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यीशु से कोई कैसे नफरत कर सकता है? लेकिन उन्होंने उसे यातनाएँ दीं और बेरहमी से मार डाला!

धर्मी लोग कुटिल मनुष्य से घृणा करते हैं, और दुष्‍ट जन भी सीधी चाल चलनेवाले से घृणा करता है।
क्या आप वास्तविक समझ और बुद्धि को पाने के लिए तैयार हैं? क्या आप संघर्ष, सामाजिक अशांति और युद्धों के अंदरूनी वास्तविक मुद्दे को समझना चाहते हैं? क्या आप अपने विश्व-दृष्टिकोण की समझ को और बढ़ाने के लिए परमेश्वर और सुलैमान की शिक्षा को ग्रहण करने के लिए तैयार हैं? बृहत् शिक्षा में बढ़ने के लिए इस नीतिवचन में ज्ञान और सत्य है।

दुष्टों और धर्मियों के बीच प्राचीनकाल से ही एक प्रबल शत्रुता विद्यमान रही है। यह शत्रुता प्रारम्भ ही से है, और अंत तक बनी रहेगी। धर्मी दुष्टों से बैर रखते हैं, और दुष्ट धर्मियों से बैर रखते हैं। वे एक दूसरे के विरोधी हैं, और उनमें कभी मेल-मिलाप नहीं होगा। यह शत्रुता जो किसी भी लिहाज़ से परमेश्वर और शैतान के बीच की शत्रुता से कम नहीं, धर्मियों और दुष्टों के बीच विद्यमान नफरत है।

कैन अपने भाई हाबिल से घृणा करता था और उसने उसे किसी और कारण से नहीं बल्कि अपनी ईर्ष्या और घृणा के कारण ही मार डाला, जबकि हाबिल धर्मी था और उसने उसके साथ कोई गलत काम नहीं किया था (1 यूहन्ना 3:12)। कैन की तरह, दुष्ट लोग परमेश्वर और उसके बच्चों से घृणा करके अपने हत्यारे पिता शैतान का अनुसरण करते हैं (यूहन्ना 8:44)। नासरत के यीशु से कोई कैसे नफरत कर सकता है? लेकिन उन्होंने उसे यातनाएँ दीं और बेरहमी से मार डाला! यीशु मसीह और उनके शिष्यों के साथ उनकी भयानक शत्रुता है (यूहन्ना 7:7; 15:18-19; 17:14)।

इस सत्य की आदत डाल लें, क्योंकि कैन का इस निष्कलंक धरती पर अपने ही भाई को मारने के इस भयानक घटना के संदर्भ में हमें बताया गया है कि यह संसार इसी रीति से ख्रिश्चनों के साथ बैर रखता है (1 यूहन्ना 3:13)। यह संसार अनुग्रह या ज्योति की संतानों का मित्र नहीं है। यह उनसे नफरत करता है और अगर परमेश्वर दया न करे तो इस संसार के पापी उनका कत्लेआम कर देंगे (मत्ती 10:22; 24:9; भजन 76:10)। यहां तक कि धर्म का ढोंग रचनेवाले ख्रिश्चन लोग भी जब सच्चे ख्रिश्चन विश्वासियों को मारेंगे तो वे सोचेंगे कि वे परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं (यूहन्ना 16:2)।

धर्मी लोग दुष्टों से इसलिए बैर रखते हैं, क्योंकि वे दुष्टों की नीच आत्मा और उनके कुटिल कामों को सह नहीं सकते; उनकी शत्रुता दुष्ट लोगों और उनके बुरे कामों से है। परन्तु दुष्ट लोग धर्मी से उसके भले कामों के कारण बैर रखते हैं; उनकी शत्रुता अच्छे लोगों और उनके भलें कामों से है। यह संघर्ष अच्छाई और बुराई, परमेश्वर और शैतान, पवित्रता और दुष्टता, संतों और पापियों के बीच है।

इन दोनों विरोधियों की प्रकृति बिल्कुल अलग-अलग है। प्राकृतिक मनुष्य परमेश्वर और उसकी व्यवस्था के प्रति शत्रुता रखता है (रोमियों 8:7)। वह आकाश की शक्ति के राजा, अर्थात् शैतान का स्वेच्छा से बना बंधुआ है, वह आत्मा जो आज्ञा न माननेवाले मनुष्यों में काम करता है (इफि 2:1-3)। इस युद्ध की भविष्यवाणी अदन की वाटिका में ही की गई थी (उत्पत्ति 3:15)। खून के प्यासे सीधी चाल चलनेवाले से घृणा करते हैं (नीतिवचन 29:10)।

धर्मी लोग दुष्टों से उनकी अभक्ति और परमेश्वर के प्रति उनकी शत्रुता के कारण घृणा करते हैं; दुष्ट लोग ईर्ष्या और मन की भ्रष्टता के कारण धर्मी से घृणा करते हैं। यद्यपि धर्मी लोग परमेश्वर के परोपकारी चरित्र को दिखाने के लिए अपने व्यक्तिगत शत्रुओं से प्रेम करते हैं (मत्ती 5:43-48), दाऊद परमेश्वर के शत्रुओं से पूर्ण बैर रखता था (भजन 139:19-22)। आपके व्यक्तिगत शत्रुओं और परमेश्वर के घोषित शत्रुओं के बीच बहुत अंतर है। आपको यह अंतर सीखना होगा।

