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राम लल्ला की पूजा के लिये सुप्रीम कोर्ट पहुँचे सुब्रामण्यम स्वामी को कोर्ट ने लगाई फटकार-कहा पहले मस्जिद और इस्लाम पर फैसला होने दो

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राज्य सभा साँसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या में रामलला की पूजा के अधिकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में एकबार फिर अपील की है। स्वामी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से मामले पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी, जिसे सीजेआई ने खारिज कर दिया। जस्टिस मिश्रा ने कहा इस्माइल फारूकी के मामले में अभी फैसला सुरक्षित है। इसलिए आपकी याचिका पर अभी तुरंत सुनवाई की कोई आवश्कता नहीं है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले इस्माइल फारूखी मामले पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना दे उसके बाद आप रामलला की पूजा के अधिकार के लिए अपील करें। सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि मुझे पूजा का अधिकार है। प्रत्येक हिंदू को रामलला की पूजा करने का अधिकार है। पूजा का अधिकार संपत्ति के अधिकार से ऊपर है।

बता दें कि 1994 में अयोध्या मामले के मूल याचिकाकर्ताओं में से एक इस्माइल फारूकी ने इसपर आपत्ति जताई थी कि मस्जिद इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का अभिन्ना हिस्सा नहीं है। उस वक्त पांच जजों की बेंच ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे ताकि हिंदू पूजा कर रहे। इसी फैसले को अब पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ भेजा जाए या नहीं, इसपर शुक्रवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पिछले करीब 68 वर्षों से अयोध्या में राम जन्मभूमि मामला कोर्ट में है। मामला कोर्ट में होने के बावजूद इसपर जमकर राजनीति होती है। पिछले दिनों वृंदावन आए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने बीजेपी और मोदी-योगी सरकारों पर जमकर हमला किया। शंकराचार्य नेकहा कि बीजेपी राम मंदिर बनवाना नहीं चाहती है। वह आगामी लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के नाम पर सत्ता पाना चाहती है। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार राम मंदिर के मुद्दे पर गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार गोहत्या रोकने, धारा 370 और समान सिविल कोड जैसे कानून नहीं बना सकी है।