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लाख भुलाना चाहा…..By-फ़ारूक़ रशीद फ़ारुक़ी

Farooque Rasheed Farooquee 

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 लाख भुलाना चाहा ………..
वो बचपन था। मैं बाम्बे के एक बहुत अच्छे कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ता था। यह बहुत पहले की बात है। सबीहा सिद्दीक़ी मैम मेरी क्लास टीचर थीं। मैं उन्हें बहुत प्यार करता था। उनके ख़ूबसूरत लम्बे बाल थे, स्लिम थीं, साढ़े पांच फ़िट लम्बाई थी, बहुत लम्बे बाल थे और बहुत प्यारा और मासूम चेहरा था। बात करती थीं तो फूल झड़ते थे। जो बात एक बार समझा देती थीं वह याद हो जाती थी। उस वक़्त वह 22-23 साल की थीं। बहुत शानदार और बहुत सख़्त थीं। बच्चों को बहुत प्यार से पढ़ाती थीं लेकिन शोर करने पर, शरारत करने पर और होमवर्क पूरा न होने पर सज़ा ज़रूर देती थीं।

सबीहा मैम ने मुझे क्लास मॉनिटर बनाया। जब मैम लिखने के बाद मिटाना चाहतीं तो मैं डस्टर लेकर ख़ुद मिटा देता। वह मना करतीं कि कॉन्वेंट में यह अलाऊड नहीं है। मुझे अपना काम ख़ुद करना चाहिए। मैं उनसे कहता कि आपको डस्ट से एलर्जी है। आपको तकलीफ़ होगी। मैम को बहुत नॉलेज थी। वह मेरे क्लास में चार पीरियड्स पढ़ाती थीं। हर बच्चे पर बहुत मेहनत करती थीं। बच्चे जब अच्छी तरह पढ़ लेते तो वह कहानियाॅं और जोक्स सुनातीं। छुट्टी के बाद रोज़ मैं उनसे हाथ मिलाकर आता। जब कोई त्यौहार होता तो वह मुझसे गले मिलतीं। वह मुझसे कहतीं कि पूरा क्लास मुझसे डरता है। तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता? मैं जवाब देता कि मैम आप बहुत प्यारी हैं। मैं तो घर में भी आपको याद करता हूॅं। आपका चेहरा बिल्कुल छोटी बच्ची की तरह है। अगर आप बच्ची बन जाएं तो मैं आपसे बहुत खेलूॅं। मैम इस बात पर बहुत हॅंसतीं और कहतीं कि तुम मेरे लिए बच्ची बन जाने की दुआ करो। मैं कहता कि मैं यह दुआ माॅंगता हूं। कभी-कभी मैम मुझे छुट्टी के बाद घर ले जातीं और बच्चों की स्कूल की कापियाॅं चेक करने के लिए कहतीं। वह मुझे अच्छी तरह नाश्ता करवातीं और डाॅंट-फटकार कर खिलातीं। बहुत प्यार था उस डाॅंट में।

वह साल गुज़र गया। मैंने क्लास 3 के हर सेक्शन में टॉप किया। पापा का ट्रान्सफर हो जाने की वजह से हम लोगों को बाम्बे छोड़ना पड़ा। मैम को छोड़ते वक़्त मैं बहुत रोया। मैम की आंखों में भी आंसू आ गए। मैम ने मुझे प्यार किया और कहा कि देखो तुम मेरी हर बात मानते हो। मैं तुमको बता रही हूं कि धीरे-धीरे तुम सब भूल जाओगे और मैं तुमसे मिलने ज़रूर आऊंगी।

आज 47 साल गुज़र गए! सबीहा मैम आप कहां होंगी? कैसी होंगी? आपकी हर बात सच्ची होती थी। लेकिन न तो मैं आपको भुला सका और न आपका इंतज़ार ख़त्म हुआ! मैम मैं आज भी आपको बहुत याद करता हूॅं। आपके लिए बहुत दुआ करता हूॅं, लेकिन अब आपके फिर से बच्ची बन जाने की दुआ नहीं करता। आप जहाॅं भी हों ख़ुश हों! आप बहुत अच्छी हैं मैम!

(फ़ारूक़ रशीद फ़ारुक़ी)