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युद्ध के बाद इसराइल हमेशा के लिए ग़ज़ा की सुरक्षा ज़िम्मेदारी संभालेगा-नेतन्याहू

इसराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी चैनल एबीसी को दिए साक्षात्कार में कहा है कि युद्ध के बाद इसराइल हमेशा के लिए ग़ज़ा की सुरक्षा ज़िम्मेदारी संभालेगा.

ये परिभाषित करना मुश्किल है कि उनके कहने का मतलब क्या है- लेकिन इसे एक तरह से ग़ज़ा पर इसराइल के क़ब्ज़े के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें इसराइल ग़ज़ा में नागरिक प्रशासन की ज़िम्मेदारी नहीं संभालेगा.

‘सुरक्षा ज़िम्मेदारी’ एक ऐसा वाक्यांश है जिसका इस्तेमाल वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में भी किया जाता है. वेस्ट बैंक भी फ़लस्तीनी क्षेत्र ही है.

1990 के दशक में हुए इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच पहले समझौते यानी ओस्लो समझौते के तहत इस बात पर सहमति बनीं थी कि वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में नागरिक प्रशासन की ज़िम्मेदारी तो फ़लस्तीनी प्राधिकरण की होगी जबकि इन इलाक़ों में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसराइल की होगी.

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, जहां तक क़ानून व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था संभालने की बात है, इसराइल का जब मन करेगा, वह आएगा और जाएगा, लेकिन शहर का कचरा इकट्ठा करने या स्कूल चलाने जैसे जो दूसरे काम हैं, वो फ़लस्तीनी ही करेंगे.

हालांकि, ऐसा करने के लिए एक ऐसे फ़लस्तीनी संस्थान की ज़रूरत होगी, जो इसराइल के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हो.

जो कुछ भी ग़ज़ा में इस समय हो रहा है, ऐसी संभावना अधिक है कि कोई भी फ़लस्तीनी, जो ये काम करने के लिए तैयार होगा उसे ‘दुश्मन के साथ मिलकर काम करने वाले एक देशद्रोही के रूप में ही देखा जाएगा.’

मुझे ये लगता है कि- जबकि यह इसराइल के लिए एक अस्पष्ट महत्वाकांक्षा है, तथ्य यह है कि इसराइल बहुत मुश्किल स्थिति में आने जा रहा है.

इसराइल अब ग़ज़ा में फंसा हुआ है, उसे ग़ज़ा को संभालना ही होगा और बहुत संभव है कि इसके लिए उसे कुछ हद तक ग़ज़ा पर क़ब्ज़ा करना होगा.

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जेरेमी बोवेन

अंतरराष्ट्रीय संपादक, इसराइल-ग़ज़ा सीमा से