाना है जब हम गुरूद्वारे से लैटर लेने करने के लिए जा रहे थे उधर राम सिंह जी का फ़ोन आ गया कि आप लोगों को लैटर की ज़रूरत नहीं है आप लोग ऐसे ही आ जाओ क्योंक एयरपोर्ट से उनको फ़ोन आया था कि वह अपने पासपोर्ट लेने आ जाए हमें यह भी डर था कि कहीं एयरपोर्ट पर बुलाकर हमें वापस इंडिया ना भेज दें तो मैं श्याम सिंह और मनफूल सिंह हम तीनों एयरपोर्ट पर पासपोर्ट लेने के लिए पहुँच गये वाहेगुरु की ऐसी मेहर हुई कि उन्होंने हमें पासपोर्ट पर एंट्री देकर हमें पासपोर्ट वापस कर दिए थे ।
फिर हम बड़ी ख़ुशी ख़ुशी अपने पासपोर्ट लेकर राम सिंह जी के घर आ गए थे फिर हमने ग्लास्गो गुरूद्वारे में एक महीना लगाया फिर वहाँ से वापस आए और वापस आकर के हमने इंग्लैंड से से ही अमेरिका का वीज़ा लेने का प्लान कर लिया था अमेरिका का वीज़ा हमने कैसे लिया था इस बात को में अगले भाग में बताऊँगा ।—-
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(सतयुगी किंग M S Khalsa)

Meghraj Singh
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मेरे जीवन की कुछ दिलचस्प सच्ची कहानियों नंबर 17—
जब मेरी जगाधरी वर्कशाप गुरुद्वारे से छुट्टी हो चुकी थी उसके बाद में मैंने चरण सिंह साथ जत्था बनाया जत्था बनाकर मेने मुज़फ़्फ़र नगर रुड़की रोड गुरुद्वारा कीर्तन की ट्राई किया तो हम वहाँ पास गए उसके बाद में हमने ड्यूटी शुरू कर थी वहाँ हमारी तनखा 5000 रुपये थी कुछ दिन तो कीर्तन की ड्यूटी ठीक चलती रही चरण सिंह साइड पर बैठकर भी अपने आपको जत्थेदार ही समझता रहा राजबीर सिंह तबले वाला था उसने कुछ दिन ड्यूटी ठीक करी फिर उसके बाद किसी कारण से राजबीर सिह छोड़कर चला गया फिर उसके बाद रोहतास सिंह तबले वाला आया रोहतास सिंह ने मेरे साथ में काफ़ी लंबे समय काम किया फिर साइड वाला चरण सिंह जो साइड पर बैठ कर भी जत्थेदार ही समझता रहा वह भी किसी कारण से छोडकर चला गया उसके बाद सोहन सिंह आया यह मेरे साथ तो विद्यालय में भी पड़ा था इसको मैंने साइड में रख लिया था ।
सोहन सिंह के अंदर एक ख़ास बात थी वह गुरुग्रंथ साहिब जी का हुक्मनामा बहुत ही अच्छे तरीक़े से पडता था लेकिन ना तो उसको साइड काम आता था और नाही उसको सही तबला बजाना आता था फिर भी वह प्रयास कर रहा था मैंने उसको कीर्तन करना सिखाया और उसको साथ में रखा वह बहुत अच्छा काम चलने लगा था ।
मेरे अंदर एक बहुत बड़ी कमी थी जिसको मैं अभी तक किसी को नहीं बताई जब भी गुरु ग्रंथ साहिब के आगे अरदास किया करता था जब मै अरदास शुरू करता था उस वक़्त मैं आराम आराम से शुरू करता था और लास्ट मैं जाकर बहत तेज़ अरदास करने लग जाता था क्योंकि अरदास करते वक़्त डर के मारे मेरी टाँगें कांपने लगती थी ।
मुज़फ़्फ़रनगर गुरूद्वारे के सेक्रेटरी प्रधान और सेवादार सभी के सभी मेरा सम्मान करते थे क्योंकि मेरी शकल तो सीधे सादे इंसान के जैसी है इसलिए सब के सब वहाँ के लोग मेरा बहुत सत्कार करते थे इस गुरुद्वारे में रहते हुए मेरी बड़ी बेटी तरनजीत कौर का जन्म हुआ तरनजीत कौर का जन्म उनकी नानी के घर हुआ था मैं मुज़फ़्फ़रनगर गुरूद्वारे में ड्यूटी कर रहा था तब मुझे फ़ोन आया कि लड़की का जन्म हुआ है तब मैं सुबह गुरूद्वारे में अरदास करवाकर अपनी बेटी को