सेहत

ये *लिंग में किसी भी प्रकार की कमज़ोरी को दूर करने में सक्षम है*

वैद्य गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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*नपुंसकता हर संजीवनी योग*
जिस प्रकार युद्ध मे विजय पाने के लिए हथियार और मशाला दोनो की जरूरत होती है उसी प्रकार मनुष्य को विस्तर पर हथियार और मशाला दोनो का होना आवश्यक होता है। इसलिए दोनों को दवा लेना परमआवश्यक हो जाती है इसलिए पट्टी और खाने की दवा जरूर लेनी चाहिए जो लोग केवल खाने की दवा लेते है असफल होते है और जो केवल लगाने की दवा लेते है असफलता ही हाथ लगती है ।

पट्टी के कार्य- *लिंग में किसी भी प्रकार की कमजोरी को दूर करने में सक्षम है* जैसे लिंक में तनाव न आना, अल्प समय के लिए आना, कड़कपन न आना, सेक्स के समय दर्द होना , हस्त मैथुन , गुदा मैथुन, पशु मैथुन की वजह से लिंग में विकृति का आना, नीली नीली नशों का उभर जाना, टेढ़ापन, पतला पन, छोटापन, सिकुड़न, रक्त का संचार सही से न होना, नशों का अवरुद्ध हो जाना, इन तमाम समस्याओ के लिये जरूरी है पट्टी इससे तुरन्त लाभ प्राप्त होता है व कोई दाना, छाला, नही होता है हल्की जलन होती है डेली प्रयोग भी नही करनी होती है*

और अधिक समय तक भी नही लगानी है केवल एक से आधा घण्टा ही प्रयोग करनी होती है ।एक पट्टी की कीमत मात्र 600 रुपये है व एक सप्ताह में केवल 1 पट्टी ही प्रयोग की जाती है

ये पट्टी शुगर रोगी भी प्रयोग कर सकते है ।

खाने की दवा – *ये शरीर मे आयी कमजोरी को ठीक करती है, बढ़ती उम्र के कारण आयी कमजोरी, बचपन की गलतियों से आई कमजोरी, आलसपन, बदन दर्द, पैरों का दर्द, सेक्स की इच्छा न होना, स्वप्नदोष , शीघ्रपतन, टाइमिंग का कम होना, जल्दी हांफजाना, चेहरा निश्तेज हो जाना, किसी के सामने आंखों में आंखे डालकर बात न कर पाना, हमेशा डरते डरते रहना, बीबी की ताने सुनना ये सब चीजों से मुक्ति दिलाती है । इसमें बहुत उच्चकोटि की दवाओं का समावेश कर इसे तैयार किया गया है ये दवा अवलेह, गोली, पाउडर, केप्सूल, चटनी के रूप में उपलब्ध रहेगी* । रोगी अपनी सुबिधा के अनुसार मंगवा सकते है इनके रेट 2500, 3000,3500,4000 प्रतिमाह तक है । कोरियर चार्ज 150 रहेगा जो जोड़कर ही पेमेंट करनी होती है ।
दवा मंगाने के लिए पहले पेमेंट देना होता है उसके बाद दवा भेजी जाती है

बैद्य गुरुवेंद्र सिंह
आयुर्वेद संजीवनी उपचार केंद्र (ललितपुर)
9466623519
7985817113


* Impotence Har Sanjeevani Yoga*

Just as both a weapon and a torch are needed to win a war, similarly a man needs to have both a weapon and a torch on the bed. Therefore, it becomes absolutely necessary for both of them to take medicine, therefore, bandage and food medicine must be taken.

Functions of bandage – * is able to remove any kind of weakness in the penis * such as no tension in the link, coming for a short time, no stiffness, pain during sex, masturbation, anal sex, animal sex Due to the deformity in the penis, the emergence of blue-blue drugs, curvature, thinness, smallness, shrinkage, lack of proper blood circulation, blockage of drugs, it is necessary for all these problems, the bandage gives immediate benefits. And there is no pimple, blister, there is mild burning sensation, do not even have to use daily.


