नई दिल्ली:ब्यान को लेकर विवादों में रहने वाले ब्रिटेन के काले नेता को 15 साल पुराने एक मामले में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें जनता की नाराजगी झेलनी पड़ रही।
लंदन में 2020 के महापौर चुनाव के लिए ब्रिटेन में सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार 13 साल पहले हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में अपने विचार के कारण बुधवार को आलोचनाओं से घिर गए। लंदन के महापौर सादिक खान के खिलाफ कंजर्वेटिव उम्मीदवार शॉन बैले ने 2005 में सेंटर फॉर पालिसी स्टडी के लिए एक पैम्फ्लेट तैयार किया था जिसमें उन्होंने ब्रिटेन के सांस्कृतिक परिदृश्य में हिंदू और मुस्लिम प्रभाव पर हमला बोला था
नो मैन्स लैंड’ नामक इस पैम्फ्लेट में उन्होंने लिखा था, ‘आप अपने बच्चों को लेकर स्कूल आयें और वे क्रिसमस के बजाए दिवाली के बारे में बहुत कुछ सीखेंगे। मैं देख रहा हूं कि स्कूलों में बच्चों की छुट्टीमुस्लिम + और हिंदू त्योहारों के आधार पर होती है। क्या यह ब्रिटिश समुदाय को उसकी जड़ों से काटने की कोशिश है?’
ब्रिटेन में सभी धर्म और समुदाय के लोगों के आकर रहने को लेकर भी उन्होंने अपने उस लेख में निशाना साधा था। 2005 में लिखे अपने लेख में उन्होंने कहा, ‘एक स्थान के तौर परब्रिटेन + में बहुत सी अच्छी बातें हैं और ब्रिटिश लोगों में भी बहुत कुछ सराहनीय है। अगर ब्रिटिश लोग जिस धर्म में यकीन करते हैं उसे ही खत्म किया जाने लगे, अगर हमारे मूल्यों को ही हमसे दूर किया जाने लगे तो क्या होगा?’
दूसरी संस्कृति और धर्मों के लोगों के ब्रिटिश संस्कृति में घुलने-मिलने की व्यवस्था को उन्होंने ब्रिटिश सभ्यता के लिए खतरे का संकेत बताया था। उन्होंने कहा, ‘अगर हम दूसरे धर्म और संस्कृति के लोगों को ब्रिटेन में रहने और अपनी मान्यताओं के प्रसार की अनुमति दे देंगे तो इसके कुछ गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वह अपनी संस्कृति और धर्म के साथ कुछ ऐसी परेशानी भी लेकर आएंगे जो कि उनके समुदाय की है।