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“विचारधारा की लड़ाई में, विपक्ष की एकता”-बीजेपी को पूरे देश में सौ सीटें भी नहीं मिलेंगी : केजरीवाल से मिले नीतीश कुमार!

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को एक तस्वीर ट्वीट की.

तस्वीर में तीन दलों के पांच चर्चित नेता दिखाई दिए. ख़ुद राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ लल्लन सिंह.

इस तस्वीर के साथ राहुल गांधी ने लिखा, “विचारधारा की इस लड़ाई में, विपक्ष की एकता की ओर आज एक ऐतिहासिक कदम लिया गया है. साथ खड़े हैं, साथ लड़ेंगे – भारत के लिए!”

तो क्या ये तस्वीर नीतीश कुमार की उस हिदायत पर अमल की कोशिश है, जो उन्होंने कांग्रेस को 25 फरवरी को पूर्णिया में हुई रैली में दी थी.

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बिहार के महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस) की उस रैली में नीतीश कुमार ने कांग्रेस को नसीहत दी थी कि वो फ़ैसले लेने में देर न करे.

नीतीश कुमार ने कहा था, “अगर आप (बीजेपी से) छुटकारा चाहते हैं तो आपको जल्दी फ़ैसला लेना होगा. मैं कांग्रेस (के जवाब) का इंतज़ार कर रहा हूं.”

तब नीतीश कुमार ने दावा किया था, अगर हम एकजुट हुए और एकजुट होकर चुनाव लड़े तो 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूरे देश में सौ सीटें भी नहीं मिलेंगी.”

पूर्णिया की इस रैली के करीब एक महीने पहले कांग्रेस ने भी विपक्षी एकता दिखाने का एक प्रयास किया था. जनवरी के आखिर में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का समापन था और कांग्रेस ने 21 विपक्षी दलों को न्योता दिया था. लेकिन बुधवार को राहुल गांधी के साथ नज़र आए नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय जनता दल के किसी प्रतिनिधि ने उस कार्यक्रम में शिरकत नहीं की थी.


नीतीश का दावा, साथ आएंगे कई दल

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की पार्टियों के साथ बिहार में कांग्रेस का गठजोड़ है और बीते साल से ये तीनों पार्टियां राज्य सरकार का हिस्सा हैं लेकिन नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर संभावित ‘महागठबंधन’ को लेकर अब तक गोलमोल जवाब ही देते रहे थे.

लेकिन दिल्ली दौरे पर आए नीतीश कुमार ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर राहुल गांधी से मुलाक़ात के बाद दावा किया कि विपक्षी एकता को लेकर ‘अंतिम तौर’ पर बात हो गई है.

नीतीश कुमार ने कहा, “अभी काफी देर हम लोगों ने चर्चा कर ली. अधिक से अधिक पार्टियों को पूरे देश में एकजुट करने का प्रयास करेंगे. उसके लिए हम सब लोग कोशिश करेंगे. सब लोग सहमति बनाएंगे. सब लोग बैठेंगे और एक साथ हम लोग आगे का काम करेंगे. मिलकर के चलेंगे, ये बात तय हो गई है. अंतिम तौर पर बात हो गई है. उसी के आधार पर हम लोग (आगे की बात) कर लेंगे. जितने लोग सहमत होंगे, उन सबके साथ हम आगे बात तय करेंगे.”

मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हुई बैठक में उन्हीं तीन दलों के नेता नज़र आए जो साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार ने दावा किया कि वो जिस कोशिश में जुट रहे हैं, वहां कई दल साथ होंगे.

नीतीश कुमार ने कहा, “जिस दिन बैठेंगे एक साथ उस दिन जानिएगा, बहुत ज़्यादा लोग इकट्ठा होंगे.”

मीटिंग में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए. दोनों नेताओं ने बुधावर के प्रयास को ‘ऐतिहासिक’ बताया.

कांग्रेस और नीतीश में बनी ‘सहमति’
राहुल गांधी ने कहा, “विपक्ष को एक करने में बहुत ऐतिहासिक कदम लिया गया है. आपने (पत्रकारों ने) सवाल पूछा कि कितने विपक्षी दलों को इकट्ठा करना है, देखिए ये प्रोसेस है और अपोजीशन का जो देश के लिए विजन है, उसे हम डेवलप करेंगे और जितनी भी पार्टियां हमारे साथ चलेंगी, उन सबको हम एक साथ लेकर चलेंगे.”

राहुल गांधी ने कहा, “देश में जो विचारधारा की लड़ाई चल रही है, उसको लड़ेंगे. जो इंस्टीट्यूशन पर आक्रमण हो रहा है, देश पर आक्रमण हो रहा है, उसके ख़िलाफ़ हम सब एकसाथ मिलकर खड़े होंगे.”

वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि एकसाथ आने वाले दल आने वाले सभी चुनावों में मिलकर चुनाव लड़ेंगे.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हमने ऐतिहासिक मीटिंग की. बहुत सी चीजों पर चर्चा हुई. हम सभी ने मिलकर तय किया कि सभी पार्टियों को एकजुट करना है और एक होकर आगे जो चुनाव आएंगे, उनमें एकजुट होकर लड़ना है. हम सब मिलकर उसी रास्ते पर काम करेंगे.”