And do not apply for a long time, only one to half an hour has to be used.
The cost of a bandage is only 600 rupees and only 1 bandage is used in a week.

Sugar patients can also use this bandage.

Food medicine – * It cures weakness in the body, weakness due to aging, weakness due to childhood mistakes, laziness, body pain, leg pain, lack of desire for sex, sleep disorders, premature ejaculation, of timing Being short, gasping quickly, face becoming sluggish, not being able to talk with eyes in front of anyone, always being afraid, listening to Bibi’s taunts gives freedom from all these things. It has been prepared by including very high quality medicines in it, this medicine will be available in the form of avaleh, tablet, powder, capsule, chutney. Patients can order according to their convenience, their rates are up to 2500, 3000, 3500, 4000 per month. The courier charge will be 150 which has to be paid by adding only.

 

वैद्य गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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*राज रोग की उत्पत्ति*

*मल, मूत्र और अधोवायु का रोकना, वीर्य की क्षीणता, बहुत साहस करना सामर्थ्य से बाहर काम करना ,कुसमय में अत्यंत भोजन करना ,इत्यादि बातें रस की बहने वाली नाड़ियों को रोककर वीर्य को क्षीण करती हैं इस कारण से कफ़ प्रधान है एक कफ़ बहुत स्त्री प्रसंग करने से त्रिदोष रूपरोग होकर पैदा होता है और रस की बहने वाली नाडियों को रोक और वीर्य को क्षीणकर सातों धातुओं को क्षीण करता है तब मनुष्य प्रतिदिन सूखता जाता है यह राज रोग की उत्पत्ति है*

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*राजरोग का पूर्व रूप*
स्वांस अंगो में पीड़ा , खांसी में कफ थूकना , तालु में शोष , वमन, अग्नि की मन्दता , पीनस , खांसी अत्यंत निंद्रा, नेत्रों में श्वेतता, मांस खाने व मैथुन करने की प्रबल इच्छा ये लक्षण जिस व्यक्ति के हो तो समझो उसे राज रोग पैदा होने वाला है ।
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*राजरोग के लक्षण*
पसली और कंधों में दर्द , हाथ पैरों में जलन, सब अंगो में ज्वर रहे ये लक्षण हो तो राजरोग जानिये । अथवा भोजन मात्र में अरुचि, स्वांस कास हो मुख से रुधिर आबे , स्वरभंग हो ये लक्षण हो तो राजरोग जानिए।

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*राज रोग के प्रकार व लक्षण*
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*वात राज रोग के लक्षण*
स्वर भेद और शूल हो , कंधे और पसली में संकोच हो तो बात का राज रोग जानिए
*पित्त के राज रोग के लक्षण*
ज्वर , दाह , अतिसार हो मुख से रुधिर आवे तो पित्त का राजरोग जाने
*कफ का राज रोग*
माथा भारी रहे , भोजन में अरुचि व खांसी हो कण्ठ से बोला न जाये तो कफ का राज रोग जानिये ,
*सन्निपात राज रोग के लक्षण*
वात ,पित्त, कफ तीनों के लक्षण जिस रोगी में दिखे उसे सन्निपात का राजरोग जाने ।

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*हृदय में चोट लगने से उपजे राजरोग के लक्षण*
जिसके सिर में पीड़ा , मुख से रुधिर का वमन, शरीर मे रूखापन हो उस राज रोगी को असाध्य जानिए अथवा जिसके नेत्र स्वेत हो अन्न में अरुचि हो स्वांस का रोग व प्रमेह बढ़ जाये तथा बहुत मूत्र करे वह राजरोगी मृत्युवश होता है ।

