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यूपी में जो हो रहा है वह ग़लत सरासर है, रोज़ाना सिविल मुक़दमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है.: CJI संजीव खन्ना

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
सनद रहे
कांग्रेस और भाजपा एक ही हैं – दोनों दक्षिणपंथी हैं
सावरकर की फोटो कांग्रेस ने लगवाई थी
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वीर_सावरकर के नाम से प्रसिद्ध विनायक दामोदर सावरकर मोहनदास करमचंद गांधी के समतुल्य राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित है क्योंकि दोनों की तस्वीरें संसद के केंद्रीय कक्ष में साथ-साथ टंगी हुई नज़र आती है। यहां यह जान लेना आवश्यक है कि गांधी की हत्या में सावरकर की भूमिका के बारे में देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने क्या कहा था। 27 फरवरी 1948 को सरदार ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम पत्र लिखा था कि गांधी की हत्या की “साजिश हिन्दू महासभा में सावरकर के प्रत्यक्ष नेतृत्व वाली कट्टरपंथी शाखा ने रची अंजाम दिया।”

गांधी की तस्वीर के बगल में सावरकर की तस्वीर का टांगा जाना सावरकर की व्यक्ति पूजा के आज के हिंदुत्ववादियों के आक्रामक अभियान का नतीजा है। सावरकर का महिमामण्डन बहुत हाल का चलन है, जो 1990 के दशक के उत्तरार्ध में आरएसएस के दो अनुभवी स्वयंसेवकों, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार की स्थापना के बाद शुरू हुआ। हिंदुत्व के सिद्धांत के प्रणेता को भारतीय स्वाधीनता संघर्ष की एक हस्ती के रूप में पेश करना आरएसएस के हिन्दू-राष्ट्र के दर्शन को मान्यता दिलाने की प्रक्रिया का एक अंग है। 4 मई 2002 को पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का वी.डी सावरकर के नाम पर नामकरण करते हुए तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने आरएसएस के इस विचार को प्रतिध्वनित किया कि “सावरकर ने हिंदुत्व का जो विचार रखा वह एक व्यापक सिद्धांत है जिसकी जड़ें देश की विरासत से जुड़ी हैं।” हिंदुत्व के मसीहा का महिमामण्डन यहीं तक सीमित नहीं रहा। 26 फरवरी 2003 को संसद में सावरकर के चित्र का अनावरण किया गया। इस तरह सावरकर को संसद के केंद्रीय-कक्ष में वही स्थान दिया गया जो स्वाधीनता संघर्ष के गांधी जैसे नेताओं को हासिल था। अगर द्विराष्ट्र के सिद्धांत के प्रति शाश्वत प्रेम और स्वाधीनता संघर्ष के प्रति सजग उदासीनता के बावजूद सावरकर का महिमामण्डन एक भारतीय राष्ट्रवादी और देशभक्त के रूप में किया जा सकता है तो मोहम्मद अली जिन्नाह, जो बिल्कुल इसी प्रकार की सोच रखते थे, को इस हैसियत का करने से कौन रोक सकता है।

हिन्दू महासभा के अभिलेखागार में उपलब्ध दस्तावेज़ चौकाने वाले हैं। वे साफ कर देते हैं कि सावरकर भी मुस्लिम लीग की तरह द्विराष्ट्र के सिद्धांत में विश्वास करते थे और उसके लिए काम कर रहे थे। उनके अकेले नेतृत्व में हिन्दू महासभा ने 1940 के दशक में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन सरकारें चलाई। सावरकर न केवल स्वाधीनता संघर्ष से अलग रहे बल्कि ब्रिटिश शासकों के विरोध में खड़ी होने वाली चुनौतियों को दबाने में लगातार उनकी मदद करते रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब सुभाष चन्द्र बोस देश को सैन्य युद्ध के ज़रिए अंग्रेजों के चंगुल से आज़ाद कराने की कोशिश कर रहे थे तो उसी समय सावरकर और हिन्दू महासभा ने खुले तौर पर अंग्रेज़ शासकों को सैनिक तैयारियों में मदद दी। सावरकर जातिवाद, नस्लवाद, और साम्राज्यवाद के जीवन भर समर्थक रहे, इसे वो हिंदुत्व कहते थे।

अलीगढ़ में हुई घटना के साथ इस सन्दर्भ को भी और हिन्दूत्व वादियों के इस काले इतिहास की आड़ में छुपे इस घिनौने षड्यंत्र को जानना ज़रूरी।

-संसद में सावरकर के तस्वीर अनावरण की फोटो।
-गांधी जी की हत्या के मुकदमे के वक्त की फोटो।(नाथूराम गोडसे, सावरकर व अन्य आरोपी)

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने उत्तर प्रदेश में सिविल विवादों को आपराधिक मामलों में बदलने पर नाराजगी जाहिर की है. सीजेआई ने कहा कि यूपी में जो हो रहा है, वह गलत सरासर है. रोजाना सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है.सिस्टम के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट सख्त टिप्पणी की है, इसके साथ ही कोर्ट ने आगे से जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी है.

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह बेतुका है, सिर्फ पैसे न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मैं जांच अधिकारी को गवाह के कटघरे में आने को कहूंगा. जांच अधिकारी को गवाह के कठघरे में खड़े होकर अपराध का मामला बनाने दें. यही सही रहेगा. आगे से इस तरह के किसी भी मामले के आने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, लेख X पर वॉयरल हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!

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