देखने के लिए जगाधरी चला रहा जब मैंने पहली बार अपनी बेटी को गोद में उठाया तब मुझे बहुत ख़ुशी मिल रही थी जब तरनजीत कौर एक साल की हो गई थी तब वह मुझे बहुत ज़्यादा परेशान करती थी जब भी मैं बाज़ार में सामान लेने जाता था तब वह मेरे साथ ही जाती थी समान लेने चाहे जितनी मर्ज़ी दुर जाना हो फिर वह मेरे साथ ही जाती थी मुझे बहुत परेशान करती थी लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगता उसको गोद में उठाकर चलाना और सामान लेकर चलना क्योंकी सामान भी मेरा ही था और बेटी में मेरी थी ।
एक दिन अचानक घर से फ़ोन आया और पता लगा कि मेरे बड़े भाई रामकुमार की एक्सीडेंट में टाँग टूट गई थी तो मैं उससे मिलने सहारनपुर चला गया सहारनपुर जाने के बाद वहा मेरी शाम सिंह से मुलाक़ात हुई शाम सिह वही है जो मेरे साथ मुंबई भी गया था उल्हासनगर भी रहा और धुलिया भी रहा उससे फिर सहारन पुर मुलाक़ात हुई बात करते करते हैं हमने विदेशों में जाने का प्लान किया पहले मै इंग्लैंड या USA में जाने के बारे में सोच रहा था फिर शाम सिंह से बात करते करते श्याम सिंह ने मुझे सलाह दी कि हम पहले मलेशिया सिंगापुर थाईलैंड जाएंगे उसके बाद में हम इंग्लैंड जाने का प्लान करेंगे ।
फिर मैंने इस शाम सिंह के साथ और मनफूल सिंह के साथ जत्था बनाकर दिल्ली जाकर सिंगापुर का वीजा ले लिया था जब हम बांग्लादेश विमान में बैठने के लिए चले गए मैं पहली बार एयरपोर्ट पर गया था और पहली बार ही मैं जहाज़ के अंदर बैठा था जहाज़ में बैठकर मैं बहुत घबराया और जब जहाज़ आसमान में उड़ने लगा तब मै गुरबानी पड़नी शुरू कर दी थी और गुरु के मन ही मन मै गुरु किया के अरदास कर रहा था कि गुरु हमारी रक्षा करना ।
जब जहाज़ बहुत ऊपर चला गया उसके बाद ऐसा लगा कि जहाज़ एक दम से 500 मीटर ऊपर नीचे आया और मुझे लगा कि अब तो मौत के क़रीब पहुँच गए हैं शायद हम मर जाएंगे उस वक़्त बहुत डर लग रहा था फिर वह जहाज़ के आसमान में आराम से उड़ने लगा फिर वह जहाज़ बांग्लादेश एयरपोर्ट पर जाकर उतर गया फिर वहाँ से उनकी गाड़ियां हमे लेकर होटल में लेकर चली गई वहाँ दो दिन रुके फिर उसके बाद में हम थाईलैंड एयरपोर्ट पर उतरे और वहीं से थाईलैंड के अंदर जाने का वीज़ा काउंटर से मिल गया था फिर हम गुरूद्वारे में गये वहां का गुरुद्वारा बहुत शानदार था वहाँ हम दो दिन रुके फिर हमने सिंगापुर के लिए जहाज़ पकड़ लिया था फिर सिंगापूर चले गए सिंगापूर तीन दिन रुके हैं सिंगापुर से हमने मलेशिया के वीज़ा लिया है फिर मलेशियाई चलें गये मलेशिया मे हम तीन दिन रह फिर वापस इंडिया आ गए थे इस सफ़र के अंदर मेरे मन फूल सिंह के और श्याम सिंह के तक़रीबन 40 हजार 40 हजार रूपये लग गए थे ।
जब हम अपने घर पहुँचे तब मैंने जो जहाज़ 500 मीटर नीचे आया था वही बात वारदात अपने सालों को बतायी फिर मेरी घरवाली ने और सालों ने मिलकर मेरी बहुत मज़ाक बनायी और सब के सब ख़ुश हो रहे थे उसके बाद मैं मुज़फ़्फ़रनगर हैं दो महीने रहा फिर उसके बाद मैंने और श्याम सिंह और मनफूल सिंह के साथ जत्था बनाकर इंग्लैंड की अप्लाई करी थी इंग्लैंड कैसे गए इस बात को मैं अगले भाग में बताऊँगा —-
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(सतयुगी किंग M S Khalsa)