नई दिल्ली: अलवर में गो-तस्करी के शक में भीड़ द्वारा कथित रूप से पिटाई के कारण एक शख्स रकबर खान(28) की मौत होने के बाद देशभर में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी इंद्रेश कुमार के बयान का समर्थन करते हुए कहा है, ”मुस्लिमों को बीफ खाना बंद कर देना चाहिए. गो-हत्या बंद होनी चाहिए. इस्लाम में भी गाय का मीट ‘हराम’ है. आप मॉब लिंचिंग को रोक नहीं सकते क्योंकि हर जगह सुरक्षा के बंदोबस्त नहीं किए जा सकते. लिहाजा ऐसा कानून बनाना चाहिए जिससे गो-हत्या करने वाले को सख्त से सख्त सजा मिले.”
Muslims should stop eating beef. Killing of cows should stop. Meat of cows is 'haram' in Islam as well. You can't stop mob lynching, security can't be deployed everywhere. So a law should be made awarding strict punishment to those killing cows: Waseem Rizvi, Shia Waqf Board pic.twitter.com/kiNGfFoxOk
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 24, 2018
इसके साथ ही वसीम रिजवी ने यह भी कहा, ”इंद्रेश कुमार का बयान अहम है. किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए. यदि गाय की हत्या के संबंध में कानून बन जाएगा तो मॉब लिंचिंग रुक जाएगी. किसी समुदाय ने यदि किसी को मां का दर्जा दिया है तो आप उसकी हत्या नहीं कर सकते.” उल्लेखनीय है कि आरएसएस के संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने यह भी कहा, ‘देश में मॉब लिंचिंग का स्वागत नहीं किया जा सकता है, लेकिन लोग गाय का मीट खाना बंद कर दें तो इस तरह के अपराधों पर लगाम लग सकती है.’
I think Indresh Ji's statement has a point. Religious sentiments should not be hurt. If law is made to stop killing of cows, lynching will stop. You can't kill someone who is given the status of mother by a community: Waseem Rizvi on Indresh Kumar's statement on mob lynching&cows
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 24, 2018
इससे पहले इंद्रेश कुमार ने कहा, ”किसी भी भीड़ की हिंसा, वो आपके घर की, मोहल्ले की, जाति की, पार्टी की हो, वो कभी अभिनंदनीय नहीं हो सकती. परंतु, दुनिया के जितने भी धर्म हैं, उनके किसी ने धर्मस्थल पर बता दो कि गाय का वध होता है.” इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा, ”ईसा (जीएसएस) धरती पर गौशाला में आए, इसलिए वहां गाय को मां बोलते हैं. मक्का-मदीना में गाय का वध अपराध मानते हैं. क्या हम संकल्प नहीं कर सकते कि धरा, मानवता को इस पास से मुक्त करें. अगर मुक्त हो जाएं तो आपकी समस्या (मॉब लिंचिंग) का हल हो जाएगा.”
संसद में उठा मुद्दा
इस बीच मॉब लिंचिंग का मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में उठा और तृणमूल सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कानून बनाए जाने की मांग की. शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस की शांता क्षेत्री ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस सरकार के सत्ता में आने के बाद से भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं में करीब 88 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शांता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि यह ठीक नहीं है और सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाना चाहिए.
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए और कानून बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. विभिन्न दलों के सदस्यों ने शांता क्षेत्री के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया और सरकार से इस मुद्दे का शीघ्र समाधान निकालने की मांग की. सभापति एम वेंकैया नायडू ने उम्मीद जताई कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में इस मुद्दे पर कहा कि, इस बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं. यह हालिया शुरू नहीं हुआ, बल्कि वर्षों से लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. मैंने यह पहले भी कहा है कि 1984 में लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना हुई थी।