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वोटिंग प्रतिशत का डेटा सार्वजनिक करने से चुनाव मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी : चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वेबसाइट पर हर मतदान केंद्र के वोटिंग प्रतिशत का डेटा सार्वजनिक करने से चुनाव मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी. ये मशीनरी पहले ही लोकसभा चुनावों के लिए काम कर रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, चुनाव आयोग ने खुद पर लग रहे उन आरोपों को भी ख़ारिज किया, जिसमें कहा जा रहा है कि शुरुआती दो फ़ेज़ के चुनाव में जो मतदान का औसतन डेटा चुनाव के दिन दिया गया, उसमें और कुछ दिन बाद जब वोटिंग परसेंट का आखिरी डेटा जारी किया गया तो उसमें ‘5 से 6 फ़ीसदी’ का अंतर था.

चुनाव आयोग ने कहा कि “पूरी जानकारी देना” और फॉर्म 17सी को सार्वजनिक करना वैधानिक फ्रेमवर्क का हिस्सा नहीं है. इससे पूरे चुनावी क्षेत्र में गड़बड़ी हो सकती है. इन डेटा की तस्वीरों को मॉर्फ़ किया जा सकता है.

17सीवो फॉर्म है, जिसमें एक पोलिंग बूथ पर डाले गए वोटों की संख्या दी होती है.

ये बात चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के दिए गए हलफ़नामे में कही है. ये जवाब कोर्ट ने असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एनजीओ की याचिका के जवाब में दी है. एस एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग अभी लोकसभा चुनाव के दौरान 48 घंटे के अंदर हर पोलिंट स्टेशन पर वोटों का डेटा जारी करे.