साहित्य

शायद….लड़कियाँ इसीलिए मायके आती होंगी कि…

रंगबाज सेना
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पिताजी जोऱ से चिल्लाते हैं……. ।
मैं दौड़कर आता हू , और पूछता हु । क्या बात है पिताजी ?
पिताजी – तूझे पता नहीं है, आज तेरी बहन आ रही है ? वह इस बार हम सभी के साथ अपना जन्मदिन मनायेगी ।

अब जल्दी से जा और अपनी बहन को लेके आ,हाँ और सुन… तू अपनी नई गाड़ी लेकर जा जो तूने कल खरीदी है… उसे अच्छा लगेगा
मैं – लेकिन मेरी गाड़ी तो मेरा दोस्त ले गया है सुबह ही… और आपकी गाड़ी भी ड्राइवर ये कहकर ले गया कि गाड़ी की ब्रेक चेक करवानी है।

पिताजी – ठीक है तो तू स्टेशन तो जा किसी की गाड़ी लेकर या किराया की करके ? उसे बहुत खुशी मिलेगी ।

मै – अरे वह बच्ची है क्या जो आ नहीं सकेगी? आ जायेगी आप चिंता क्यों करते हो कोई टैक्सी या आटो लेकर—-
पिताजी – तूझे शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए? घर मे गाड़ियाँ होते हुए भी घर की बेटी किसी टैक्सी या आटो से आयेगी?
मैं – ठीक है आप जाओ मुझे बहुत काम है मैं जा नहीं सकता ।

पिताजी – तूझे अपनी बहन की थोड़ी भी फिकर नहीं? शादी हो गई तो क्या बहन पराई हो गई ? क्या उसे हम सबका प्यार पाने का हक नहीं? तेरा जितना अधिकार है इस घर में, उतना ही तेरी बहन का भी है। कोई भी बेटी या बहन मायके छोड़ने के बाद पराई नहीं होती।

मैं – मगर मेरे लिए वह पराई हो चुकी है और इस घर पर सिर्फ मेरा अधिकार है ।

तडाक …… तडाक…..

अचानक पिताजी का हाथ उठ जाता है मुझपर और तभी माँ आ जाती है ।
मम्मी – आप कुछ शरम तो कीजिए ऐसे जवान बेटे पर हाँथ बिलकुल नहीं उठाते।

पिताजी – तुमने सुना नहीं इसने क्या कहा ? अपनी बहन को पराया कहता है ये वही बहन है जो इससे एक पल भी जुदा नहीं होती थी- हर पल इसका ख्याल रखती थी। पाकेट मनी से भी बचाकर इसके लिए कुछ न कुछ खरीद देती थी। बिदाई के वक्त भी हमसे ज्यादा अपने भाई से गले लगकर रोई थी। और ये आज उसी बहन को पराया कहता है।

मैं – (मुस्कुराकर) “बुआ का भी तो आज ही जन्मदिन है ना पापा” वह कई बार इस घर मे आई है “मगर हर बार अॉटो से आई है “.आपने कभी भी अपनी गाड़ी लेकर उन्हें लेने नहीं गये….

माना वह आज वह तंगी मे है मगर कल वह भी बहुत अमीर थी । आपको मुझको इस घर को उन्होंने दिल खोलकर सहायता और सहयोग किया है। बुआ भी इसी घर से बिदा हुई थी फिर रश्मि दी और बुआ मे फर्क कैसा। रश्मि मेरी बहन है तो बुआ भी तो आपकी बहन है।

“पापा” आप मेरे मार्गदर्शक हो आप मेरे हीरो हो मगर बस इसी बात से मैं हरपल अकेले में रोता हूँ। की..तभी बाहर गाड़ी रूकने की आवाज आती है…. ।
तब तक पापा भी मेरी बातों से पश्चाताप की आग मे जलकर रोने लगे और इधर मैं भी कि दीदी दौड़कर पापा मम्मी से गले मिलती है..लेकिन उनकी हालत देखकर पूछती है कि क्या हुआ पापा ?

पापा – तेरा भाई आज मेरा भी पापा बन गया है ।
रश्मि – ए पागल… !! नई गाड़ी न? बहुत ही अच्छी है मैंने ड्राइवर को पीछे बिठाकर खुद चलाके आई हूँ और कलर भी मेरी पसंद का है।
मैं – “happy birthday to you Di…”
वह गाड़ी आपकी है और हमारे तरफ से आपको “birthday gift..”!

बहन सुनते ही खुशी से उछल पड़ती है कि तभी “बुआ” भी अंदर आती है

बुआ – क्या भैया आप भी न ? न फोन न कोई खबर , अचानक भेज दी गाड़ी आपने, भागकर आई हूँ खुशी से “ऐसा लगा कि पापा आज भी जिंदा हैं ..”
इधर पिताजी अपनी पलकों मे आँसू लिये मेरी ओर देखते हैं..और मैं पापा को चुप रहने का इशारा करता हु ।

इधर बुआ कहती जाती है कि मैं कितनी भाग्यशाली हूँ । कि “मुझे बाप जैसा भैया मिला,” ईश्वर करे मुझे हर जन्म मे आप ही भैया मिले…
“पापा -मम्मी को पता चल गया था कि..ये सब प्रिंस की करतूत है,मगर आज फिर एक बार रिश्तों को मजबूती से जुड़ते देखकर वह अंदर से खुशी से टूटकर रोने लगे। उन्हें अब पूरा यकीन था कि…मेरे जाने के बाद भी मेरा बेटा रिश्तों को सदा हिफाजत से रखेगा..

“बेटी और बहन”
ये दो बेहद अनमोल शब्द हैं जिनकी उम्र बहुत कम होती है । क्योंकि शादी के बाद बेटी और बहन किसी की पत्नी तो किसी की भाभी और किसी की बहू बनकर रह जाती है। शायद…. लड़कियाँ इसी लिए मायके आती होंगी कि…
उन्हें फिर से “बेटी और बहन” शब्द सुनने को बहुत मन करता होगा !!
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