मनोरंजन

… वे भी बेचैनी के साथ गा रहे हैं-आजा आजा…

Sinky
===============
नब्बे के दशक का कोई साल होगा, और जनवरी का पहला दिन। बिहार के सुदूर गोपालगंज जिले का एक गुमनाम सा गाँव! बड़ी सी टीवी के स्क्रीन पर vcp कैसेट से फिल्म चल रही है। टोले के लड़कों ने दो दो रुपये चन्दा वसूल कर वीडियो चलवाने की व्यवस्था बनाई है। हीरो हैं ऋषि कपूर! दर्शकों से खचाखच भरा हुआ है तिवारी जी का दुआर। हालांकि बुजुर्ग तिवारी जी मन ही मन भनभना रहे हैं, “सरवा सब रात भर मूत मूत के दुआर बसवा देगा…”

पर्दे पर हीरोइन का विवाह हो रहा है, और हीरो गायब है। हीरोइन हीरो का इंतजार कर रही है। इधर लोग बाग आ गए हैं। कौवाली वाले गीत शुरू करते हैं, आजा आजा… देर न हो जाय कहीं…

हीरो भी अपनी गाड़ी लेकर चल पड़ा है बरसात में। हीरो झूमते हुए गा रहा है, मुस्कुरा रहा है। इधर दर्शकों में बेचैनी पसर गयी है। हीरो समय से नहीं पहुँचा तो साला गुंडवा का बेटा हीरोइन को बियह ले जाएगा… वे भी बेचैनी के साथ गा रहे हैं- आजा आजा…

उधर उदास खड़ी हीरोइन से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वह कौवाली की ताल से ताल मिला कर गजल के शेर गाना शुरू करती है- दिल दिया, प्यार की हद थी! हम जल रहे फिर भी शरीर गर्म नहीं, यह मेरे बुखार की हद थी…

जब एक अंतरा पूरा होता है तो दर्शकों को लगता है, अब पहुँच जाएगा हीरो। पर यह क्या, हीरो तो दुबारा राग पकड़ने लगा… लोगों की बेचैनी बढ़ गयी है। दर्शक हीरो की बहन-महतारी को याद करने लगे हैं। यह देश मोहब्बत के नाम पर कुछ ज्यादा ही भावुक हो जाता है। अगली पंक्ति में बैठी तिरबेनी बो भउजी चिढ़ कर कहती हैं- मार मुतपियना के! एने जिस्म से जान जुदा हो रही है, और ई उफरपरना गीत गा रहा है। जल्दी आव न रे…

उधर हीरोइन की भी बेचैनी पल पल बढ़ती जा रही है। फिल्मों में जब हीरोइन बेचैन होती है तो नाचने लगती है। यहाँ भी यही होता है। हीरोइन कौवाली वाली लड़कियों के साथ लय में ठुमका मारने लगी है… दिल के दर्द को कंट्रोल करना हो तो ठुमका मारना ही रामबाण उपाय है। आजा रे माही तेरा रस्ता उडीक दियाँ…

हीरो अभी मुस्कुरा मुस्कुरा कर गाड़ी चला रहा है, जैसे उसे कोई फिक्र ही न हो। इधर दर्शक बेचैन हैं। दर्जनों लड़के हैं जिनका बस चले तो वे हाथ में अपना कलेजा लेकर पहुँच जाँय हीरोइन के पास… पर हीरो सार ओल पर माटी चढ़ा रहे हैं। आव ना रे सरवा…

हीरोइन को जितना याद था, उतना गा चुकी। नाच कर थक चुकी, पर हीरो नहीं पहुँचा। अब वह सरगम का सुर मिलाने लगी है। सागामा पागा… निसा गारिसा गारिसा… पानी पानी… सरवा हीरो के आँख में पानी हो तब तो…

दर्शक दीर्घा के बूढ़े अब हीरो की लापरवाही से बुरी तरह चिढ़ चुके हैं। आवाज उठी है- कैसे मउग हीरो का फिलिम लगा दिया रे, निकालो कैसेट! दूसरा फिलिम लगाओ… मिथुनवा का लगाओ, भा धरमेन्दर का लगाओ…

ठीक उसी समय हीरो की गाड़ी पहुँचती है हीरोइन के दुआर पर… दर्शक चिल्ला उठे हैं। तालियां बज रही है। सबका करेजा जुड़ा गया है। जैसे भारत ने बीसकप जीत लिया हो। आनन्द बरस गया है। हीरोइन का ठुमका सफल हुआ…

जैसे उस हीरोइन के दिन फिरें, वैसे ही तापसी जी के भी फिरें… बोलिये प्रेम से, सर्वेश बाबा की जय….

डिस्क्लेमर- लेखक शर्वेश कुमार तिवारी