बीजेपी को सौ से कम सीट पर समेट देने का दावा करने वाले नीतीश कुमार अब तक इशारों में विपक्षी दलों को एकजुट करने के रास्ते में आ रही रुकावट के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार बताते रहे थे और बार- बार कांग्रेस नेतृत्व से जल्दी फ़ैसला लेने को कहते रहे थे.

क्या हैं नीतीश कुमार की चुनौती
बुधवार की मीटिंग के बाद कांग्रेस नेताओं के बयानों ने जाहिर किया मानो पार्टी ने अब गेंद उनके पाले में डाल दी है.

कांग्रेस ने ये दावा भी किया कि विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए नीतीश कुमार को ख़ास रोल दिया गया है.

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने बताया, ” ये बैठक देश की सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए थी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी विशेष जिम्मेदारी दी गई है. इस महीने के अंत तक जितनी पार्टियां साथ आएँगी बताया जाएगा.”

यानी यूपीए के बाहर के विपक्षी दलों से बात करने की ज़िम्मेदारी अब नीतीश कुमार संभालेंगे.

कौन साथ, कौन दूर

बुधवार की मीटिंग में शामिल दलों के अलावा महाराष्ट्र की महाअघाड़ी -कांग्रेस के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (उद्धव गुट)- के दल कांग्रेस के साथ हैं.
तमिलनाडु की डीएमके और झारखंड में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कांग्रेस के सहयोगी हैं.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर श्रीनगर में हुई रैली में फ़ारूख़ अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी और कमल हासन की मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) ने हिस्सा लिया था.
इनके अलावा दलित पैंथर्स, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), फॉर्वर्ड ब्लॉक, सीपीआई और बीएसपी के प्रतिनिधि भी पहुंचे थे.

पहले भी हुई है कोशिश
कांग्रेस की जनवरी की रैली से दूर रहे बिहार के उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भी बुधवार की मीटिंग में शामिल थे. उन्होंने बैठक को ‘सार्थक एवं सकारात्मक’ बताया.

लेकिन, सवाल बड़ा पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस, दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी और उत्तर प्रदेश विधानसभा की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी जैसे बड़े दलों को लेकर है.

इन दलों को विपक्षी एकता के छाते के नीचे लाना नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

गौरतलब है, विपक्षी एकता की ऐसी ही एक कोशिश साल 2018 में कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी सरकार के गठन के दौरान हुई थी. तब तमाम विपक्षी दल एकसाथ एक मंच पर नज़र आए थे. कांग्रेस की सोनिया गांधी के साथ बहुजन समाज पार्टी की मायावती और तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी का आना बड़ी चर्चा का मामला बना था और इसे भारतीय राजनीति का ‘टर्निंग प्वाइंट’ बताया गया था. लेकिन इस एकजुटता से राष्ट्रीय स्तर पर बड़े फेरबदल का जो सपना देखा गया था वो पूरा नहीं हुआ,

इस बार भी ये प्रयास ऐसे वक़्त शुरू हुआ है जब कर्नाटक चुनाव की तारीखें तय हो चुकी हैं और चुनाव प्रचार ज़ोर पकड़ रहा है.

कांग्रेस और नीतीश कुमार के लिए अच्छा ये है कि मानहानि मामले में राहुल गांधी को दो साल की सज़ा होने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने उनके प्रति एकजुटता दिखाई.

केजरीवाल से मिले नीतीश कुमार
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने बुधवार को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाक़ात की. केजरीवाल ने नीतीश कुमार की कोशिशों की सराहना की.

अरविंद केजरीवाल ने कहा, “नीतीश जी ने पहल की है और सबको इकट्ठा कर रहे हैं. विपक्ष को इकट्ठा कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “हम पूरी तरह से इनके साथ हैं. जिस तरह से ये सबको जोड़ रहे हैं हम उनके साथ हैं. बहुत ज़रूरी है कि सभी विपक्ष और सारा देश एक साथ आके और इकट्ठा होकर केंद्र के अंदर सरकार बदले. ऐसी सरकार आनी चाहिए जो देश का विकास करे और इस देश के लोगों को उनकी समस्या से मुक्ति दे सके.”

बीजेपी का सवाल, कौन करेगा मोदी से मुक़ाबला?

लेकिन नीतीश कुमार के सामने सवाल एक और है. इसे सबसे अहम सवाल माना जा रहा है. ये सवाल है कि विपक्षी दलों की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा?

बुधवार की बैठक के बाद ये सवाल केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने भी पूछा.

बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, “राहुल गांधी या नीतीश कुमार ने ये तो बताया ही नहीं कि फेस (चेहरा) कौन होगा.”

उन्होंने कहा, ” नीतीश कुमार को बताना होगा कि राहुल गांधी उम्मीदवार हैं या नीतीश कुमार, केजरीवाल जी हैं या नीतीश कुमार जी.”

सम्राट चौधरी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार सिर्फ़ विपक्ष के उन्हीं दलों से संपर्क कर रहे हैं, जिनके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं.

उन्होंने कहा, “अब तक नीतीश कुमार जी उन्हीं लोगों के चरणों में गए हैं जो भ्रष्टाचारी हैं, भ्रष्टाचार को बचाने के लिए नीतीश कुमार गए हैं.”

सम्राट चौधरी ने कहा, “राष्ट्रीय जनता दल तो भ्रष्टाचार का प्रतीक ही है. राजद वाले बोल रहे हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, उम्मीदवार बनते रहिए लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहेंगे, 24 में.”