*राजरोगी की अवधि*
अच्छा शास्त्रज्ञ, यत्न कारक और सम्पूर्ण क्रिया कुशल चतुर जो बैद्य मिले तथा रोगी तरुण, धनवान, बैद्य का आज्ञाकारी और जितेंद्रिय हो तो हजार दिन तक जीता है।
*साध्य राज रोग के लक्षण*
जिसके ज्वर न हो ,बलबान हो, वैद्य की दी हुई कड़वी , कसैली ,औषधि खा जाए और क्षुधा जिसकी तीव्र हो तथा शरीर पुष्ट हो वैद्य को ऐसे रोगी का उपचार करना चाहिए ।


*अधिक मैथुन से उत्पन्न शोषरोग के लक्षण*

लिंगेन्द्रिय और फोतो में पीड़ा हो तथा मैथुन करने की शक्ति न रहे फिर हाड़ो का नाश हो और पीछे कहे गए राज रोगों के भी लक्षण मिले , शरीर पीला और चिंताग्रस्त हो जाये तथा अंग शिथिल हो ये लक्षण हो तो समझे इसे मैथुन करने से शोष रोग हुआ है और शोक करने से उत्पन्न शोषरोग के भी यही लक्षण है इसमें वीर्य का क्षय नही है ।

*जरा शोष के लक्षण*
कृश होकर वीर्य, बुद्धि , बल, जाते रहे, शरीर मे कम्प, भोजन में अरुचि, घों – घों बोल कफ बहुत थूके , शरीर भारी पीनस और शरीर रूखा हो तो जानिए रोगी जराशोषी है।

*मार्गशोष के लक्षण*
यह भी जराशोषी के लक्षणों से मिलता है परंतु जराशोषी के हृदय में पीड़ा नही होती है और मार्गशोषी के होती है।

*गम्भीरादि व्रण से उत्पन्न शोषरोग के लक्षण*
बहुत तीरन्दाजी से और भार के उठाने से हृदय में जोर आ पड़ता है और अत्यंत मैथुन करके सूखा भोजन करे उसके भी हृदय में ये रोग पैदा होता है तथा हृदय दुःखें पसली और अंग सूखे ,शरीर मे कम्प हो तथा वीर्य , बल, वर्ण, अरुचि ,अग्नि ये सब घट जाए और रुधिर थूके रुधिर ही बमन करे रुधिर ही मल मूत्र में जाये , पसली ओर कमर दुखे, ज्वर हो आवे, सूखकर महाकंकाल के समान हो जाये अतिसार और खांसी हों ये सब लक्षण हो तो व्रण शोष का रोग जाने।

*राजरोग व शोषरोग के यत्न*
वंशलोचन 32 gm, पीपरि 16 gm, इलाइची 8 gm, तज 4 gm, मिश्री 54 gm इनको महीन पीसकर शहद और मक्खन के संग चटावें तो राजरोग, श्वास, पित्तज्वर, पसली का शूल, मन्दाग्नि, अरुचि, हाथ पैरों की दाह, रक्तपित्त, इन सब को दूर करता है ।
इसके अलावा बैद्यो की देख रेख में राजमृगांग रस , बर्धमान पिप्पली योग, करपुरादि चूर्ण, कुमुदेश्वर रस का सेवन कर सकते है

इसके अलावा
अडूसा , कंटकारी का रस 10- 10 gm, शहद 4 gm , पिप्पली 8 gm मिलाकर प्रतिदिन खाये तो राजरोगी ठीक हो ।

अथवा
लोंग, अंकोल, मिर्च, खस, चन्दन, तगर,कमलगट्टे, कालाजीरा , इलाइची, अगर,नागकेसर, पीपरि, सोंठ, चित्रक , नेत्रवाला, भीमसेनी कपूर,जायफल, वंशलोचन इनसब को बराबर ले और इन सब के बराबर मिश्री मिलाय और 4 से 5 gm सुबह शाम ले तो राजरोग, मन्दाग्नि, स्वांस, हिचकी, संग्रहणी, अतिसार, भगन्दर,प्रमेह, इनसब को दूर करता है

 

DEMO PICS, NOT RELATED TO THE SOTRY

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