दुनिया

रूस के तेल और गैस के बिना ठंड से बेहाल हो जायेंगे यूरोपीय देश : रिपोर्ट

यूरोपीय देश इस समय गैस की सप्लाई सुनिश्चित करने और ऊर्जा की क़ीमतों को कंट्रोल करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है मगर इस संकट से गंभीर आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक संकट पैदा हो गया है।

कुछ यूरोपीय सरकारों ने मांग करना शुरू कर दिया है कि रूस की तेल और गैस की इंडस्ट्री पर प्रतिबंध लगाने की नीति छोड़ देनी चाहिए। यूनान के प्रधानमंत्री ने कहा कि रूस के ख़िलाफ़ यूरोपीय संघ की पाबंदियां अब ख़ुद युरोप को निशाना बनाने लगी हैं और इनसे यूरोपीय देशों की अर्थ व्यवस्था को चोट पहुंच रही है।

अमरीका की पालीसी के तहत यूरोप ने रूस के ख़िलाफ़ पाबंदियां कड़ी कर दीं तो नतीजे में कई महीने से रूस से यूरोप को गैस की सप्लाई में गंभीर अड़चनें पैदा हो गई हैं। सप्लाई कम या ख़त्म हो गई है। इस स्थिति ने यूरोपीय देशों विशेष रूप से आर्थिक रूप से मज़बूत समझे जाने वाले देशों जैसे जर्मनी को बहुत ज़्यादा प्रभावित किया है। गैस की कमी के चलते ईंधन की क़ीमतें आसमान से बातें करने लगी हैं और बिजली की पैदावार बहुत कठिन हो गई है। इस संकट की वजह से बिजली की पैदावार पर लागत बहुत ज़्यादा आने लगी है। हालात यह हो गई है कि अनेक उद्योग दिवालियापन की कगार पर पहुंच चुके हैं।

यूनान, इटली और पूर्वी यूरोप के देशों में यह संकट ज़्यादा गंभीर हो चला है। यही वजह है कि यूनान के प्रधानमंत्री ने कहा कि पश्चिमी यूरोप के देशों को रूस पर पाबंदियां लगाने के बेहद विनाशकारी परिणामों को अंदाज़ा हो चुका है मगर फिर भी वे अपनी रणनीति बदलने के लिए तैयार नहीं हैं।

अलबत्ता यूरोपीय देशों के पास रूस यूक्रेन जंग के मामले में वाशिंग्टन की नीतियों पर अमल करने के अलावा कोई चारा भी नहीं है। दरअस्ल यूक्रेन की वर्तमान जंग अमरीका और रूस के बीच ऊर्जा की जंग में बदल गई है जो यूरोप की धरती पर लड़ी जा रही है। स्थिति यह है कि अमरीका के पास तो तेल और गैस के संसाधन मौजूद हैं इसलिए इस जंग से अमरीका को तेल व गैस के निर्यात से काफ़ी बड़ा फ़ायदा हो रहा है। रूस ने भी अपनी गैस के लिए नए ख़रीदार तलाश कर लिए हैं और चीन जैसे बड़े ख़रीदार की मदद से पश्चिम की पाबंदियों से पहुंचने वाले नुक़सान की काफ़ी हद तक भरपाई कर ली है। इस बीच विश्व में तेल और गैस की क़ीमतें बढ़ जाने से रूस की आमदनी भी बढ़ गई है।

रूस के कस्टम विभाग के अधिकारी व्लादमीर एवीन ने कहा कि तेल और गैस से रूस को होने वाली आमदनी डेढ़ गुना बढ़ गई है। रूस ने यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद छह महीने की मुद्दत में 158 अरब डालर तेल और गैस से हासिल किए हैं।

यूरोपीय देश तो जाड़े के मौसम के बारे में सोच सोचकर अभी से परेशान हैं और यूरोपीय संघ के भीतर मतभेद बढ़ता जा रहा है। चेक रिपब्लिक के मंत्री मिकलास बक ने कहा कि रूस पर लगी पाबंदियां हंग्री को यूरोपीय संघ से बाहर निकल जाने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।

हंग्री के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने रूस पर लगी पाबंदियों से कुछ छूट हासिल करने में कामयाबी प्राप्त की और उन पर ऊर्जा संकट का इतना ज़्यादा असर नहीं पड़ने दिया। उनका कहना है कि रूस पर जो भी पाबंदियां लगाई गई हैं उनका रूस पर तो बहुत ज़्यादा असर नहीं पड़ा बल्कि यूरोप को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ गया।

यूरोपीय देश इस समय बुरी तरह फंस गए हैं। एक तरफ़ वे अमरीका की मांग ठुकरा नहीं सकते और दूसरी तरफ़ रूस के बारे में उसकी शत्रुतापूर्ण नीतियों के चलते इन देशों को बहुत ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ रहा है।

कार्नेगी थिंक टैंक का कहना है कि आने वाला जाड़े का मौसम यूरोप के लिए केवल एक कड़ी ठंड नहीं है बल्कि आने वाले दो तीन वर्षों में यूरोप को इसी भयानक संकट से जूझना होगा।