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राष्ट्रपति ने कहा-डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी के माध्यम से हम जनजातियों की संस्कृति का ज्ञान आने वाली पीढ़ियों तक आसानी से पहुंचा सकते है : धर्मेन्द्र सोनी की रिपोर्ट

*कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेन्द्र सोनी

दिल्ली में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू की मुख्य अतिथि में जनजातीय अनुसंधान अस्मिता अस्तित्व और विकास कार्यक्रम में गुरु गोविंद जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर इंद्र वर्धन त्रिवेदी, प्रोफेसर डॉक्टर राकेश डामोर सहित प्रमुख शिक्षाविदों ने भाग लिया

विकास के साथ जनजातियों की सांस्कृतिक पहचान बनी रहे।

राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मु
सोमवार को आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने ‘स्वतन्त्रता संग्राम में जनजाती नायकों का योगदान’ नामक पुस्तक का विमोचन होना गर्व की बात है। मुझे विश्वास है कि इस पुस्तक के माध्यम से देश भर में जनजातियों के संघर्ष और बलिदान की गाथाओं का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार होगा।

इतिहास हमें बताता है कि जनजाति समाज ने कभी भी गुलामी स्वीकार नहीं की। देश पर हुए सभी आक्रमणों का सबसे पहले जनजाति समाज ने ही प्रबल प्रतिकार किया।

देश की उन्नति तभी हो सकती है जब हमारा युवा अपने गौरवशाली इतिहास को समझे, अपने देश एवं समाज की सुख-समृद्धि के सपने देखे, और उन्हें साकार करने के हर संभव प्रयास करे।

प्रकृति के साथ जनजाति समाज का घनिष्ठ संबंध अनुकरणीय है। उन्हें साथ लेकर हम विकास की नई ऊंचाईयां पा सकते हैं और सही अर्थों में समावेशी विकास का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

हमारे देश की अनुसूचित जनजातीय जनसंख्या दस करोड़ से अधिक है। हमारे सामने यह सुनिश्चित करने की चुनौती है कि विकास का लाभ सभी जनजातियों तक पहुंचे। साथ ही साथ उनकी सांस्कृतिक अस्मिता और पहचान बनी रहे।

जनजाति समाज का ज्ञान जिस भी रूप में उपलब्ध है उसका संकलन करके लोकप्रिय माध्यम से उसे देश और दुनिया तक पहुंचाना एक उपयोगी प्रयास होगा। डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी के माध्यम से हम जनजातियोंबी की संस्कृति का ज्ञान आने वाली पीढ़ियों तक आसानी से पहुंचा सकते है

समारोह में गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के कुलपति प्रोफेसर इंद्र वर्धन त्रिवेदी प्रोफेसर डॉ राकेश डामोर डॉ गणेश लाल निनामा डॉ धर्मेंद्र मीणा डॉक्टर योगिता निनामा डॉ अजीत भाबोर लौटा कन्हैयालाल खाट डॉक्टर कृष्ण लीला प्रोफेसर गौतम लाल कटारा आदि प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया