उत्तर प्रदेश राज्य

लखनऊ : 22 वर्षीय दलित युवक आशीष रावत के आत्महत्या करने का मामला : रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते रविवार 22 वर्षीय दलित युवक आशीष रावत के आत्महत्या करने का मामला सामने आया है.

मृतक के परिवार की ओर से पुलिस को एक कथित सुसाइड नोट दिया गया है जिसमें मृतक ने आत्महत्या के कारण बयां करते हुए यूपी पुलिस के तीन कर्मियों पर आरोप लगाए हैं.

यूपी पुलिस ने इस मामले में दो दरोगा और एक सिपाही को लाइन हाज़िर कर दिया है.

इसके साथ ही तीनों पुलिसकर्मियों समेत सात लोगों के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी क़ानून के तहत केस दर्ज कर लिया है.

बीबीसी ने लखनऊ के रहीमाबाद थाने के अंतर्गत आने वाले गहदो गांव में रहने वाले मृतक के परिवार से बात की है.

परिवार के मुताबिक़, आशीष सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे.

फॉरेस्ट गार्ड की परीक्षा के लिए मृतक को जारी किए गए एडमिट कार्ड को दिखाते हुए मृतक की मां सुशीला देवी भावुक हो उठती हैं.

वो कहती हैं, “जब से भैया हमारा मुकदमे से जुड़ी पेशी पर जाने लगा तब से डिप्रेशन में रहने लगा. कहने लगा कि हमारी पेशी फर्ज़ी मुकदमे में हो रही है. हम कुछ कर लेंगे. तो हमने कहा बेटा कुछ ना करो. फिर समझाया बुझाया. और भैया धोखे से हमको धोखा दे गए.”

(आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.)

किस मुकदमे में हो रही थी आशीष की पेशी
मृतक के भाई मयंक उर्फ मनीष ने बीबीसी को उस मुकदमे के बारे में जानकारी दी जिसने उन्हें और उनके भाई को कोर्ट के चक्कर काटने के लिए मजबूर किया.

मनीष बताते हैं कि ‘दिसम्बर 2018 में आशीष और हमारे पिता महादेव रिपेयर के दौरान गाड़ी को हुए नुकसान के बारे में बात करने नंदू विश्वकर्मा के पास गए तो नंदू ने दोनों के साथ मारपीट और गाली गलौच की.’

स्थानीय लोगों और मृतक के भाई के मुताबिक़ नंदू विश्वकर्मा ट्रैक्टर के साथ लगने वाली ट्राली की बॉडी बनाने का काम करते हैं.

इसके साथ ही वह घर में लगने वाली ग्रिल के फेब्रिकेशन का भी काम करते हैं.

परिवार का कहना है कि इस झगड़े में आशीष पर सरिये से हमला हुआ जिससे उनके सिर में चोट भी लगी.

इस मामले में आशीष और उनके पिता की ओर से नंदू विश्वकर्मा और उनके मजदूरों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया गया जिसमें कुछ पेशियां हुईं.

मनीष का दावा है कि साल 2022 के सितंबर महीने में नंदू विश्वकर्मा के यहां काम करने वाले एक मजदूर श्याम लाल ने दोनों भाइयों के ख़िलाफ़ मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया. इस सिलसिले में दोनों भाई पेशी के लिए कोर्ट जाते थे.

मनीष बताते हैं कि साल 2022 के दिसंबर महीने में उनके पिता महादेव ने ज़मीन के एक विवाद से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी.


‘मानसिक रूप से परेशान थे आशीष’
मनीष रावत के अनुसार, “आशीष इस बात से डिप्रेशन में थे कि मुकदमा हो जाने की वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी.”

मनीष दावा करते हैं कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले पुलिसकर्मियों ने दोनों भाइयों से रिश्वत मांगी थी.

वह कहते हैं, “मुकदमे में लगाई गई धारा 452 में बिना अनुमति के किसी के घर में घुसकर किसी को चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी करना या हमला करना या धमकाने का आरोप बनता है. और आईपीसी की धारा 452 में यह अपराध माना जाता है. इसमें 7 साल तक की सजा का प्रावधान है.

“इस धारा को हटाने के लिए पुलिस वाले 50 हज़ार रुपये मांग रहे थे. हम लोग दे नहीं पाए इसलिए उन लोगों ने चार्जशीट लगाकर कोर्ट भेज दी.”

अपने बेटे की मौत के ग़म में बेहाल सुशीला देवी बार–बारे रोते हुए नंदू विश्वकर्मा और पुलिस वालों का नाम लेती दिखीं.

मनीष बताते हैं कि “बीती आठ जून को पेशी से लौटकर उनके भाई ने उनसे कहा कि ‘मैं बहुत ज़्यादा डिप्रेशन में हूं मैं डिप्रेशन में जा रहा हूं क्योंकि मुझे फर्ज़ी फंसाया गया. मैं यूपीएसएसएससी (सरकारी नौकरी की परीक्षा) की पूरी तरीके से तैयारी नहीं कर पा रहा हूं.’ यह भी कह रहे थे कि ‘पिताजी मेरी वजह से डिप्रेशन में गए वो भी सुसाइड कर लिए, मैं भी सुसाइड कर लूंगा.’ तो मैंने उसे ये सांत्वना दी जब तक मैं ज़िंदा हूं, कुछ होने नहीं दूंगा.”

मृतक के परिवार का कहना है कि आशीष ने आख़िरी पेशी से ठीक तीन दिन पहले आत्महत्या कर ली.

क्या कहती है यूपी पुलिस
लखनऊ के डीसीपी वेस्ट राहुल राज ने बीबीसी से बात करते हुए इस मामले में पुलिसकर्मियों पर लगाए गए आरोपों और उनके ख़िलाफ़ उठाए गए कदमों की जानकारी दी है.

राहुल राज ने बताया है, “इस संबंध में मृतक के परिजनों की ओर से एक सुसाइड नोट भी दिया है, जिसमें उसके प्रतिपक्षी तीन लोगों के साथ रहीमाबाद थाने के तीन पुलिस कर्मियों का भी नाम है.”

मामले की जांच एसीपी मलीहाबाद कर रहे हैं.

जांच निष्पक्ष हो इसलिए पुलिस कर्मियों को पुलिस लाइन में तैनात कर दिया गया है.

डीसीपी राहुल राज ने बताया, “आशीष की मां सुशीला देवी की तहरीर पर पुलिस ने तीनों पुलिसकर्मियों समेत सात लोगों के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने, एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है.”

बीबीसी ने नंदू विश्वकर्मा से उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.

महत्वपूर्ण जानकारी-

मानसिक समस्याओं का इलाज दवा और थेरेपी से संभव है. इसके लिए आपको मनोचिकित्सक से मदद लेनी चाहिए, आप इन हेल्पलाइन से भी संपर्क कर सकते हैं-

समाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय की हेल्पलाइन- 1800-599-0019 (13 भाषाओं में उपलब्ध)

इंस्टीट्यूट ऑफ़ ह्यमून बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज-9868396824, 9868396841, 011-22574820

हितगुज हेल्पलाइन, मुंबई- 022- 24131212

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस-080 – 26995000

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अमन द्विवेदी

बीबीसी हिन्दी के लिए, लखनऊ से