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”औकात में रहना”
Laxmi Kumawat ============ * पत्नी को दूसरों के सामने बेइज्जत करके कौन सा सम्मान मिल जाता है * ” निधि तुम भी कहाँ जरा सी बात लेकर बैठ गई। कम से कम तुम तो समझो। अगर मैं ऐसा ना कहता तो लोग मुझे जोरु का गुलाम समझने लगेंगे। आखिर मुझे भी तो अपने परिवार के […]
काश! मेरे भी पापा होते….
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय =========== यश पैर पटकता हुआ रूम से निकला और अपने पापा की कार में पिछली सीट पर जाकर बैठ गया. दीपक और उनकी पत्नी उदास से कार में बैठे थे… क्योंकि यश की प्रतिक्रिया देखकर जाने का मन नहीं था, पर बचपन के दोस्त शेखर ने अपने बर्थडे पर सपरिवार बुलाया था. […]
”तुम कभी किसी को ये मत बताना कि ये स्कूटर तुमने कहाँ से और कैसे चोरी किया”
ये कहानी हमारे मित्र गुप्ता जी के लिए :: व्यवहार :: गुप्ता जी, पेशे से व्यापारी थे। कस्बे से दुकान की दूरी महज़ 9 किलोमीटर थी। एकदम वीराने में थी उनकी दुकान कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था, तो अक्सर लिफ्ट मांग कर ही काम चलाना पड़ता था और […]