हरदोई: रमज़ान उल मुबारक में अल्लाह अपना खास इनाम अपने बंदों पर करते हैं,जिसका अहसास बन्दा भी करता है,पूरे रमज़ान बन्दा अल्लाह की इबादत करते हैं,नमाज़ें पढ़ते हैं,रोज़े रखते हैं,तरावीह पढ़ते हैं,क़ुरआन पाक की तिलावत करते हैं।
जेल की काली कोठरी में भी कुरान की आयतें गूंज रही हैं। जिला कारागार में 170 बंदियों ने रोजा रखा है। जिसमें सात महिलाएं भी शामिल हैं। जेल में रोजेदारों के लिए नमाज के साथ ही रोजा इफ्तार और सहरी का खास इंतजाम किया गया है। जेल प्रशासन के अनुसार जेल की दीवारें गंगा जमुनी तहजीब पेश कर रही हैं। हिन्दू बंदी, रोजेदारों की मदद करते हैं।
सैकड़ों बंदी जिला कारागार में सजा काट रहे हैं। इस सजा के बीच ऐसे भी बंदी हैं जोकि ईश्वर- अल्लाह को याद करते रहते हैं। नवरात्र में बंदी व्रत रखते हैं तो अब रमजान में बंदियों ने रोजा भी रखा है। जेलर मृत्युंजय कुमार पांडेय के अनुसार जेल में 170 बंदियों ने रोजा रखा है।
सात महिलाएं भी रोजा रखे हुए हैं, जेल प्रशासन ने उनकी इफ्तार और सहरी का इंतजाम करा रखा है। समाज सेवी संस्थाएं भी मदद करती हैं। जेलर कहते हैं कि सहरी के लिए बंदियों को शाम को ही पूरा नाश्ता दे दिया जाता है। वहीं इफ्तार के लिए खजूर के साथ ही डेढ़ खुराक खाना दिया जाता है। उन्होंने बताया कि वैसे हर साल कई हिन्दू बंदी भी रोजा रखते हैं और रोजेदारों की पूरी मदद भी करते हैं।
रमजान में जेल में रोजेदारों के लिए किए गए खास इंतजाम में जेल प्रशासन ने एक बैरक को नमाज के लिए सुरक्षित कर दिया है। जेलर के अनुसार रोजेदार बंदी उसी बैरक में जाकर नमाज पढ़ते हैं और फिर अपनी अपनी बैरक में चले जाते हैं।
तिहाड़ जेल में भी इस साल 59 हिंदू कैदी अपने 2299 मुस्लिम कैदी साथियों के साथ रमज़ान के पवित्र महीने में रोज़ा रख रहे हैं. लेकिन इन सभी के रोज़ा रखने के सभी के अपने अलग-अलग कारण हैं. कोई इसलिए रोज़ा रख रहा है ताकि उसे समय से पहले रिहाई मिल जाए तो कोई अपने बच्चों व घर वालों की हिफ़ाजत के लिए. कुछ कैदी ऐसे भी हैं जो अपने साथी कैदियों का साथ देने के लिए रोज़ा रख रहे हैं.