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लखीमपुर खीरी हिंसा : सत्र न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय से कहा, सुनवाई पूरी करने में पांच साल लग सकते हैं : रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी हिंसा : सत्र न्यायाधीश ने न्यायालय से कहा, सामान्य तौर पर सुनवाई पूरी करने में पांच साल लग सकते हैं
नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे सत्र न्यायाधीश ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि सामान्य तौर पर मुकदमे की सुनवाई पूरी करने में लगभग पांच साल लग सकते हैं।.

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा भी एक आरोपी है।.


IANS Hindi
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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई कर रही उत्तर प्रदेश की एक ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि सामान्य तरीके से मुकदमे को पूरा करने में पांच साल लग सकते हैं। इन मामलों में आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी हैं, जो केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे हैं।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले का ट्रायल पूरा होने में सामान्य क्रम में पांच वर्ष का समय लग सकता है। यह बात सत्र अदालत के जज द्वारा सुप्रीम कोर्ट को भेजी रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले में 208 गवाह और 171 दस्तावेज व 27 फारेंसिक साइंस लैबोरेट्री रिपोर्ट्स हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी में रिपोर्ट में कही गई बातें बताईं। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि क्या कार से कुचलने के मामले में एसयूवी पर सवार तीन लोगों की पीट पीटकर हत्या करने की अलग से दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार चार अभियुक्त अभी हिरासत में हैं।

आरोपी आशीष की जमानत पर टली सुनवाई
कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल कर मारने के आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत पर सुनवाई 19 जनवरी तक के लिए टाल दी। लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के लखीमपुर खीरी दौरे के दौरान किसानों द्वारा किये जा रहे प्रर्दशन में हिंसा हुई थी जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी।

चार किसानों की हुई थी मौत
आशीष मिश्रा पर प्रदर्शनकारी किसानों पर कार चढ़ाने का आरोप है जिसमें चार किसानों की जान गई थी। इस घटना के बाद प्रदर्शनकारी किसान हिंसक हो गए थे और उन्होंने कार में सवार तीन लोगों को उतार कर पीट पीटकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हुई थी। दोनों घटनाओं की अलग अलग एफआईआर दर्ज हुई थी। किसानों को गाड़ी से कुचलने के मामले में आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है।

आशीष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत देने की मांग की है। पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के सत्र न्यायाधीश से पूछा था कि वह रिपोर्ट दाखिल कर बताएं कि सामान्यक्रम में अन्य लंबित मामलों की सुनवाई प्रभावित किये बगैर, इस मामले की सुनवाई में कितना समय लगेगा। सत्र न्यायाधीश ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है।


आशीष मिश्रा की जमानत का मामला बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ में लगा। पीठ ने रिपोर्ट देखने के बाद मौखिक टिप्पणी में कहा कि रिपोर्ट कहती है कि ट्रायल पूरा होने में पांच साल का समय लगेगा। इसमें कहा गया है कि मामले में 208 गवाह, 171 दस्तावेज और 27 फारेंसिक साइंस लैबोरेट्री की रिपोर्ट्स हैं।

आशीष मिश्रा के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करे। तभी शिकायतकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने मांग की कि मामले की रोजाना सुनवाई की जाए और महत्वपूर्ण गवाहों की पहले गवाही कराई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि गवाहों पर हमले हुए हैं और उन्हें खतरा है लेकिन आशीष के वकील रोहतगी ने भूषण की दलीलों का विरोध किया कहा ये गलत कह रहे हैं।

मामले में गठित की गई थी SIT
भूषण ने कहा कि इसमें एसआइटी गठित की थी। रोहतगी ने कहा कि हमारा केस ये है कि हमारे काफिले पर हमला हुआ था। भीड़ ने हिंसा की और गाड़ी से उतार कर तीन लोगों की हत्या कर दी गई। इस पर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या एसयूवी से उतार कर तीन लोगों को मारे जाने की अलग से दर्ज हुई एफआईआर के केस की क्या स्थिति है क्या उसके अभियुक्त अभी जेल में हैं।

प्रशांत भूषण ने कहा कि सुनवाई किसी और दिन की जाए क्योंकि उनके केस में बहस करने वाले वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 19 जनवरी तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल के लिए टाइम लाइन तय करने से अभियोजन का केस प्रभावित हो सकता है। अन्य लंबित मामलों की सुनवाई भी प्रभावित हो सकती है।