साहित्य

राम अवश्य आते हैं, पहचान सकोगे?? तुम जानो….By-संजय नायक”शिल्प”

संजय नायक ‘शिल्प’
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राम अवश्य आते हैं, पहचान सकोगे??
तुम जानो….
एक और अहिल्या…
“कितनी उम्र है तुम्हारी?” उसने पूछा।

“15 साल” जवाब मिला।

“और ये क्या कह रहे हो मुझे?” उसने फिर सवाल किया।

“यही की आपसे प्यार करना चाहता हूँ , मेरे पास 100 रुपये भी हैं।” लड़के ने सपाट कहा।

“और तुम्हें ये किसने कह दिया, कि मैं तुम्हें 100 रुपये के बदले प्यार करने दूँगी “, उसने फिर पूछा।

“सब कहते हैं, कि तुम रंडी हो, 100 रुपये लेकर जिसे मर्जी प्यार करने देती हो, मेरे दोस्तों ने बताया।” लड़के ने तीखी बात कही, रंडी नाम उस औरत को तीर सा चुभा।

पर फिर उसने संयत होकर कहा, “सुनो, मेरी उम्र 30 साल है तुमसे दुगुनी उम्र की हूँ, पता भी है?”

लड़का फिर बोला “उम्र से क्या, आप 100 रुपये लो, और प्यार करने दो।”

“ये 100 रुपये कहाँ से लाये , कहाँ रहते हो, इस मुहल्ले में तो नहीं देखा “, उसने फिर लड़के से पूछा।
“मैंने अपनी सारी पुरानी किताबें रद्दी में बेच दी, उससे 100 रुपये मिले और मैं पड़ोस के मुहल्ले में रहता हूँ, अब प्यार करने दो, वैसे तुम इतने सवाल क्यों कर रही हो? लड़के ने तल्खी से कहा।

“सुनो लड़के, मैं किसी से प्यार के चक्कर में घर छोड़ कर भाग आई और उसने कई बार मुझसे ये काम करवाया। इसके बदले खुद पैसे लेता था । जब मैं गर्भवती हुई तो वो छोड़कर भाग गया। अपने बच्चे और खुद के लिए मुझे जीना था। फिर वो प्रेमी जिन आदमियों को लाता था , वो आदमी बच्चा होने के बाद मेरे पास फिर से आने लगे और पैसे देने लगे, तो मैं ये काम कर रही हूँ । पर तुम बच्चे हो और मैं तुम्हें इस गंदगी में नहीं पड़ने देना चाहती, इसलिए चले जाओ।” उसने कहा।

“सुनो, मैं भी तो आदमी हूँ और 100 रुपये भी दे रहा हूँ, प्यार करने दो “, लड़के ने जिद की।

औरत समझ गई थी कि ये लड़का यूँ न मानेगा। उसने कहा “अच्छा सुनो मेरी एक शर्त है, तुमने किताबें बेचकर पैसे लिए हैं न? मैं तुम्हें एक किताब पढ़ने को देती हूँ, उसे पढ़कर मेरे पास आना, फिर मैं तुम्हें प्यार करने दूँगी । अभी ये किताब ले जाओ और अपने 100 रुपये भी । ये रुपये उस दिन लाना जब किताब पूरी पढ़कर आओ।” उसने कहा।

लड़का कुछ देर सोचता रहा, “ठीक है किताब दो, पर अपने वादे से न मुकरना, मैं जल्द किताब पढ़कर लौटूंगा तब प्यार करने देना होगा। वादा करती हो?”

“हाँ, वादा करती हूँ, अब जाओ यहाँ से, मैं किताब लेकर आती हूँ “, उसने कहा और उसे एक थैले में लिपटी किताब दे दी। लड़का चला गया और औरत हैरान परेशान थी, उसे अपनी इमेज पर शर्म आ रही थी। उसने आने वाले हर ग्राहक को लौटाना शुरू कर दिया।

ठीक दसवें दिन वही लड़का फिर आ गया, उसके हाथ में वो किताब थी, लड़के ने कहा, “ये लो ये किताब नहीं है, ये तो रामायण ग्रन्थ है। मैंने राम को भी पढ़ लिया, रावण को भी । रावण भी सीता को उठा ले गया, पर उसे छुआ नहीं । जब ऐसा ग्रन्थ घर में रखती हो तो उसे पढ़ती क्यूँ नहीं ? अहिल्या ने कोई गलती नहीं की फिर भी उसे सजा मिली। तुम गलत मत करो, और तुमने जो वादा किया उसे तोड़ दो और मुझसे दूसरा वादा करो, अब और पाप मत करो, और सुनो ऐसी किताब की कोई कीमत नहीं होती, पर तुमने मुझे पढ़ने दी, इसलिए ये 100 रुपये रखो “, लड़के ने रामायण और 100 रुपये टेबल पर रखे और चला गया। वो लड़के को जाते हुए देखती रही, उसे लगा कि एक बार फिर से राम आकर अहिल्या को पत्थर से इंसान बना कर चले गए। उसने रामायण उठाकर सीने से लगा ली।

संजय नायक”शिल्प”