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यूक्रेन पर रूस की सेना ने आज हर तरफ़ से हमले किये, रमज़ान कादरिओव और वैगनार ने बरपाया क़हर : जंग के मैदान से लेटेस्ट रिपोर्ट एंड वीडियो

यूक्रेन पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमले, रूस की सेना ने आज यूक्रेन के ऊपर हर तरफ हमले किये, इन हमलों से यूक्रेन का उर्जा इन्फ्रास्ट्रक्चर हुआ तबाह गया है , उत्तर से लेकर दक्षिण तक यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के मिसाइल हमले हुए हैं, जालांस्की अमेरिका और यूरोप के देशों के उकसावे में आ कर अपने देश को तबाह करने में लगे हैं, पूरा यूक्रेन खंडहर बनता जा रहा है, वहीँ पुतिन बहुत संयम के साथ जंग में काम ले रहे हैं, अभी तक रूस की तरफ से अपने भारी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है, वो अमेरिका और यूरोप के देशों को थका रहा है

बखमूत जैसा छोटा शहर जंग में क्यों बन गया है सबसे अहम मोर्चा

बखमूत खंडहर में तब्दील हो गया है.

पूर्वी यूक्रेन में ये एक छोटा सा औद्योगिक शहर है. बीते सात महीने से ज़्यादा वक़्त से रूसी सेना ने इसकी घेरेबंदी की हुई है.

शहर के डिप्टी मेयर ओलेक्जेंडर मारचेंको के मुताबिक अब यहां सिर्फ़ कुछ हज़ार लोग बचे हैं. वो अंडरग्राउंड शेल्टर्स में रह रहे हैं. उनके पास न पानी है, न गैस और न बिजली.

वो कहते हैं, “ये शहर लगभग तबाह हो गया है. ऐसी कोई इमारत नहीं है जिसे इस युद्ध में नुक़सान न हुआ हो.”

अब सवाल है कि रूस और यूक्रेन मलबे का ढेर बन चुके इस शहर के लिए जान क्यों लड़ाए हुए हैं?

इस शहर पर हमले और इसे बचाने के लिए दोनों ही पक्ष अपने इतने सारे सैनिकों की जान दांव पर क्यों लगाए हुए हैं?

यूक्रेन युद्ध में बखमूत के मोर्चे पर जारी संघर्ष लड़ाई के किसी भी दूसरे मोर्चे से लंबा खिंच चुका है.

सैन्य विशेषज्ञों की मानें तो बखमूत की रणनीतिक तौर पर मामूली अहमियत है.

ये कोई सैनिक छावनी वाला शहर नहीं है. न ही ट्रांसपोर्ट हब है. आबादी के लिहाज से भी ये एक अहम केंद्र नहीं है. रूस के हमले के पहले यहां करीब 70 हज़ार लोग रहते थे.

इस शहर की पहचान नमक और जिप्सम की खदानों के लिए रही है. यहां की बड़ी वाइनरी भी मशहूर थी. भौगोलिक तौर पर इसकी कोई ख़ास अहमियत नहीं है.

पश्चिमी देश के एक अधिकारी के मुताबिक, “12 सौ किलोमीटर लंबी अग्रिम सीम पर ये रणनीतिक लिहाज से एक छोटी सी जगह है.”

इसके बाद भी रूस ने यहां बड़ी संख्या में सैन्य संसाधन लगाए ताकि इस शहर को जीता जा सके.

पश्चिमी देशों के अधिकारियों का अनुमान है कि बखमूत के आसपास रूस के 20 से 30 हज़ार के करीब सैनिक या तो मारे गए हैं या घायल हुए हैं.

रूस के लिए क्यों ख़ास है बखमूत?

यूक्रेन युद्ध में रूस को शिद्दत के साथ जीत की तलाश है. भले वो सांकेतिक जीत क्यों न हो. रूस की सेना को सेवेरोदोनेत्स्क और लिसिचान्स्क पर कब्ज़ा किए हुए बहुत वक़्त बीत चुका है. उसके बाद से यूक्रेन की ज़मीन पर रूस की बढ़त बहुत धीमी रही है.

