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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर सोशल मीडिया, एनजीओ और मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है!

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर सोशल मीडिया, एनजीओ और मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है. उन्होंने कहा कि नई तकनीकों और ‘हाइब्रिड युद्ध’ के आने से आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच लकीर धुंधली हो रही है.

गांधीनगर में सोमवार को राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी (आरआरयू) के दूसरे दीक्षांत समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि यह देखना भी बहुत बड़ी चुनौती कि ‘देश के अच्छे सिस्टम को ख़त्म करने के लिए’ क्या-क्या किया जा रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने कहा, ”कहीं सोशल मीडिया स्वतंत्र है तो उस पर व्यवस्थित उपप्रचार कैसे किया जाए. सोशल मीडिया का स्वतंत्र होना कोई बुरी बात नहीं है. स्वतंत्रता होनी चाहिए, मीडिया भी स्वतंत्र होनी चाहिए. लेकतिन मीडिया स्वतंत्र है, इसका दुरुपयोग कैसे होता है. कैसे मीडिया के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ख़तरनाक और विभाजनकारी बातों को स्थापित और उसे प्रचारित करने की कोशिश की जाती है.”

”यदि एनजीओ स्वतंत्र है तो कैसे इन एनजीओ का ऐसा प्रयोग किया जाए कि देश के पूरे सिस्टम को ये पैरालाइज़ कर दें. यदि न्यायपालिका स्वतंत्र है तो कानूनी ढंग से और कानूनी पेचों के द्वारा कैसे विकास के कार्यों को रोका जाए, ये कोशिश रहती है. हमारे देश का लोकतंत्र बड़ा गतिशील है.”

2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा का उदाहरण देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ”जिस तरह के हाइब्रिड युद्ध होने लगे हैं उससे आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की लाइन धुंधली हो रही है.”

“आज युद्ध की कोई निश्चित तारीख घोषित नहीं होती बल्कि निरंतर युद्ध का युग है, चाहे वो बैंकों, ट्रांसपोर्ट और सिक्योरिटी सिस्टम पर साइबर हमला हो, या सोशल मीडिया के जरिए समाज में नफरत फैलाने के प्रयास हों, भीमा कोरेगांव का आंदोलन जो पूरे देश में फैल गया था, बाद में पता चला कि उससे जुड़े 50 फ़ीसदी ट्वीट पाकिस्तान से हुए थे.”

केंद्रीय मंत्री ने छात्रों को आगाह किया कि बौद्धिक ज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक और नैतिक ज्ञान प्राप्त किए बिना, किसी को गलत रास्ते पर ले जाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ”हमें अपने समाज को नैतिकता और आध्यात्मिकता के रास्ते पर ले जाने की ज़रूरत है. हमारी सरकार ने कई प्रयास किए हैं और हमारे प्रधानमंत्री ने उसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जब आप को किसी क्षेत्र में कुछ करने का मौका मिलता है तो यह आप की बुद्धि नहीं आप के मन पर निर्भर करता है.”

राजनाथ सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा, ”भारत में भी ऐसे उदाहरण हैं जहां युवा आतंकवाद में शामिल थे. वो अनपढ़ नहीं थे, वो स्नातक थे. काफ़ी पढ़ने के बाद भी कोई खालिद शेख या मोहम्मद अता (9/11 का मास्टरमाइंड) हो सकता है.

“कोई पढ़ लिखकर डॉक्टर बन सकता है और अफ़ज़ल गुरू भी हो सकता है, कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट हो सकता है और याकूब मेमन भी हो सकता है. कोई बहुत अमीर हो सकता है फिर ओसामा बिन लादेन बन सकता है. इसलिए इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने बुद्धिमान हैं, आपको कुछ मूल्यों के साथ बंधे रहना चाहिए. ”