साहित्य

#राजपूत शब्द की उत्पत्ति राजपुत्र से हुई है, राजपूत केवल राजकुल में ही पैदा होते हैं….By-B B Singh

B B Singh

Lives in Jaunpur, Uttar Pradesh
संवाददाता at Jaunpur City News
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#राजपूत शब्द की उत्पत्ति राजपुत्र से हुई है, इसलिए राजपूतों के लिए यह भी काफी प्रचलित है कि राजपूत केवल राजकुल यानि कि राजा के कुल में ही पैदा होते हैं, हालांकि राजा के कुल में तो कई जातियां पैदा हुईं लेकिन, वे सभी को राजपूत नहीं कहलाई।

इसलिए राजपूत राजकुल में पैदा होने से नहीं बल्कि राजा जैसे गुण रखने और सभी के हित के बारे में सोचने, सभी की रक्षा करने एवं अपने धर्म के प्रति सर्मपित रहने के लिए राजपूत कहलाए।

अंग्रेजी शासन के दौरान राजपूतों को राजपूताना भी कहा जाता था। वहीं हिन्दू धर्म की जाति व्यवस्था को चार वर्णों में बांटा गया, लेकिन बाद में इन वर्णों के अर्न्तगत कई जातियां बनाईं गईं, तो वहीं कवि चंदबरदाई के कथा के मुताबिक राजपूतों को 36 जातियों में वर्गीकृत किया गया था, जबकि राजपूतों के प्रमुख गोत्र राठौड़, कुशवाहा, दहिया, पंवार, चौहान, सिसौदिया, जादों आदि हैं।

लेक सिटी उदयपुर, राजस्थान

बड़े-बड़े इतिहासकारों के मुताबिक राजपूत काल के समय क्षत्रिय वर्ण के सूर्यवंश और चन्द्रवंश के राजघरानों का जमकर विस्तार हुआ था, क्योंकि उस दौरान सिर्फ क्षत्रिय वर्ग को ही युद्ध कौशल में निपुण बनाने की परंपरा थी, सिर्फ राजपूत एवं क्षत्रिय लोग ही युद्ध में पूरी तरह से हिस्सा ले सकते थे, इसके साथ ही राजकाज की पूरी जिम्मेदारी संभाल सकते थे।

प्राचीन काल में सभी जातियों के आधार पर उनके अलग-अलग काम बांटे गए थे, जैसे कि ब्राह्मण जाति के लोग शिक्षाविद्, पंडित एवं विद्धान थे, उसी तरह वैश्य अर्थात बनिया जाति के ज्यादातर लोग अपना व्यापार करते थे और शुद्र जाति के लोगों को साफ-सफाई जैसे छोटे कामों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

राजपूतों ने 7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के बीच भारत के मुख्य हिस्सों पर अपना कब्जा जमाया था। भारत के ज्यादातर मुख्य हिस्सों पर राजपूत राजाओं का शासन हुआ करता था, इसलिए इस समय को राजपूत काल का स्वर्ण युग भी कहा जाता है।

हालांकि, राजपूत राजाओं के अहंकार और आपसी लड़ाई-झगड़े एवं मतभेद की वजह से भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया। वहीं राजा हर्षवर्धन एक ऐसे राजपूत शासक थे, जिन्होंने 590 से 647 ईसापूर्व तक एक छत्र शासन किया और पंजाब को छोड़कर पूरे उत्तर भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया।

आपको बता दें कि राजा हर्षवर्धन के बाद कोई भी ऐसा राजा नहीं था, जिसने भारत पर इतने लंबे समय तक राज किया हो।

वहीं राजपूत शासकों की विचारधारा का आपस में मेल नहीं खाने का सबसे बड़ा फायदा मुगलों को हुआ। आपसी लड़ाई के कारण राजपूत शासक एक-दूसरे पर हमला करते थे, जिसका राजपूत वंश का पतन होता चला गया और मुगल साम्राज्य का विस्तार हुआ।
जय माँ भवानी जय राजपूताना