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विज्ञान ने राखीगढ़ी में मिले नर-कंकालों का परीक्षण कर बता दिया कि इनमें आर्य जीन नही है!

Kranti Kumar
@KraantiKumar
◆ विज्ञान ने राखीगढ़ी में मिले नर-कंकालों का परीक्षण कर बता दिया कि इनमें आर्य जीन नही है. तो मामला शीशे की तरह साफ हो गया है कि राखीगढ़ी के निवासी आर्य नही थे. दरसअल राखीगढ़ी द्रविड़ो की सभ्यता थी.

◆ राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में है. इसकी खोज 1963 में हुई थी. यह एक सिंधु घाटी सभ्यता का अभिन्न अंग है. जिसकी पुष्टि वहां के नगर-योजना, अन्नागार, सड़कें, जलनिकासी, सील, लिखावटों आदि से हो जाती है.

◆ आर्य नस्ल की भाषाएँ उत्तरी भारत और श्रीलंका से लेकर ईरान और आर्मेनिया होते हुए पूरे यूरोप तक फैली हुई हैं. मगर सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष सिर्फ भारतीय प्रायद्वीप में ही मिलते हैं, उसका फैलाव यूरोप तक नही है.

◆ आश्चर्य है कि द्रविड़ नस्ल की भाषाएं भी सिंधु घाटी सभ्यता की तरह केवल भारतीय प्रायद्वीप में ही मिलती हैं. भारतीय प्रायद्वीप को छोड़कर दुनिया के किसी कोने से द्रविड़ नस्ल की भाषाओं के बोले जाने के सबूत नही मिलते हैं.

◆ सिंधु घाटी क्षेत्र से आर्यों भाषाओं के बीच नदी के द्विप की तरह एक द्रविड़ भाषा मिलती है. उसका नाम ब्राहुई भाषा है, ब्राहुई भाषा पूरबी बलूचिस्तान में बोली जाती है. इसके पूरबी किनारे में सिंधु घाटी सभ्यता मौजूद है.

◆ और सिंधु घाटी की सभ्यता द्रविड़ो की बौद्ध सभ्यता थी.

जारी……!
Source : पुस्तक – बौद्ध सभ्यता की खोज.

 

Kranti Kumar
@KraantiKumar
◆ भारत में चमड़े का आविष्कार और चमड़ा बनाने वाले चमार हैं तो भारत की सीमा के बाहर, यानी चीन, रूस, जापान, अमेरिका और यूरोप के चर्मकार, चमार क्यों नही हो सकते ?

◆ आज महान वैज्ञानिक लुई ब्रेल की जयंती है. 4 जनवरी 1809 को ब्रेल का जन्म फ्रांस में हुआ था. उनके पिता चर्मकार थे, यानी चमार. घोड़े की उच्च कोटि की गद्दी और अन्य चमड़ों की वस्तु का निर्माण करते थे. भारत को छोड़कर पूरी दुनिया में चर्मकार लोगों का मान सम्मान है.

◆ लुई ब्रेल के पिता का भी बहुत मान सम्मान था. लुई स्कूल से छूटने के बाद पिता का हाथ बटाने कारखाने में आ जाते. एक रोज खेल खेल में बड़ा सुआ लुई ब्रेल की आंखों में चुभ गया. इंफेक्शन फैलने के कारण लुई ब्रेल की दोनों आंखों की रोशनी चली गयी.

◆ लुई ब्रेल ने हार नही मानी उन्होंने पढ़ना जारी रखा. लुई ब्रेल चर्मकार के बेटे थे, हाथ से श्रम करने का अनुभव था और येही अनुभव पढ़ाई में सोचने के काम आया. लुई ब्रेल ने नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया. अपने आविष्कार से चमार के बेटे ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया.

◆ भारत में हाथ से काम करने वाले चर्मकार और अन्य मेहनतकश लोगों को पढ़ने और सोचने का अधिकार नही था. जिन्हें सोचने और पढ़ने का अधिकार था उन्हें श्रम उत्पादन या कुछ निर्माण करने का ज्ञान नही था. इसी कारण भारत में कोई आविष्कार नही हो पाया.

◆ चर्मकार पुत्र महान लुई ब्रेल की जयंती पर कोटि कोटि नमन करता हूँ और उन सभी भारतीय चर्मकारों को भी नमन और प्रणाम, जिनके हुनर, ज्ञान और सोच के कारण हर भारतीयों के पैरों में शानदार आरामदायक जूते चप्पल हैं.

✍🏻Kranti Kumar