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विरोध प्रदर्शनों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता को 10 साल जेल की सज़ा!

बेलारूस की एक अदालत ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की को विरोध प्रदर्शनों और अन्य अपराधों के वित्तपोषण के लिए 10 साल की जेल की सज़ा सुनाई है।

60 वर्षीय बालियात्स्की ‘वियासना मानवाधिकार ग्रुप’के सह-संस्थापक हैं। इसके अलावा वह लंबे समय से राष्ट्रपति रहे अलेक्जेंडर लुकाशेंको के 2020 में फिर से चुने जाने के बाद बेलारूस के हुए विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में रहे थे।

वियासना ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान क़ैद किए गए लोगों को क़ानूनी और वित्तीय सहायता प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। 2021 में बेलियात्स्की को उसके संगठन के दो अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार किया गया था।

अक्तूबर 2022 में उन्हें मानवाधिकारों और लोकतंत्र पर उनके काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने यह पुरस्कार रूसी अधिकार समूह ‘मेमोरियल’और यूक्रेन के ‘सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज-’के साथ साझा किया था। नोबेल समारोह के दौरान बालियात्स्की जेल में रहे और उनकी पत्नी ने उनकी ओर से पुरस्कार स्वीकार किया था।

बेलारूसी साहित्य के एक विद्वान, स्कूल शिक्षक और संग्रहालय निदेशक एलेस बालियात्स्की 1980 के दशक से लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं।

वह 1980 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ से बेलारूस की स्वतंत्रता के एक उत्साही प्रचारक थे जिन्होंने पूरे देश में सोवियत विरोधी प्रदर्शन आयोजित किए थे।

साल 1994 में अलेक्जेंडर लुकाशेंको देश के पहले और विशेषज्ञों के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद एकमात्र हुए स्वतंत्र चुनाव में बेलारूस के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। उन्होंने तब से राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाल रखा है।

लुकाशेंको के शासन को तब से विरोध प्रदर्शनों में चुनौती दी गई है जिसमें 1996 के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन पहले थे।

इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान राजनीतिक कैदियों और उनके परिवारों को वित्तीय और कानूनी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से एलेस बालियात्स्की ने वियासना मानवाधिकार संगठन की सह-स्थापना की। संगठन ने अधिकारियों द्वारा राजनीतिक कैदियों के खिलाफ दुर्व्यवहार का भी दस्तावेज़ीकरण किया है।