ऐसे में रूस को जीत चाहिए ताकि घर में युद्ध के पक्ष में प्रोपैगेंडा करने वालों को मसाला हासिल हो सके.

यूक्रेन के सिक्यूरिटी और कोओपरेशन सेंटर के चेयरमैन सेरही कुज़ान ने बीबीसी से कहा, “वो राजनीतिक मिशन के लिए लड़ रहे हैं, ये पूरी तरह सैन्य मिशन नहीं है. रूसी अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिए हज़ारों ज़िंदगियों को कुर्बान करते रहेंगे.”

रूस के कमांडर सैन्य कारणों से भी बखमूत को हासिल करना चाहते हैं. वो उम्मीद लगा रहे हैं कि ये शहर आगे के इलाके हासिल करने के लिए स्प्रिंगबोर्ड का काम करेगा. दिसंबर में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि इस शहर पर कब्ज़ा करने से रूस ‘क्रेमातोर्स्क और स्लोवियान्स्क जैसे बड़े शहरी इलाकों के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है.’

इस बीच सवाल हमले के केंद्र में मौजूद ‘वैगनर ग्रुप’ (ये भाड़े पर लड़ने वाले निजी सैनिकों का समूह है) को लेकर भी है.

इनके नेता येवगेनी प्रिगोज़िन ने बखमूत पर कब्ज़े को लेकर ख़ुद की और अपनी निजी सेना की साख को दांव पर लगाया हुआ है.

येवगेनी की ख्वाहिश ये दिखाने की थी कि उनके लड़ाके रूस की सेना से बेहतर नतीजे हासिल कर सकते हैं. उन्होंने हज़ारों सज़ायाफ़्ता लोगों को काम पर रखा और उनमें से कई को यूक्रेनी सेना के लड़ने के लिए लड़ने के लिए भेज रहे हैं. उनमें से कई की मौत हो गई.

अगर उन्हें यहां कामयाबी नहीं मिली तो मॉस्को में उनका राजनीतिक दबदबा ख़त्म हो जाएगा. येवगेनी के रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू के साथ मतभेद हैं. वो उनकी रणनीतियों की आलोचना करते हैं. अब वो शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में गोला बारूद हासिल नहीं हो रहे हैं.

सेरही कुज़ान कहते हैं कि दोनों के बीच रूस में दबदबा दिखाने का संघर्ष जारी है और “इस संघर्ष की जगह बखमूत और इसके आसपास का इलाका है.”

यूक्रेन के लिए क्या है अहमियत?
अब सवाल है कि आखिर यूक्रेन बखमूत को बचाने में इस कदर ज़ोर क्यों लगा रहा है, आखिर वो क्या वजह है कि जिसकी वजह से उसने हज़ारों सैनिकों की जान दांव पर लगा दी?

उनका प्रमुख रणनीतिक मक़सद इस जंग के जरिए रूस की सेना को कमज़ोर करने का है.

पश्चिमी देशों के एक अधिकारी ने साफ़ तौर पर कहा, “रूस की रणनीति की वजह से बखमूत यूक्रेन के पास एक ख़ास मौका है जहां वो कई सारे रूसियों की जान ले सकते हैं.”

नेटो के सूत्रों का अनुमान है कि बखमूत में यूक्रेन के हर सैनिक के मुक़ाबले रूस के पांच सैनिकों की मौत हो रही है. यूक्रेन के नेशनल सिक्योरिटी सेक्रेट्री ओलेक्सी देनिलोव कहते हैं कि ये औसत कहीं ज़्यादा है. ये एक के मुक़ाबले सात है.

इन आंकड़ों की पुष्टि करना नामुमकिन है.

सेरही कुज़ान ने बीबीसी से कहा, “जब तक बखमूत मक़सद पूरा करता है, हमें दुश्मन की सेना को कुचलने का मौका देता है, हमें होने वाले नुक़सान के मुक़ाबले औसत उन्हें ज़्यादा तबाही पहुंचाता है, तब तक हम बखमूत पर कब्ज़ा बनाए रखेंगे.”

