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दर-दर भटक रहा हूँ!
Sksaini ================= दर-दर भटक रहा हूँ! “रविन्द्र” एक युवा कवि था, जो अपने सपनों को साकार करने की कोशिश में जुटा था। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा कवि बनेगा और उसकी कविताएँ लोगों के दिलों को छू लेंगी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगा, उसकी मेहनत का फल उसे नहीं मिल रहा था। […]
कुछ नेकियाँ और कुछ अच्छाइयां…अपने जीवन में ऐसी भी करनी चाहिए, जिनका ईश्वर के सिवाय कोई और गवाह् ना हो…!!ज़रूर पढ़ें!!
Mukta Tripathi =========== मैं पैदल घर आ रहींथी। रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था । पास जाकर देखा, लिखा था: कृपया पढ़ें “इस रास्ते पर मैंने कल एक 50 का नोट गंवा दिया है । मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता । जिसे भी मिले कृपया इस पते पर […]
“नाजुक डोर…..!!पार्ट-1!!
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============ “नाजुक डोर…..!! मां…..बस अब बहुत हुआ …मैंने फैसला कर लिया है मुझे मोहनजी के साथ नहीं रहना बस…!! सुधा…. पागलों जैसी बातें मत कर …ये क्या पागलपन है अच्छा खासा परिवार बन रहा है तेरा मोहन एक अच्छा लडका है और तेरी एक बेटी भी है तू कैसे भूल सकती है […]