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शादी के वादे पर आधारित बनाया गया शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं माना जा सकता : न्यायालय

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध शादी के वादे पर आधारित है जो किन्हीं कारणों से पूरा नहीं हो सका तो इसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। अदालत ने भुवनेश्वर के एक व्यक्ति पर लगाए गए दुष्कर्म के आरोप को रद्द कर दिया। उनके खिलाफ आरोप एक महिला ने लगाए थे, जो याचिकाकर्ता की दोस्त है और पांच साल से अपने पति के साथ वैवाहिक विवाद में है।

न्यायमूर्ति आरके पटनायक ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ धोखाधड़ी जैसे अन्य आरोपों को जांच के लिए खुला रखा जाता है। वादे को अच्छे विश्वास में किया जाता है। वादा पूरा न होना और शादी करने के झूठे वादे के बीच एक सूक्ष्म अंतर है। उच्च न्यायालय के तीन जुलाई के आदेश में कहा गया है, पहले मामले में इस तरह की किसी भी अंतरंगता के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं बनता है, जबकि बाद का इस आधार पर है कि शादी का वादा शुरू से ही झूठा था।

पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश में कहा था कि अगर एक व्यक्ति लड़की को शादी का आश्वासन देकर शारीरिक संबंध बनाते हैं, जो किन्हीं कारणों से बाद में नहीं बन हो पाती है तो इसे इस दावे के साथ दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता कि वादा तोड़ा गया है। अदालत ने मामले के संबंध में कहा, एक खट्टे रिश्ते को हमेशा अविश्वास के प्रोडक्ट के रूप में ब्रांडेड नहीं किया जाना चाहिए और पुरुष साथी पर कभी भी दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाना चाहिए।

भ्रष्टाचार के मामले में तीन अधिकारी बर्खास्त, छह की पेंशन रोकी
भ्रष्टाचार के मामलों में ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को नौ दागी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। एक अधिकारी ने बताया कि भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध होने के बाद सरकार ने तीन अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया, जबकि छह अन्य की पेंशन स्थायी रूप से रोक दी। उन्होंने कहा, राज्य सरकार 2019 से अब तक भ्रष्टाचार के लिए 197 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है।