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विश्व गुरु माँ भारती से 60 भारतीय श्रमिकों का पहला जत्था इस्राएल चला गया, इस्राईल में करेंगे मजदूरी, झाड़ू-पोंछा, चौकीदारी!

भारत और इस्राएल की सरकारों के बीच हुए एक समझौते के तहत भारतीय श्रमिकों का पहला जत्था इस्राएल चला गया है. अधिकारियों का कहना है कि ये 60 भारतीय श्रमिक सुरक्षित इलाकों में निर्माण परियोजनाओं में काम करेंगे.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि दोनों देशों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर इलाके में युद्धस्थिति शुरू होने के पहले ही किए गए थे.

उन्होंने कहा, “लोगों का पहला जत्था इस्राएल जा चुका है. हमारे लिए उनकी सुरक्षा बहुत जरूरी है और हमने इस्राएली अधिकारियों से जोर देकर कहा है कि वो उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए अपनी पूरी कोशिश करें.”

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पहले जत्थे में 60 भारतीय श्रमिक इस्राएल गए हैं, लेकिन समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक संख्या 60 से ज्यादा है. इस महीने करीब 1,500 श्रमिकों को भेजा जाना है. समझौते के मुताबिक करीब 40,000 भारतीय नागरिकों को इस्राएल में निर्माण और नर्सिंग क्षेत्रों में काम करने की अनुमति दी जाएगी.

इस्राएल में श्रमिकों की कमी
मंगलवार, दो अप्रैल को भारत में इस्राएल के राजदूत नाओर गिलोन ने इन 60 लोगों के फेयरवेल की तस्वीरें एक्स पर साझा की थीं और लिखा था कि उन्हें यकीन है कि ये श्रमिक दोनों देशों के लोगों के “महान संबंधों” के राजदूत बनेंगे.

Naor Gilon

@NaorGilon

Today we had a farewell event from the first batch of 60+ Indian construction workers going to Israel under the G2G agreement.
This is an outcome of hard work of many, including @NSDCINDIA.
I’m sure that the workers become ‘ambassadors’ of the great P2P relations between 🇮🇳🇮🇱.

जायसवाल ने यह भी बताया कि इस समय 18,000 भारतीय लोग इस्राएल में काम कर रहे हैं और इनमें से अधिकांश लोगों की देख रेख करने वाले हैं. 7 अक्तूबर 2023 को इस्राएल पर हमास के हमले के बाद इस्राएल ने हमास के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया था.

साथ ही इस्राएल ने हजारों फलस्तीनी श्रमिकों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसकी वजह से इस्राएल में श्रमिकों की कमी हो गई. लेकिन भारत के साथ समझौते पर मई, 2023 में इस्राएली विदेश मंत्री एली कोहेन की भारत यात्रा के दौरान ही हस्ताक्षर हो गए थे.

फिल्हाल, जिन 1,500 श्रमिकों का चयन हुआ है वे उत्तर प्रदेश और हरियाणा से हैं और आगे के चरणों में दूसरे राज्यों के लोगों भी लिया जाएगा. जायसवाल ने बताया कि तेलंगाना और महाराष्ट्र ने भर्ती अभियान चलाने में रुचि दिखाई है.

क्या रह पाएंगे सुरक्षित?
इस समझौते को लेकर भारत में मिली जुली भावनाएं हैं. जब उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भर्ती अभियान की घोषणा की गई थी, तब बड़ी संख्या में लोग भर्ती केंद्रों पर आए थे. लेकिन कई लोगों ने इसे भारतीय श्रमिकों को सीधा मौत के मुंह में भेजने के बराबर बताया है.

विपक्षी पार्टियों ने विशेष रूप से इस समझौते की निंदा की है. सीपीएम ने जनवरी में ही कहा था कि वह श्रमिकों के संरक्षण और नौकरी/आय की गारंटी की जिम्मेदारी लिए बिना सरकार द्वारा उन्हें इस्राएल भेजने की योजना की निंदा करती है.

CPI (M)
@cpimspeak

CITU denounces government move to facilitate sending Indian workers to conflict-torn Israel without taking any responsibility for their protection and job/income guarantee.

पिछले महीने उत्तरी इस्राएल में लेबनान से दागी गई एक मिसाइल ने एक भारतीय व्यक्ति की जान ले ली थी और दो अन्यों को घायल कर दिया था. इसके बाद तेल अवीव स्थित भारतीय दूतावास ने इस्राएल में रह रहे भारतीय नागरिकों को ज्यादा सुरक्षित इलाकों में जाने के लिए कहा था.