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याह्या सिनवार को क्यों चुना गया है Hamas चीफ़, पर्दे के पीछे की कहानी क्या है?

हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया की तेहरान में हत्या के बाद सवाल था कि आखिर अब उनकी जगह कौन लेगा?

पिछले एक हफ्ते से दुनियाभर की मीडिया की नज़र कतर पर थी.

हमास ने इस्माइल हनिया की हत्या के बाद याह्या सिनवार को सैन्य संगठन और अपना राजनीतिक प्रमुख चुना है, लेकिन सवाल है कि सिनवार को कैसे चुना गया?

आखिर पर्दे के पीछे की कहानी क्या है?

इससे पहल ये जान लेना ज़रूरी है कि हमास ने दावा किया है कि तेहरान में हनिया इसराइल के हमले में मारे गए थे. ऐसे में हनिया की जगह किसी को चुनना हमास के लिए काफी ज़रूरी था क्योंकि वो इसराइल के साथ वार्ता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे.

हमास कई चुनौतियों से गुजर रहा है

पिछले साल अक्टूबर से चल रही जंग के बीच हमास के अधिकारी अपने नेता इस्माइल हनिया को दोहा में श्रद्धांजलि देना पहुंचे.

ये नज़ारा काफी दिलचस्प था क्योंकि इसमें हमास के लोग सफेद टेंट में कंधे से कंधे मिलाकर खड़े हुए थे.

इसे इस्माइल हनिया की फोटो से सजाया गया था.

इससे संकेत मिल रहा था कि एक युग का अंत हो रहा है और दूसरे की शुरुआत हो रही है.

ये पहली बार नहीं है कि हमास के उच्च अधिकारी अपने नेता को चुनने के लिए इकट्ठा हुए हो.

हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन की हत्या के बाद ग़ज़ा में स्थित यासीन के घर पर भी ऐसा ही जमावड़ा लगा था.

एक महीने के अंदर ही यासीन के उत्तराधिकारी अब्देल अज़ीज़ अल-रंतिसी की भी इसराइल ने हत्या कर दी थी, लेकिन इस बार पर्दे के पीछे हो रही चर्चाओं से पता चला कि हमास कई चुनौतियों से गुजर रहा है.

इस्माइल हनिया की हत्या हमास के लिए सबसे बड़ा झटका

हमास ने इसराइल के दक्षिणी हिस्से पर पिछले साल सात अक्टूबर को हमला किया था. इस हमले में इसराइल के क़रीब 1200 लोगों की जान गई और क़रीब 250 लोगों को तब बंधक बनाया गया था.

हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, इसराइल की जवाबी कार्रवाई में अब तक 39 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

ग़ज़ा में आधी से ज़्यादा इमारतें नष्ट हो चुकी हैं. साथ ही लगभग पूरी आबादी विस्थापित हो गई है.

इसके अलावा ग़ज़ा में 2007 से शासन कर रहे हमास के खिलाफ अंसतोष बढ़ रहा है.

हमास इन सबसे उबरने की कोशिश कर ही रहा था कि इस्माइल हनिया को 31 जुलाई में उस तेहरान में मार दिया गया जिसे वो सबसे सुरक्षित जगह समझते थे.

ये गुट के लिए सबसे बड़ा झटका था.

हमास का मानना है कि हनिया को फोन ब्राउज़ करते समय एंटी पर्सनल मिसाइल से मारा गया है.

वहीं, ईरान की इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड ने कहा कि हनिया को कम प्रोजेक्टाइल वाले हथियार से मारा गया था और इसका वजन सात किलो था.

साथ ही कई पश्चिमी देशों में स्थित मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कमरे में पहले से रखे गए बम से हनिया की जान गई.

पर्दे के पीछे की कहानी क्या है?

हनिया की हत्या के बाद हुए शोक समारोह में सबकी नज़रों से दूर सफेद बाल वाले और छोटी दाढ़ी के लगभग 60 वर्षीय एक शख्स खड़े हुए थे.

उनकी तरफ इशारा करते हुए बीबीसी के रिपोर्टर से हमास का एक मीडिया ऑफिसर कहता है, ”उन पर ध्यान दो.”

इसके जवाब में मैं सवाल करता हूं कि वो कौन हैं? इसका जवाब मुझे मिलता कि ”वो अबू उमर हसन हैं.”

