रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसी साल 24 फ़रवरी को जब यूक्रेन पर हमले का आदेश दिया था, तब भारत को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही थीं.
कई विशेषज्ञों का मानना था कि यूक्रेन संकट के कारण रूस और चीन की नज़दीकी बढ़ेगी, जो भारत के लिए ठीक नहीं होगा. यूक्रेन और रूस की जंग पिछले 300 से ज़्यादा दिनों से जारी है और जानकारों के मुताबिक़ इतने दिनों में रूस-चीन की दोस्ती नए मुक़ाम पर पहुँचती दिख रही है.
जेएनयू में रूस और मध्य एशिया अध्ययन केंद्र के प्रोफ़ेसर संजय कुमार पांडे कहते हैं कि भारत का सबसे बड़ा डर यही था कि यूक्रेन संकट रूस को चीन से और क़रीब ला देगा.
प्रोफ़ेसर पांडे को लगता है कि यह डर बिल्कुल सही साबित हुआ है. वह कहते हैं कि चीन की रूस पर बढ़ती निर्भरता और रूस में चीन का बढ़ता निवेश भारत के लिए किसी भी लिहाज़ से ठीक नहीं है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की 21 दिसंबर को अचानक अमेरिका पहुँचे थे. ज़ेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाक़ात की थी और अमेरिकी कांग्रेस को भी संबोधित किया था
इसी दिन रूस के पूर्व राष्ट्रपति और रूसी सिक्योरिटी काउंसिल में पुतिन के डिप्टी दिमित्री मेदवेदेव चीन पहुँचे. मेदवेदेव की मुलाक़ात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई. इस बार मेदवेदेव पुतिन के निजी दूत के तौर पर गए थे. चीन के आधिकारिक बयान के अनुसार, मेदवेदेव ने शी जिनपिंग को पुतिन का हस्ताक्षर किया एक पत्र भी सौंपा था.
यूक्रेन संकट पर चीन का रुख़ रूस के ख़िलाफ़ नहीं है. चीन शुरुआत से दोनों देशों को वार्ता के ज़रिए समाधान निकालने की अपील करता रहा है. चीन यह भी कहता रहा है कि रूस की सुरक्षा चिंताओं का भी ख़्याल रखा जाना चाहिए.
यूक्रेन संकट भारत के लिए भी बना संकट
ग्लोबल थिंक टैंक कार्नेगी एन्डाउमेंट के सीनियर फ़ेलो एलेक्ज़ेंडर गैबुएव ने लिखा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर शी जिनपिंग ने अब तक वही बातें कही हैं जिन्हें कहने का कोई जोख़िम नहीं होता है. जैसे ‘आकाश नीला है’ और ‘घास हरी होती है’ की तरह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
एलेक्ज़ेंडर गैबुएव ने कहा है, ”रूस के मामले में चीन लंबे समय से इस लाइन पर रहा है कि यूक्रेन जैसे भावुक मामलों में रूस को रोकना आसान नहीं होता है. चीनी डिप्लोमैट पुतिन की विदेश नीति को तूफ़ान की तरह देखते हैं. चीन को लगता है कि इस तूफ़ान को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसके ख़तरों को कम किया जा सकता है और कई बार इसे मौक़े के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
Alexander Gabuev 陳寒士
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24 दिस॰ 2022
@AlexGabuev@AlexGabuev को जवाब दे रहे हैं
6/ This doesn’t differ much from anything Xi says about the war to Western leaders according to 🇨🇳readouts, and when official readouts by teams @OlafScholz, @POTUS, @EmmanuelMacron etc. include wording on Xi’s criticism of potential use of nukes in 🇺🇦…
Alexander Gabuev 陳寒士
@AlexGabuev7/ … Xi never says something that exceeds platitudes like “sky is blue, grass is green, nuclear weapons shouldn’t be used.” We don’t have any evidence to suggest that 🇨🇳 uses its economic leverage on 🇷🇺 in private to persuade the Kremlin not to use nuclear weapons in 🇺🇦.