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मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है….नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है : उमेश विश्वकर्मा ‘आहत’ की दो ख़ूबसूरत ग़ज़लें पढ़िये!
Umesh Vishwakarma Aahat ================ बहरे- मुतकारिब मुसमन सालिम अर्कान= फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़्तीअ= 122, 122, 122, 122 क़ाफ़िया= (आ- स्वर) रदीफ़= भी नहीं है ग़ज़ल * मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है । नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है । * कभी दोस्ती में दग़ा भी नहीं है । मगर ये […]
ज़िन्दगी और मौत के तीन क़िस्से!…. उसे इतना सदमा लगा कि वह फिर से मर गया!!
Kavita Krishnapallavi ===================== · ज़िन्दगी और मौत के तीन किस्से (ज़िन्दगी और मौत के इन तीन किस्सों में से भी एक किस्सा एक प्रोफेसर साहब का है! दूसरा एक प्रसिद्ध लेखक-पत्रकार का है और तीसरा गाँव के एक कटु सत्यवादी मुँहफट सयाने का! गाँव के मुँहफट और लेखक-पत्रकार वाले किस्सों में तो सच की बुनियाद […]
‘सांझी दुनिया’…अब कम से कम छोटे-मोटे ख़र्चे तो पूरे हो जाते हैं!
Anita Manoj Social Worker ====== ‘सांझी दुनिया’ मम्मी फिर पीछे पडी थीं, “बेटा, अच्छा नहीं लगता, अब तो तू उस शहर से जा ही रही है। मिल आ एक बार” “क्या मम्मी, तुम्ही ने तो बताया था, रमेश भैया के बारे में। तब से वहाँ जाने का मन नहीं करता है मेरा, जानती तो हो” […]