अबू उमर हसन या मोहम्मद हसन दारविश हमास के सुप्रीम शूरा काउंसिल के प्रमुख हैं.

ऐसे में हमास के संविधान के अनुसार, अगले साल मार्च में होने वाले चुनाव तक गुट के अंतरिम प्रमुख बनने के रेस में ये सबसे आगे थे.

लेकिन शोक समारोह खत्म होने के बाद असली काम शुरू हुआ. हमास में अहम जिम्मेदारी संभाल रहे लोग और वरिष्ठ अधिकारियों ने दोहा में अपना नया नेता चुनने के लिए दो दिन बैठक की.

इसके बाद ग़ज़ा में 2017 से हमास के नेता याह्या सिनवार को चुन लिया गया.

सिनवार को चुनना कई लोगों को चौंकाने वाला लग रहा होगा, लेकिन 2011 में उन्हें अदला-बदली की डील के तहत इसराइली सैनिक गिलाद शालिट को छोड़ने के बाद रिहा किया गया था. इसके बाद अंदाजा था कि सिनवार एक दिन हमास का नेतृत्व करेंगे.

याह्या सिनवार हमास के आर्म्ड विंग के सबसे करीबी रहे हैं.

सिनवार के भाई मोहम्मद हमास के सबसे बड़ी मिलिट्री बटालियन का नेतृत्व करते हैं. वहीं,आर्म्ड विंग का पिछले दो दशकों से नेतृत्व कर रहे मोहम्मद दिएफ़ को इसराइल ने पिछले महीने मार दिया.

दोनों पड़ोसी, दोस्त और साथ में पढ़ने वाले थे. दोनों ही ग़ज़ा में स्थित खान यूनिस शरणार्थी कैंप में बड़े हुए हैं.

याह्या सिनवार को क्यों चुना गया है?

हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”हमास नेतृत्व में मौजूद कई लोग सिनवार के चुने जाने के पक्ष में नहीं हैं. कई ने आपत्ति जताई है और कहा कि किसी ज्यादा उदारवादी व्यक्ति को चुना जाए, लेकिन आखिर में सिनवार को अधिक वोट मिल गए.”

मीटिंग में शामिल हुए एक अन्य हमास के अधिकारी ने कहा कि अबू उमर हसन को इस कारण नहीं चुना गया क्योंकि उनको बाहर ज्यादा लोग नहीं जानते, लेकिन दूसरी तरफ इसराइल पर सात अक्टूबर के हमले के बाद याह्या सिनवार अरब और इस्लामिक देशों में काफी मशहूर हो गए.

सिनवार की नियुक्ति इसराइल को भी संदेश देती है क्योंकि ईरान समर्थित गुट के वो करीबी माने जाते हैं.

किसने क्या कहा?

कई अरब और पश्चिमी देशों ने हमास से कहा था कि सिनवार 7 अक्टूबर को इसराइल में हुए हमले से जुड़े थे, इसलिए उन्हें न चुना जाए.

हमास और सिनवार को कई पश्चिमी देशों ने आतंकी घोषित किया हुआ है.

वहीं, हमास के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि याह्या सिनवार को इसलिए चुना क्योंकि उन्हें इसराइल पर किए गए हमले का मास्टरमाइंड होने के लिए हम पुरस्कार देना चाहते थे.

दरअसल, पिछले दस महीने से जारी जंग में सीज़फयर के सारे प्रयास असफल हो गए हैं. ऐसे में कतर और मिस्र एक नए सीज़फायर के समझौते को लेकर काम कर रहे हैं.

समझौते को लेकर सामने आई बात से पता लगता है कि इसमें शर्त है कि ईरान को मनाया जाए कि इस्माइल हनिया की तेहरान में हत्या को लेकर वो इसराइल पर हमला नहीं करेगा. इसके बदले इसराइल ग़ज़ा में लड़ाई खत्म करेगा और फिलाडेल्फी कॉरिडोर से सेना हटा देगा.

फिलाडेल्फी कॉरिडोर काफी अहम है और ये एक बफ़र ज़ोन है.

दूसरी तरफ ऐसे समय में हमास के सबसे चरमपंथी शख़्सियत सिनवार अगर युद्ध में बच जाते हैं तो अगले पांच साल तक गुट का नेतृत्व करेंगे.

ऐसे में आने वाले दिनों में संघर्ष तेज हो सकता है.

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रश्दी अबुअलोफ़
पदनाम,बीबीसी ग़ज़ा संवाददाता