पौलुस शिद्दत से चाहता था कि इस्राएल के लोग यीशु मसीह पर विश्वास रखें- जो परमेश्वर की संतान थे (रोमियों 9:1-8; 10:1-5)। उसने तीमुथियुस से स्पष्ट रूप से कहा कि उसने वह सब सताव जो उसने सहा वह सब उसने चुने हुए लोगों की खातिर ही सहा (2 तीमुथियुस 2:10)। जब विश्वासहिन दुष्ट लोगों की बात आई, तो उसने उनसे छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना की (2 थिस्स 3:1-2; 2 तीमु 4:14-15)। वह अपने सुसमाचार को ऐसे घृणित लोगों के लिए मरने के निमित्त मृत्यु की गन्ध समझता था (2 कुरिन्थ 2:14-17)।

परमेश्वर दुष्टों से घृणा करता है और वह प्रतिदिन उन पर क्रोध करता है (भजन 5:5; 7:11; 11:5)। निःसंदेह, यह अद्भुत सत्य अब नहीं सिखाया जाता। लोगों को यह सुनना और सुनाना अच्छा लगता है कि परमेश्वर सभी से प्रेम करता है। उन्हें एक और झूठ बोलना अच्छा लगता है, “परमेश्वर पाप से घृणा करता है, लेकिन पापी से प्रेम करता है।” लेकिन बाइबल में उन्हें ऐसी कोई बात नहीं मिल पाएगी। आप सोचेंगे कि नूह ने अपने चेहरे पर एक बड़ी मुस्कुराहट के साथ इन वचनों को कहा होगा : “मुस्कुराओ, परमेश्वर तुमसे प्यार करता है!” लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, और प्रभु यीशु जल्द ही उसी तरह के लोगों से उन्हें नरक में डालने से पहले कहेगा कि उसने उन्हें कभी न जाना (मत्ती 7:23)।

यीशु ने अक्सर दुष्टों के मन में धर्मियों के लिए जो घृणा है उस बारे में अपने चेलों को आगाह किया। उसने अपने शिष्यों को चेतावनी दी कि यह संसार उनसे कैसे बैर रखेगा (मत्ती 5:10-12; यूहन्ना 7:7; 15:18-19; 17:14)। और प्रेरितों के काम की पुस्तक में सताव का ऐतिहासिक विवरण इस चेतावनी का प्रमाण है। अंधकार का युग यीशु के शहीदों की भयानक कहानियों से भरा हुआ है जिन पर विश्वास करना सबसे कठोर दिमाग के लिए भी मुश्किल है। हैरान मत होइए जब वही शैतानी आत्मा लोगों को नफरत करने, निंदा करने, कानाफूसी करने, बुराई करने, सताने और आपको मारने की कोशिश करने के लिए उकसाती है।

यदि आप इस संसार में यीशु मसीह के लिए धार्मिकता का जीवन जीते हैं, तो आप का सताव होगा (2 तीमु 3:12)। आप अंतिम दिनों के विपत्ति भरे समय में रहते हैं जब अधिकांश ख्रिश्चन लोग भी धोखेबाज और समझौता करनेवाले बन गएँ हैं (2 तीमु 3:1 – 4:4)। वे उन लोगों से घृणा करते हैं जो भले हैं (2 तीमु 3:3), और यदि आप इस अपवित्र पीढ़ी में पवित्रता के लिए खड़े होंगे, तो वे आप पर हमला करेंगे। वे भक्‍ति का भेष तो धरते हैं, पर उसकी शक्‍ति को खुद पर अधिकार नहीं रखने देते (2 तीमु 3:5)।

धर्मियों को इस संसार से अलग रहना है (याकूब 4:4)। उन्हें इस अधर्मी संसार के दुनियादारी में फंसे व्यक्ति से विवाह नहीं करना है (1 कुरिन्थ 7:39; 11:11)। जब परमेश्वर के पुत्रों के मनुष्यों की पुत्रियों से विवाह किएँ तब उसने परिणामस्वरूप पृथ्वी को जलप्रलय में डुबा दिया था (उत्पत्ति 6:1-3)। यह मसीह के लहू का बंधन और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता है जो धर्मियों के बीच मित्रता की बुनियाद है (भजन 119:63)।

प्रिय ख्रिश्चन भाई, चिंता की कोई बात नहीं है! यीशु मसीह ने इस संसार पर जय प्राप्त कर ली है (यूहन्ना 16:33)। शहीद विश्वासी स्वर्ग से प्रतिशोध के दिन की दुहाई देते हैं, और वह दिन अब पहले से भी अधिक निकट है (प्रकाशितवाक्य 6:9-17)। यीशु अपने सभी शत्रुओं का विनाश करने के लिए धधकती आग में आ रहा है (2 थिस्स 1:7-10; यहूदा 1:14-15)। यदि कोई मनुष्य प्रभु यीशु मसीह से प्रेम नहीं रखता, तो वह शापित है। हे प्रभु यीशु आ!