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यूं अचानक सें भारत में अफ्ऱीकी नस्ल के चीतो को लाने की क्या आवश्यकता पड़ आई : लवी सिंह की रिपोर्ट

 

Lavi Singh
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देश में वैसे भी 70 /साल में कुछ भी नही बदला,यूं अचानक सें भारत में अफ्ऱीकी नस्ल के चीतो को लाने की क्या आवश्यकता पड़ आई।हालांकि जिस मध्य प्रदेश में बसाने की कोशिश हो रही है, उसी मध्य प्रदेश के कोरिया में अंतिम एशियाई चीते मारे गए थे।अब कोरिया,छत्तीसगढ़ का हिस्सा है।


इसी कोरिया रियासत के राजमहल के एक कमरे में,मारे गए, इन अंतिम चीतो के सिर टंगे हुए है।

पुराने दस्तावेज़ बताते है,कि दिसंबर 1947 में कोरिया के महाराज रामानुज प्रताप सिंह देव ने अपनी रियासत के रामगढ़ इलाक़े में तीन चीतो का शिकार किया था।


उसके बाद भारत में एशियाई चीतो के कोई प्रमाण नही मिले,और भारत सरकार ने 1952 में चीता को भारत में विलुप्त प्राणी घोषित कर दिया गया था।

रामानुज प्रताप सिंह देव के बेटे और मप्र, छत्तीसगढ़ में मंत्री रहे रामचंद्र सिंह देव ने 2016 में बीबीसी से बातचीत में दावा किया था।कि उन्होंने ख़ुद, इस शिकार के दो साल बाद वहां चीता देखा था।उसी दौर में झारखंड, और ओडिशा में भी चीतो के देखे जाने की बात सामने आई थी।
लेकिन इन सभी दावो की प्रामाणिकता संदिग्ध रही है।