अरूणिमा सिंह
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न न न!
ये दिख जरूर रहा है लेकिन अंजीर नहीं है।
ये हमारी देशी अंजीर यानि गूलर है।
ये ऐसा पेड़ व फल है जिसके फूल नहीं खिलते है सीधा फल ही लगता है। हमारे यहां कहते है कि यदि कोई गूलर का फूल देख ले या पा जाये तो बहुत भाग्यशाली होता है
और उसे अमीर होने से फिर कोई रोक नहीं सकता है।
यदि कोई मित्र या रिश्तेदार जल्दी दिखाई न दें तो उसे उलहना देते हुए भी यही कहावत कहते है कि —
का गुलरी कय फूल होय गए हो! आजकल दिखते नहीं हो?
ये साधारण सा वृक्ष और उसके साधारण से फल के बारे में कहानियाँ ही नहीं असाधारण है बल्कि इसके गुण भी असाधारण ही है।
बचपन में पकने पर इसके फल को खाने के उपयोग के अलावा और कोई उपयोग मालूम नहीं था। फल भी सारे खाने योग्य नहीं होते थे क्योंकि फोडने पर तमाम कीड़े निकलते थे।
जितने छोटे हम उतने ही छोटे और समझदार हमारे मित्र थे तो जितनी उनकी बुद्धि उतनी ही सलाह देते थे कि फूँक कर कीड़े उड़ा दो और आंख बंद करके खा लो। कुल मिलाकर उनका ये कहना था कि यदि फल खाना ही है तो कीड़े समेत खा लो।
मेरे बाबू जी के मुँह में बहुत गंभीर रूप से छाले हो गए थे डॉक्टर को मुँह के कैंसर की आशंका थी। आयुर्वेदिक चिकित्सक ने उन्हें गूलर की सब्जी खाने की सलाह दी थी। तब मुझे पता चला कि इसको सब्जी बनाकर भी खाया जाता है।
मुझे इसके बारे में इतनी ही जानकारी थी बाकी आप सब लोग बताये।
अरूणिमा सिंह