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वोट नहीं डालने पर सज़ा और जुर्माना, राष्ट्रपति मुर्मू ने अनिवार्य मतदान विधेयक 2022 पर संविधान के अनुच्छेद 117 के तहत विचार करने की अनुशंसा कर दी

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनिवार्य मतदान विधेयक 2022 पर संविधान के अनुच्छेद 117 के तहत विचार करने की अनुशंसा कर दी है।

बीजेपी सांसद दीपक प्रकाश ने 22 जुलाई को इस बिल को निजी सदस्य विधेयक के तौर पर पेश किया था। इस निजी विधेयक के वित्तीय प्रभाव की वजह से सदन को विचार करने और पारित करने से पहले राष्ट्रपति की संवैधानिक मंज़ूरी ज़रूरी थी। अब इस बिल पर आने वाले शीतकालीन सत्र में चर्चा हो सकती है।

यह निजी विधेयक पेश करने वाले सांसद का कहना है कि बहुत से प्रयासों के बावजूद, देश में 60 फ़ीसदी से ज़्यादा मतदान नहीं होता है। इस बिल में वोट नहीं डालने पर सज़ा और जुर्माना तो वहीं लगातार वोट डालने पर प्रोत्साहन का प्रस्ताव है।

दीपक प्रकाश का यह बिल इस तरह का 17वां बिल है, लेकिन अभी तक सभी बिल या तो वापस ले लिए गए या फिर पास नहीं हो सके।

1998 में पेश किए गए बिल की तरह ही इस बार के बिल में भी मतदान नहीं करने पर वैसी ही सज़ा या जुर्माने का प्रस्ताव है। जैसे कि 1998 के बिल में 100 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव था तो इस बिल में 500 रुपये जुर्माने का प्रस्ताव है। 1998 के बिल में एक दिन जेल की सज़ा की बात थी तो इस बिल में दो दिन जेल की बात है। इसी तरह सरकारी कर्मचारियों के चार की जगह दस दिन के वेतन काटने और एक की जगह दो साल तक प्रमोशन नहीं करने की सज़ा की बात है। 1998 में जहां छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराने की बात थी। इस बिल में 10 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराने की बात है