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‘वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट’ में भारत 125वें पायदान पर, लिस्ट में भारत का नाम नेपाल, चीन और बांग्लादेश से नीचे है : रिपोर्ट

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क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे खुशहाल देश कौन-सा है? जवाब है–फिनलैंड.

आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे तय हुआ? किसी देश की खुशी कैसे नापी जा सकती है? आप फीलिंग को कैसे माप सकते हैं? वो भी पूरे देश की फ़ीलिंग.

आप जानते ही हैं कि हर साल 20 मार्च को दुनिया, वर्ल्ड हैप्पीनेस डे मनाती है और इसी दिन यूएन एक रिपोर्ट जारी करता है जिसमें बताता है कि किस देश में लोग कितने खुश हैं. इस आधार पर देशों को रैंकिंग भी दी जाती है. ये रिपोर्ट बीते दस साल से जारी की जा रही है.

‘वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट’ नाम की ये सालाना रिपोर्ट यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क जारी करता है.

ये रिपोर्ट कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहलुओं के आधार पर दुनिया के अलग-अलग देशों की खुशहाली को मापती है. हैपीनेस इंडेक्स में 0 से 10 के स्केल पर देशों की खुशी को आंका जाता है.

फिनलैंड 7.8 के स्कोर के साथ लगातार छठे साल रैंकिंग में टॉप पर बना हुआ है. डेनमार्क और आइसलैंड दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं.

टॉप 10 की लिस्ट में अन्य देश हैं – इसराइल, नीदरलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, लक्ज़मबर्ग और न्यूजीलैंड.

137 देशों में अफ़ग़ानिस्तान सबसे निचले पायदान पर है या कहें कि रिपोर्ट के मुताबिक़, ये सबसे ज़्यादा दुखी देश है.

इसके अलावा रैंक में नीचे रहने वाले देशों में लेबनान, ज़िम्बॉब्वे, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो जैसे देश हैं.

भारत इस साल 125वें पायदान पर है. पिछली बार के मुक़ाबले भारत की रैंकिंग में सुधार ज़रूर हुआ है लेकिन लिस्ट में उसका नाम नेपाल, चीन और बांग्लादेश जैसे अपने पड़ोसी देशों से भी नीचे है. यहां तक कि जंग लड़ रहे रूस और यूक्रेन भी इस लिस्ट में भारत से आगे हैं. रूस 70वें और यूक्रेन 92वें पायदान पर है.


लेकिन ये तय कैसे होता है?
वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स की रैंकिंग सर्वे के डेटा के आधार पर तय होती है. ये सर्वे गैलप वर्ड पोलिंग एजेंसी करवाती है.

हर देश से एक से तीन हज़ार लोगों को चुना जाता है जो उसका सैंपल साइज़ बन जाता है. इन लोगों से कुछ सवाल पूछे जाते हैं. इन सवालों के जवाब के आधार पर डेटा तैयार किया जाता है.

इन सवालों के जवाब 0 से 10 की स्केल पर देने होते हैं. 0 मतलब सबसे बुरा और 10 मतलब सबसे अच्छा अनुभव.

ये सवाल छह फैक्टर्स पर आधारित होते हैं जिनमें जीडीपी, उदारता, सोशल सपोर्ट, आज़ादी और भ्रष्टाचार वग़ैरह शामिल है.

इस सर्वे में कुछ इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं –

मुसीबत में फंसने पर क्या आपके किसी रिश्तेदार या दोस्त ने मदद की? जवाब में आपको इसे ज़ीरो से 10 की स्केल पर रेट करना होता है.

ये स्केल दिखाता है कि आप अपने परिवार और दोस्तों पर मदद के लिए कितना भरोसा करते हैं. 10 का मतलब होगा कि आप उन पर 100 फ़ीसदी भरोसा करते हैं.

ज़िंदगी में पसंद की चीज़ चुनने की आज़ादी भी हमारी खुशी में शामिल होती है. जैसे करियर, धर्म को मानने की आज़ादी, पसंद का खाना खाने, पसंद के कपड़ो पहनने के चुनाव की आज़ादी. इसलिए एक सवाल ये भी पूछा जाता है कि आप अपनी ज़िंदगी में किसी भी चीज़ को चुनने की आज़ादी से कितना खुश हैं. इसे भी 0 से 10 की स्केल पर रेट करना होता है.

इसके अलावा ये भी पूछा जाता है कि पिछले एक महीने में क्या आपने किसी चैरिटी को पैसा दिया है? माना जाता है कि जो व्यक्ति अपनी ज़िंदगी में खुश और संतुष्ट है वो दूसरों की मदद करने के लिए आगे आता है और दान देता है. यही वजह है कि ऐसा सवाल भी सर्वे में पूछा जाता है.

भ्रष्टाचार से जुड़े सवाल भी होते हैं. जैसे आपके यहां सरकार में कितना भ्रष्टाचार है, व्यापार में कितना भ्रष्टाचार है. क्योंकि माना जाता है कि देश में भ्रष्ट्राचार का न होना खुशहाली को दर्शाता है.

ऐसे तमाम सवाल पूछकर इस सर्वे से निकले डेटा के आधार पर इस रिपोर्ट में रैंकिग तय की जाती है.

हैप्पीनेस इंडेक्स का मकसद क्या है?

जुलाई 2011 में संयुक्त राष्ट्र ने “Happiness: Towards a holistic approach to development” नाम का एक प्रस्ताव अपनाया.

उन्होंने तमाम सरकारों से कहा कि वो सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ-साथ लोगों की खुशी और भलाई को भी ज़्यादा अहमियत दें.

अप्रैल 2012 में भूटान की शाही सरकार ने दुनियाभर के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई, जिसमें चर्चा हुई कि लोगों की खुशी और भलाई को भी एक आर्थिक पहलू की तरह देखा जाए. इसके लिए आयोग नियुक्त करने की सिफारिश हुई, जिसे भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे थिनले ने स्वीकार कर लिया.

उन्होंने प्रस्ताव रखा कि संयुक्त राष्ट्र भी इस आयोग का सह-स्वामित्व करे और ये आयोग यूएन महासचिव के सहयोग से काम करे.

भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे थिनले और अर्थशास्त्री जेफ़री डी सैक्स की अध्यक्षता में वर्ल्ड हैप्पीनेस डे की पहली रिपोर्ट जारी की गई.

तब से हर साल ये रिपोर्ट जारी हो रही है और इसकी रैंकिंग चर्चा का विषय रही है