साहित्य

लेखक, संजय नायक ‘शिल्प’ की====कहानी “मरीज़” का पहला भाग, पढ़िये!

संजय नायक ‘शिल्प’
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मेरी कहानी “मरीज” का पहला भाग
बुखार में कांपते हाथों से दवा लेकर जैसे ही वो चारपाई पर लेटने के लिए मुड़ा , उसे जोर का चक्कर आ गया और उसका हाथ पास रखी टेबल पर पड़े पानी के गिलास से टकरा गया और उस पुरानी सी किताब पर , जो कि वहां पड़ी थी , जा गिरा ..ऐसा होते ही जाने उसमें कहाँ से इतनी ताकत आ गयी की उसने फुर्ती से बिजली की तरह कौंध कर उसने किताब सीने से चिपका ली , और अपने लिहाफ से उसका पानी पोंछ डाला । किताब खोलकर देखा बीच में वही रंग उड़ी हुई पुरानी तस्वीर में खड़ी वो मुस्कुरा रही थी । तसवीर के रंग गायब थे पर उसके चेहरे की मुस्कान ऐसी थी की हजारों गुलाबों का अर्क हो जैसे ।

उसने टेबल का सहारा लिया और चारपाई पर लेट गया । खांसी का एक लंबा दौरा उसे पड़ा और वह फेफड़ो और गले की जद्दोजहद में काफी देर तक उलझा रहा । पानी का गिलास गिर गया था , उठने की हिम्मत न थी तो खांसी की दवा के दो ढक्कन पिए और आँख बंद करके लेट गया । कुछ देर यूँ ही लेटे रहने के बाद जब उसको सांस लेने में तकलीफ कम हुई तो उसने अपनी आँखे खोलीं और सीने पर रखी किताब धर्मवीर भारती का उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ उठाई और अपना पसन्दीदा पेज पढ़ने लगा , जब सुधा ,चंदर को पहली बार नान खटाई लाकर देती है और चंदर अपने चिकने हाथ उसकी साड़ी से पोंछ देता है । जैसे ही वो इस पेज को पढ़ता था उसे जैसे असीम आनंद मिलता था । थोडा सा पढ़ने के बाद उसकी आँखों की कोर से दो नन्हे से आंसू ढलक आये ये आंसू उसके दर्द के थे या बुखार आने से आई कमजोरी पर किताब पढ़ने से उसे पता नहीं चला।

फिर उसने उस तस्वीर को हाथ में लेकर किताब सिराहने रख दी और देर तक उसे देखता रहा, उसे यादों के घेरे ने अपने अंदर ले लिया और दिमाग में एक पिक्चर सी घूम गयी……..

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कॉलेज में उसका आखिरी साल था कॉलेज आज से शुरू ही हुआ था बहुत से नए चेहरे वहां दिखाई दे रहे थे वो कैंटीन में बैठा था ज्यादा भीड़ नहीं थी इक्के दुक्के स्टूडेंट्स ही वहां बैठे थे । तभी कुछ लड़कियों की टोली वहां आई और बैठ गयी उनमे से सभी लगभग प्रथम वर्ष की छात्राएं थी , जो अपने कॉलेज में आने का जश्न मना रही थीं ।
उन सबके चेहरे खिले थे उनमे से एक सांवली सी लड़की थी , सिमटी सी ,जो अपने आपको वहां पर अजनबी महसूस कर रही थी । वो सुन्दर तो न थी लेकिन आकर्षक थी । उसकी बड़ी बड़ी आँखे थी और पतले होंठ थे । उसने फिरोजी रंग का एक शिफॉन का कुरता पहन रखा था जिसके कन्धों पर पफ बने थे । उसने सफ़ेद रंग का गरारा पहना था जो सभी लड़कियों से उसे अलग करता था । उसे देख एक दूजे के लिए फिल्म की रति अग्नीहोत्री की याद आ गयी थी ।

तभी उनमें से एक लड़की जो शायद उनकी स्कूल टाइम से ही लीडर थी , ने जोर से बोलकर उन सबका ध्यान अपनी ओर किया , ‘प्यारी दोस्तों आज से जिंदगी का नया सफ़र शुरू हुआ है । जिसमें से बहुत से पुराने चेहरे तो हैं ही नए भी शामिल हैं चलिए एक दूजे को परिचय कर लें’। इतने में पीरियड की बेल लग गयी और वो अपनी क्लास की ओर चला गया । जब कॉलेज से घर जाने के लिए वो बस में सवार हुआ उसने देखा वो गरारा सूट वाली लड़की भी उसी बस में सवार है । बस जैसे ही मिनर्वा चौराहे पर रुकी उस लड़की के पीछे वो भी उतर गया लड़की आगे आगे चल रही थी वो पीछे पीछे आराम से चल रहा था।

एक मोड़ पर लड़की घूमकर आगे निकल गयी और वो किनारे पर पनवाड़ी की दुकान से एक सिगरेट ले कर फूंकते हुए फिर से पीछे चल पड़ा (लेखक किसी भी प्रकार के धूम्रपान को गलत समझता है) । अब लड़की ने उसे मुड़कर देखा । लड़की घबराई हुई लग रही थी पहले ही दिन ये कौन मुआ पीछा कर रहा है ये सोचती वो कॉलोनी के गेट में प्रवेश कर गयी वो भी पीछे ही कॉलोनी में प्रवेश कर गया । यह क्या! ये तो उसी की बिल्डिंग की सीढियाँ चढ़ रहा है ।

अब उस से रहा न गया और वो झट से सीढियाँ चढ़ कर अपने घर का दरवाजा खटखटा कर जोर से चिल्लाने लगी । उसकी आवाज सुन झट से दरवाजा खुला और उस लड़की के माता पिता बाहर आये ।

” क्या हुआ ” , लड़की के पिता ने पूछा।
लड़की बोली कि एक लड़का बस से मेरा पीछा कर रहा है। उनका शोरगुल सुन और भी लोग घरों से बाहर आ गए । शर्मा जी बोले , ” कौन है वो बताओ तो ” ।

लड़की ने सीढ़ियों की ओर इशारा करके बोली , “वो ऊपर चला आ रहा है । ”
उसे देख कर सारे लोग जो इकट्ठे हुए थे हंसने लगे । एक आंटी बोली , ” ये तुम्हारा पीछा कर रहा है ? अरे ये तो इसी बिल्डिंग में रहता है सुधा का भाई है ये सौरभ। बेटा तुम्हे गलतफहमी है । “

ये यह सुन लड़की अपनी गलती की वजह से शर्म से पानी पानी हो गयी और झट से अपने घर में दाखिल गयी ।

आंटी ने उसे बताया कि ये लोग हमारे पड़ोस में कल से रहने आये हैं । इसके पापा आयकर विभाग में हैं । इसने तुम्हें देख कर गलत समझ लिया । सारा माजरा समझ सौरभ धीरे से मुस्कुरा कर अपने घर का लॉक खोलने लगा। दीदी और जीजाजी दोनों ही अपने ऑफिस गए थे ।वो जाकर टीवी चला कर बैठ गया । मगर उस लड़की का चेहरा बार बार आँखों में घूम रहा था ।

कुछ देर टीवी देखने के बाद वो वहीं सोफे पर लेट गया और उसे नींद आ गयी नींद में उसे सपना आया कि वो लड़की जोर जोर से चिल्ला रही है कि ये मेरा पीछा कर रहा है और भीड़ ने उसे घेर लिया है और उसे जोर से झंझोड़ रही है।

क्रमशः
संजय नायक”शिल्प”