उत्तर प्रदेश राज्य

वाराणसी : पिछले आठ माह में 196 लोग एचआईवी पॉज़िटिव हो गए, इनमें 120 लोगों की उम्र 20 से 40 साल है!

वाराणसी।एचआईवी यानी हयूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। एडस होने का सबसे प्रमुख कारण भी यही है। जिले में पिछले आठ माह (अप्रैल से नवंबर) में 196 लोग एचआईवी पॉजिटिव हो गए हैं। इसमें करीब 120 लोगों की उम्र 20 से 40 साल है। विभाग की ओर से करवाई गई जांच में संक्रमण की पुष्टि के बाद इनका निशुल्क उपचार किया जा रहा है।

एड्स के प्रति जागरूकता के लिए हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। एचआईवी संक्रमण से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को जागरूक किया जाता है। अस्पतालों में सर्जरी से पहले भी एचआईवी जांच अनिवार्य रूप से करवाई जाती हैं। इसके बाद भी लोग संजीदा नहीं हो रहे हैं।

चिंता की बात यह है कि संक्रमित होने वालों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। चार साल में 954 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उधर बीएचयू परिसर स्थित एआरटी सेंटर में 5100 लोगों का निशुल्क उपचार चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2022 में 667 पॉजिटिव, 2023 में 595 और इस साल अप्रैल से नवंबर तक 435 लोग दवा लेने आ रहे हें। समय-समय पर काउंसिलिंग के साथ ही दवाइयां भी दी जा रही है।

टैटू बनवाते समय सावधानी जरूरी
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. पीयूष राय का कहना है कि एचआईवी से बचाव का जागरूकता ही सबसे बड़ा उपाय है। वैसे तो इसके संक्रमण के कई कारण है लेकिन टैटू बनवाते समय सावधानी बरतनी चाहिए। ज्यादातर एक ही सूई का इस्तेमाल कई लोगों के टैटू बनवाने में किया जाता है। इससे एचआईवी का खतरा बढ़ जाता है। 20 से 45 साल वाले युवा इसकी चेपट में आ रहे हैं।

चार साल में एचआईवी पॉजिटिव का आंकड़ा
2021 212
2022 243
2023 303
2024 196 (अप्रैल से नवंबर तक)

जिला अस्पताल से निकली जागरूकता रैली
विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल से जागरूकता रैली निकाली गई। सीएमओ डाॅ. संदीप चौधरी ने बताया कि इस साल विश्व एड्स दिवस की थीम एचआईवी से डरे नहीं, उसका उपचार कराएं। एड्स कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है और लोगों को जागरूक करके ही इस बीमारी से दूर रखा जा सकता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. पीयूष राय ने बताया कि राधा किशोरी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज रामनगर और सुधाकर महिला विधि विश्वविद्यालय खजुुरी में आयोजित कार्यशाला में एड्स से बचाव की जानकारी दी गई।

 

DW Hindi

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दुनियाभर में एड्स (अक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम) के कारण तीन करोड़, 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 1 दिसंबर को “अंतरराष्ट्रीय एड्स दिवस” #WorldAIDSDay2024 मनाया जाता है. एड्स संक्रामक बीमारी नहीं है. यह ना साथ खाने से फैलता है, ना छूने से, ना गले मिलने से.

जागरूकता अभियानों के लिए बने विज्ञापन कई साल से ये जानकारियां देते आ रहे हैं, ताकि एड्स पीड़ितों के साथ किसी तरह का भेदभाव ना हो. इसके बावजूद आज भी इसे किसी कलंक की तरह देखा जाता है.

यह स्थिति केवल सामाजिक या सामुदायिक स्तर पर नहीं है. स्वास्थ्य सेवाओं, नौकरियों-दफ्तरों में भी कई एचआईवी (ह्युमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस) पीड़ितों को पक्षपात का सामना करना पड़ता है. इससे एचआईवी की टेस्टिंग, इलाज और देखभाल पर भी असर पड़ता है.

पिछले करीब चार दशकों के दौरान हुई रिसर्चों के कारण एचआईवी का इलाज काफी बेहतर हुआ है. एचआईवी से ग्रस्त लोग नियमित इलाज की वजह से सेहतमंद जिंदगी बिता सकते हैं.

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, कई रिसर्चों ने दिखाया है कि एचआईवी से संक्रमित इंसान अगर इलाज करवा रहा हो और उसका “अनडिटेक्टेबल=अनट्रांसमिटेबल” वायरल लोड बरकरार रखा जाए, तो सेक्स करने से उनके पार्टनर में एचआईवी नहीं फैलता. ऐसा व्यक्ति यौन संबंध बनाए, तो पार्टनर में एचआईवी प्रसार का जोखिम शून्य है.

“अनडिटेक्टेबल=अनट्रांसमिटेबल” को संक्षेप में “यू=यू” भी कहते हैं. यह एचआईवी से बचाव की एक अहम रणनीति है. इससे आशय है कि इलाज के क्रम में एचआईवी संक्रमित इंसान को “सस्टेन्ड एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट” दिया जाता है.

इससे उसके शरीर में एचआईवी की मात्रा ऐसे स्तर पर पहुंच जाती है कि वायरल लोड की जांच में भी नहीं नजर आती. इसके कारण यौन संबंधों के माध्यम से प्रभावित व्यक्ति से किसी और व्यक्ति में एचआईवी के प्रसार की आशंका नहीं रहती. यह इसलिए भी बेहद अहम है कि असुरक्षित यौन संबंध एचआईवी के प्रसार की एक बड़ी वजह है