इस शहर पर नियंत्रण बनाए रखकर यूक्रेन ने रूस के उन सैनिकों को भी उलझाए रखा है, जिन्हें अग्रिम मोर्चे पर कहीं और तैनात किया जा सकता था.

रूस की ही तरह से यूक्रेन ने भी बखमूत से जुड़ी कूटनीति को अहमियत दे रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने इस शहर को प्रतिरोध का प्रतीक बना दिया है.

बीते साल वाशिंगटन के दौरे के वक़्त उन्होंने कहा था, “ये हमारे मनोबल का किला है” और अमेरिकी कांग्रेस को बखमूत का एक झंडा दिया था.

उन्होंने कहा था, “बखमूत की लड़ाई आज़ादी के लिए हमारे जंग का रास्ता बदल देगी.”

आगे क्या हो सकता है?
अब सवाल है कि अगर यूक्रेन बखमूत में हार जाता है तो क्या होगा?

रूस जीत का दावा करेगा. ये बामुश्किल मिली अच्छी ख़बर होगी जो उनका मनोबल ऊंचा कर सकती है.

यूक्रेन को कूटनीतिक तौर पर सांकेतिक झटका लगेगा.

यूक्रेन ये नहीं कह पाएगा “बखमूत बरक़ार है.”

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की राय है कि सैन्य लिहाज से इसका एक बड़ा असर होगा.

अमेरिकी के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन कहते हैं जरूरी नहीं है कि बखमूत पर कब्ज़े का मतलब ये हो कि रूस की सेना ने इस जंग का रूख बदल दिया है.

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व जनरल और रणनीतिकार माइक रायन कहते हैं कि इससे रूस की सेना को तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद नहीं मिलेगी.

वो कहते हैं, “यूक्रेन के सैनिक क्रेमातोर्स्क के रक्षात्मक इलाक़े में चले जाएंगे, जहां उन्होंने आठ साल तैयारी की. ये शहर बखमूत के मुक़ाबले ऊंचाई पर है और रक्षा करने के लिहाज से ज़्यादा मुफीद है. क्रेमातोर्स्क की ओर रूसी सेना बढ़ेगी तो रूसी सेना को हर क़दम पर उतना ही खून खराबा झेलना पड़ सकता है, जैसा कि बखमूत के अभियान में हुआ था.”

शायद इसीलिए बखमूत की जंग के सबसे अहम मायने ये हैं कि किस पक्ष को कितना नुक़सान होता है और इसका जंग के अगले दौर के लिए क्या मतलब होगा.

क्या रूस के इतने सैनिक हताहत हो जाएंगे कि अगले आक्रामक अभियान के लिए उनकी क्षमता कमज़ोर हो जाएगी? या फिर यूक्रेन की सेना को इतना नुक़सान हो जाएगा कि वो साल के अगले महीनों के दौरान रूसी आक्रमण के मुक़ाबले में सक्षम नहीं होगी.

Arthur Morgan
@ArthurM40330824

#Kyiv fire on thermal plant but there are also some intermittent smaller explosions ongoing

Siraj Noorani
@sirajnoorani
Russia has launched attacks on almost all regions of Ukraine with cruise and ballistic missiles.

Baba Banaras™
@RealBababanaras
#BREAKING : Russia’s fresh missile attacks have reported widespread devastation across Ukraine, including the capital Kiev. Russia today attacked Ukraine with more than 150 missiles. Ukrainian air defense appeared helpless in the face of Russian attacks. #UkraineRussiaWar #Kyiv

Danny Armstrong
@DannyWArmstrong
Kyiv this morning. Missiles hitting electrical power plant create plumes of smoke over city #Kyiv #Ukraine

War in Ukraine 🍉
@EUFreeCitizen
#UkraineWar #Ukraine #Russia
📍Russia has unleashed a barrage of missiles on cities across Ukraine, including the capital, #Kyiv, the Black Sea port of #Odesa and the northeastern city of #Kharkiv, according to Ukrainian officials and media

KyivPost
@KyivPost
❗️The Russians attacked the Ukrainian capital #Kyiv at night.

In the Holosiivskyi district, a missile hit a critical infrastructure facility. In the Sviatoshynskyi district, 2 people were injured by missile fragments and several cars were damaged.