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दीप्ति के मन में अपने इस जीजाजी के लिए…
Poonam Jarka ========== बच्चों की छुट्टियां कल खत्म होने वाली थी, जिस वजह से हम आज रात ही सपरिवार ससुराल से छुट्टियां बिताकर वापस अपनी कर्मस्थली गोरखपुर की ओर प्रस्थान करने वाले थे। हँसी मजाक का दौर आज भी अन्य दिनों की भांति ही अपने चरम पर था। थोड़ी थोड़ी देर पर दीप्ति बीच महफिल […]
ज़िंदगी कभी बहार तो कभी ख़ार लगती है……परवेज़
ज़िंदगी कभी बहार तो कभी ख़ार लगती है कभी मेहबूब को तभी दग़ाबाज़ लगती है पल-पल बदलते रहते हैं रग-व-रूप कभी दिलकश तो कभी गमख्वार लगती है कभी गुल तो कभी गुज़जार लगती है कभी सहरा तो कभी पहाड़ लगती है कभी दिल तो कभी प्यार लगती है कभी उलफ़त तो कभी तक़रार लगती है […]
वो शायद भगवान भी नहीं कर सकते, मां वो जो मन पढ़ ले…..By-Santosh Kumar Pant
Santosh Kumar Pant ============= · मां और शहर ———-:————– ईजा (मां).. ईजा (मां)….मि ऐ गईं (मैं आ गया हूं)..यह कहते हुए मैं अभी अभी ‘शहर’ से लौटा था, और मां से पूरे 1 साल के बाद मिला था,मां से लिपटा…लगा जैसे समंदर ने हज़ार नदियों को अपने अंदर समेट लिया हो।हजारों बरस तक अलग न […]