साहित्य

‘यूँ तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे….काँधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे’

‘यूँ तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे
काँधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे
बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडर सजा कर
शायद इसी तरफ़ से इक दिन बहार गुज़रे ”

बहुत कम लोग जानते हैं कि मशहूर अदाकारा मीना कुमारी को शायरी का भी शौक़ था ….. शायरी का ये शौक़ ही उन्हें गुलज़ार के करीब ले गया था …..मीना कुमारी के शायराना अंदाज़ और अदाकारी पर गुलज़ार बहुत फ़िदा थे फ़ुर्सत के लम्हों में दोनों शेर-ओ-शायरी पर बातें किया करते थे फिर एक दिन मीना कुमारी अपनी तमाम निजी डायरियां गुलज़ार को सौंपकर दुनिया से रुख़सत हो गईं मीना कुमारी के जाने के बाद उनकी लिखी नज़्मों और ग़ज़लों को गुलज़ार ने एक नया कलेवर देकर ‘मीना कुमारी की शायरी’ नामक किताब प्रकाशित करवाई…


कमाल अमरोही ने शादी के बाद कई पाबंदियों के साथ मीना को काम करने की इजाजत तो दी लेकिन मीना कुमारी के मेकअप रूम में मेकअप आर्टिस्ट के अलावा किसी को जाने की इजाजत नहीं थी ……तमाम पाबंदियों के बावजूद मीना ने एक बार गीतकार गुलजार को अपने मेकअप रूम में आने दिया ये देखते ही कमाल के असिस्टेंट बकर अली ने मीना को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया मीना ने कमाल को शिकायत करते हुए सेट पर बुलाया, लेकिन उन्होंने तवज्जो ही नहीं दी। मीना टूट चुकी थीं और शादी बचाने की उनकी उम्मीद भी …..

मीना सीधे अपनी बहन के पास गईं और फिर कभी वापस नहीं आईं….
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मीना कुमारी की डेथ एनिवर्सरी 31 मार्च 1972 पर विशेष
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पवन मेहरा ✒
( सुहानी यादे ,बीते सुनहरे दौर की ) ✍️