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लोकसभा चुनाव, लोग अपनी मांगों को लेकर मुखर, कहीं मतदान बहिष्कार तो कहीं राजनीतिक दलों व नेताओं के लिए चेतावनी के जरिये उठाई जा रही है आवाज़ : रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं लोग अपनी मांगों को लेकर मुखर हो रहे हैं। अपने हक़ की आवाज कहीं मतदान बहिष्कार तो कहीं राजनीतिक दलों व नेताओं के लिए चेतावनी के जरिये उठाई जा रही है।

गोरखपुर जिले में बाईपास निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि का कम मुआवजा पाने से नाराज 26 गांवों के किसानों ने ‘उचित मुआवजा नहीं तो भाजपा को वोट नहीं’ का नारा बुलंद करते हुए बैनर और पोस्टर लगाए हैं।

गोरखपुर ज़िले के 26 गांवों के किसानों के इस रुख से भाजपा और प्रशासन ख़ासा परेशान है। पुलिस ने बालापार गांव में दो बार जाकर बैनर उतार लिए और एक किसान परिवार को अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी।

बाईपास बनाने के लिए अक्टूबर 2021 में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई। उस समय कहा गया कि प्रभावित किसानों को उचित मुआवज़ा दिया जाएगा लेकिन जब मुआवजे का निर्धारण किया गया तो उनके होश उड़ गए क्योंकि निर्धारित मुआवजा बाज़ार दर से काफ़ी कम था।

बाईपास के लिए इन गांवों में अधिग्रहीत जमीन काफी अहमियत वाली है क्योंकि इसमें तमाम किसानों की जमीन व्यावसायिक प्रकृति की भी है और खेती के लिहाज से बहुफसली है. प्रभावित किसानों की मांग थी कि उनकी जमीन का मुआवजा बाजार दर से निर्धारित किया जाए क्योंकि जिस सर्किल रेट पर मुआवजा तय किया जा रहा है उसे वर्ष 2016 से बढ़ाया ही नहीं गया है।

यहां उल्लेखनीय है कि यूपी में योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद गोरखपुर जिले में सर्किल रेट नहीं बढ़ाया क्योंकि विकास योजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में भूमि अधिग्रहण किया जाना था।

यूपी की सत्ता में आने के बाद सड़क चौड़ीकरण, फोर लेन, सिक्स लेन सहित तमाम योजनाओं के लिए किसानों की काफी जमीन ली गई जिसका मुआवाजा 2016 के सर्किल रेट से निर्धारित किया गया। इस वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ।

बाईपास निर्माण से प्रभावित किसानों ने प्रशासन से कई बार बातचीत कर उचित मुआवजा दिए जाने की मांग रखी. किसान मुख्यमंत्री से भी मिले. उन्हें हर बार आश्वासन मिला कि उचित मुआवजा दिया जाएगा लेकिन मुआवजा वितरण की प्रक्रिया जारी रहने के बीच में भी पिछले वर्ष बाईपास का निर्माण शुरू कर दिया गया। किसानों के विरोध को दरकिनार करते हुए कई स्थानों पर उनकी फसल रौंद दी गई।

सोर्स : पारस टुडे हिंदी